असीम मुनीर को बुलाया ही नहीं... अमेरिका ने निकाली पाक आर्मी चीफ के यूएस परेड में गेस्ट बनने के दावे की हवा, बताया सच

वाशिंगटन डीसी में अमेरिकी सेना की 250वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित भव्य सैन्य परेड को लेकर फैली अफवाहों पर व्हाइट हाउस ने पूरी तरह से विराम लगा दिया है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल सईद आसिम मुनीर को इस समारोह में आमंत्रित किया गया था, लेकिन व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसे सिरे से खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि “कोई भी विदेशी सैन्य नेता इस आयोजन में आमंत्रित नहीं था।”
यह सैन्य परेड अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के 79वें जन्मदिन के अवसर पर आयोजित की गई थी, जिसमें करीब 6,600 सैनिक, 150 सैन्य वाहन और 50 विमानों ने भाग लिया। परेड का उद्देश्य पूरी तरह से अमेरिकी सेना के इतिहास और उसकी ताकत को प्रदर्शित करना था, न कि किसी विदेशी सेना प्रमुख को आमंत्रित करना।
पाकिस्तानी मीडिया और कुछ भारतीय समाचार चैनलों ने 12 जून को खबरें चलाईं कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख को अमेरिकी सेना के समकक्षी ने इस भव्य कार्यक्रम में शामिल होने के लिए निमंत्रण दिया है। इस खबर ने भारत में काफी विवाद पैदा कर दिया। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस घटना को भारत के लिए “कूटनीतिक झटका” बताते हुए ट्रम्प प्रशासन की नीतियों पर सवाल उठाए थे।
व्हाइट हाउस ने इन दावों को “फर्जी खबर” करार देते हुए कहा कि इस परेड की योजना पिछले साल ही बनाई गई थी और इसका पूरा फोकस अमेरिकी सेना की उपलब्धियों पर था। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर जबरदस्त चर्चा हुई, जहां कई यूजर्स ने पाकिस्तान के दावों को प्रचार की कोशिश बताया।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह अफवाह पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय छवि सुधारने की कोशिश थी, ताकि वह वैश्विक मंच पर अपने प्रभाव को बढ़ा सके। लेकिन व्हाइट हाउस के स्पष्ट खंडन ने इस प्रयास को नाकाम कर दिया और पाकिस्तान को इस मामले में शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा।
यह घटना भारत-पाकिस्तान-अमेरिका के बीच मौजूदा जटिल कूटनीतिक संबंधों को भी उजागर करती है। ऐसे समय में जब दक्षिण एशिया में तनाव लगातार बढ़ रहा है, ऐसे अफवाहें और गलतफहमियां क्षेत्रीय स्थिरता को प्रभावित कर सकती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सभी पक्षों के लिए पारदर्शिता और सटीक जानकारी साझा करना आवश्यक है ताकि गलतफहमियों को रोका जा सके।
अमेरिकी सेना की 250वीं वर्षगांठ की यह परेड न सिर्फ एक सैन्य शक्ति का प्रदर्शन थी, बल्कि यह अमेरिका के सैन्य इतिहास और उसकी वैश्विक भूमिका का प्रतीक भी थी। इस कार्यक्रम में विदेशी सैन्य नेताओं को न बुलाए जाने के फैसले ने साफ कर दिया कि इसका फोकस अमेरिका के आंतरिक गौरव और सैन्य बल पर था, न कि किसी कूटनीतिक संदेश पर।
अतः पाकिस्तान के सेना प्रमुख के निमंत्रण की खबरों का खंडन करने से यह स्पष्ट हो गया कि यह सिर्फ अफवाह थी और किसी भी विदेशी सैन्य अधिकारी को इस कार्यक्रम में शामिल होने का निमंत्रण नहीं दिया गया था। इससे जुड़े विवाद ने दक्षिण एशिया के राजनीतिक माहौल को फिर से गर्माया, लेकिन अमेरिका ने अपनी स्थिति स्पष्ट रखी है।