ऑपरेशन सिंदूर पर भारत के टॉप ऑफिसर ने किया 88 घंटे में कैसे तोड़ी पाकिस्तान की रीढ़? देखिए पूरा इंटरव्यू

टाउन हॉल में जब एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित बोल रहे थे, तो उनकी आंखों में वो आत्मविश्वास था जो किसी सफल ऑपरेशन के बाद ही आता है. उनके लहजे में गर्व था और हर शब्द में रणनीति की झलक. ऑपरेशन सिंदूर अभी भी जारी है, लेकिन भारत के सैन्य इतिहास में इसे स्वर्ण अक्षरों में दर्ज कर दिया गया है. क्योंकि ये सिर्फ 88 घंटे की लड़ाई नहीं थी. ये दो दशकों से भी ज्यादा समय से अंदर ही अंदर पक रही तैयारी का नतीजा था. अगली कहानी, एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित की जुबानी.
कहानी वहीं से शुरू होती है, जहां दुश्मन ने गलती की
7 मई की सुबह. पहलगाम में हुए एक आतंकी हमले ने भारत की चेतना को हिलाकर रख दिया. हमला सिर्फ सैनिकों पर नहीं था, बल्कि एक संदेश था जिसका जवाब दिया जाना जरूरी था. और इस बार जवाब सिर्फ चेतावनी नहीं, बल्कि रणनीतिक और सैन्य भाषा में था. इसके बाद शुरू हुआ 'ऑपरेशन सिंदूर'. एक ऐसा ऑपरेशन जो न शोर था और न दिखावा. लेकिन जब हवा में भारतीय लड़ाकू विमानों की जरूरत पड़ी, तो पाकिस्तान की नींव हिल गई. एयर मार्शल दीक्षित के शब्दों में, '88 घंटों में जो हुआ, वह इतना बड़ा था कि कोई भी स्वाभिमानी देश या सेना इतनी जल्दी आत्मसमर्पण नहीं कर सकती, जब तक कि वह अंदर से पूरी तरह से टूट न जाए।'
रातों-रात नहीं हुई तैयारी
ऑपरेशन सिंदूर की नींव 1999 के कारगिल युद्ध के बाद ही रख दी गई थी। जब भारत को लगा कि तीनों सेनाओं के बीच समन्वय के बिना भविष्य के युद्ध नहीं जीते जा सकते। तब 'इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ' यानी तीनों सेनाओं की साझा कमान का गठन किया गया। इसका नेतृत्व एयर मार्शल दीक्षित करते हैं। उन्होंने साफ कहा, 'यह ऑपरेशन सिर्फ एक फिजिकल स्ट्राइक नहीं था। यह एकता, खुफिया जानकारी और तकनीक की जीत थी। लक्ष्य चयन से लेकर अंतिम हमले तक सब कुछ बहुत सटीक और समन्वित था।'
पाकिस्तानी ठिकानों पर सीधा हमला
ऑपरेशन सिंदूर में न सिर्फ पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया, बल्कि पाकिस्तान के भीतर स्थित कई अहम एयरबेस पर भी हमला किया गया। नूर खान और रहीम यार खान जैसे एयरबेस को नुकसान पहुंचाना कोई छोटी-मोटी स्ट्राइक नहीं थी। यह एक स्पष्ट संदेश था- अब भारत सिर्फ जवाब नहीं देता, बल्कि यह भी तय करता है कि कब और कहां जवाब देना है।
सैटेलाइट इमेज, ड्रोन और स्वदेशी हथियार
इस ऑपरेशन में भारत की नई ताकत सामने आई। भारत ने रियल-टाइम सैटेलाइट इंटेलिजेंस, अपने ड्रोन और हाई-प्रिसिशन मिसाइलों के साथ जो किया, वह पाकिस्तान को चौंका देने वाला था। एयर मार्शल ने साफ कहा, 'हमने किसी का मॉडल कॉपी नहीं किया। हमारी रणनीति, हमारा सिस्टम, सब कुछ देसी है और उतना ही कारगर है।'
दुश्मन ने भी तबाही देखी
जब ऑपरेशन खत्म हुआ, तो दुनिया भर के चैनलों पर जो तस्वीरें आईं, उनमें साफ दिख रहा था कि पाकिस्तान को कितना नुकसान हुआ है। खुद भारतीय सेना ने सैटेलाइट और ओपन-सोर्स इमेज से इसकी पुष्टि की। दीक्षित ने कहा, 'हमने जो नुकसान पहुंचाया है, वह दुश्मन के लिए खुली किताब है।'
एयर मार्शल के मुताबिक, ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की युद्ध नीति की 'दहलीज' बदल दी है। अब भारत इंतजार नहीं करता, बल्कि तय करता है कि कब, कहां और कैसे हमला करना है। और सबसे खास बात यह है कि अब भारत सिर्फ रक्षा ही नहीं, बल्कि आक्रामक रणनीति में भी माहिर हो गया है। उन्होंने कहा कि कुछ देरी के बावजूद LCA Mk-2 एक बेहतरीन प्लेटफॉर्म है। साथ ही भारत का अगला सपना- पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर AMCA- अब गति पकड़ रहा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसका 'एग्जीक्यूशन मॉडल' पास कर दिया है। ड्रोन तो आ गए, लेकिन बाकी हथियार नहीं ऑपरेशन सिंदूर में ड्रोन का इस्तेमाल अहम था, लेकिन दीक्षित का मानना है कि वे पारंपरिक हथियारों की जगह नहीं लेंगे। वे कहते हैं, 'ड्रोन एक नया उपकरण है, लेकिन आप उनका इस्तेमाल कैसे करते हैं, यह स्थिति तय करेगा।' 'नॉन-लीनियर रिस्पॉन्स', 'एक साथ हमला' और 'लंबी दूरी तक हमला' ऑपरेशन सिंदूर से मिली सबसे बड़ी सीख हैं। इसके अलावा भारत अब 'कंटीन्यूअस थ्रेट' को ध्यान में रखते हुए हर मोर्चे पर योजना बना रहा है।