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पाकिस्तान में अपनी सेना तैनात करेगा चीन, पहले किया विरोध... जिनपिंग ने दिखाई आंख तो ढीले पड़े शहबाज, भारत से लड़ाई की तैयारी?

भारत और पाकिस्तान युद्ध की दहलीज पर खड़े हैं और फिलहाल अपने कदम पीछे खींचते दिख रहे हैं। दोनों देश लगभग युद्ध की स्थिति में थे। लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की इस स्थिति में चीन ने एक बार फिर वही किया....
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भारत और पाकिस्तान युद्ध की दहलीज पर खड़े हैं और फिलहाल अपने कदम पीछे खींचते दिख रहे हैं। दोनों देश लगभग युद्ध की स्थिति में थे। लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की इस स्थिति में चीन ने एक बार फिर वही किया जिसके लिए वह जाना जाता है, दोहरा खेल। ऊपर से देखने पर भले ही ऐसा लगे कि चीन ने शांति और बातचीत पर जोर देकर कूटनीतिक संतुलन बनाने की कोशिश की है, लेकिन खिड़की के अंदर खड़े होकर देखने पर पता चलता है कि चीन दरअसल दोहरा खेल खेल रहा है। शिन्हुआ विश्वविद्यालय के माओ केई और साउथ एशियन रिसर्च ग्रुप के चेन झोउ ने चीनी वेबसाइट गुआंचा में एक लेख लिखा है। जिसमें उन्होंने अक्साई चिन में चीनी सैनिकों की तैनाती की बात कही है और लिखा है कि ये चीनी सैनिक दरअसल भारत और पाकिस्तान के बीच एक बड़े युद्ध को रोकने के लिए वहां मौजूद हैं।

इस लेख में दोनों ने भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच चीन की कूटनीति को समझाने की कोशिश की है। उन्होंने लिखा कि "कुछ हद तक, चीन भारतीय कार्रवाई से पहले पाकिस्तान को मजबूत समर्थन जारी करके भारतीय आक्रामकता को रोकना चाहता था, लेकिन एक बार जब भारत ने कार्रवाई शुरू कर दी, तो ऐसे बयानों के लिए कोई जगह नहीं थी। उसके बाद बीजिंग को कड़ी चेतावनी जारी करने की कोई आवश्यकता नहीं थी। इसके बजाय, वह बातचीत का आग्रह करने और शांति को बढ़ावा देने के अपने पारंपरिक रुख पर लौट आया।" उन्होंने लिखा कि "बयानबाजी में यह सूक्ष्म बदलाव क्षेत्रीय स्थिरता के प्रति चीन की गहरी चिंता और जिम्मेदारी की भावना को दर्शाता है।"

चीन की दोहरी कूटनीति

उन्होंने लिखा कि "इससे पहले पाकिस्तान के बयानों का समर्थन करके चीन ने भारत पर कोई बड़ी सैन्य कार्रवाई न करने के लिए अप्रत्यक्ष दबाव बनाने की कोशिश की थी। जब भारत ने 'सीमित' सैन्य कार्रवाई शुरू की, तो बीजिंग अपनी पारंपरिक 'शांति' की भाषा पर लौट आया।" उन्होंने लिखा है कि चीन का यह रवैया उसकी परंपराओं के अनुरूप है, जिसमें वह क्षेत्रीय शांति चाहता है। इस लेख के अनुसार, चीन की इस रणनीति का उद्देश्य भारत जैसी मजबूत पार्टी को पहले ही गंभीर चेतावनी देना था, ताकि वह गंभीर सैन्य कार्रवाई करने से बच जाए। इस नीति के तहत, पाकिस्तान को व्यावहारिक रूप से लाभ पहुंचाया गया, क्योंकि वह एक कमजोर देश है। दूसरे शब्दों में, पाकिस्तान को 'कमजोर पक्ष' बताकर चीन उस आतंकवाद का समर्थन कर रहा है, जिसके खिलाफ भारत लड़ रहा है। यानी अगर कोई देश आतंकवाद फैलाता है और कमजोर है तो क्या उसकी जवाबदेही तय नहीं होनी चाहिए?

लेकिन शांति की बात करने वाले चीनी विशेषज्ञों ने इस बीच एक विवादास्पद दावा किया है कि "2020 से चीनी सैनिक भारतीय नियंत्रित कश्मीर के पास तैनात हैं। और उनकी उपस्थिति दक्षिण एशिया में शांति की अंतिम गारंटी बन गई है।" यह काफी सनसनीखेज खुलासा है कि चीनी सैनिक पीओके में मौजूद हैं। यानी भारत की सीमा के पास चीनी सैनिकों की मौजूदगी एक बहुत बड़े खतरे को दर्शाती है। यह खुलासा भारत की संप्रभुता और सामरिक स्वायत्तता को चुनौती देता है। यह सिर्फ सैन्य तैनाती नहीं है, बल्कि बीजिंग की ओर से एक धमकी भी है, जिसमें वह यह कहना चाह रहा है कि अगर भारत पीओके को हासिल करने के लिए सैन्य अभियान शुरू करता है, तो उसे कोई भी बड़ा कदम उठाने से पहले चीन की मौजूदगी को ध्यान में रखना होगा। यानी चीन युद्ध की धमकी देकर पाकिस्तान को बचाने की कोशिश कर रहा है।

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