ईरान पर एयरस्ट्राइक के बाद पाकिस्तान ने बदला रुख, ट्रंप के साथ लंच का ‘डिप्लोमैटिक पैंतरा’ हुआ नाका

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को व्हाइट हाउस में लंच पर बुलाकर संबंध मजबूत करने की कोशिश अब नाकाम होती नजर आ रही है। ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका की एयरस्ट्राइक के बाद पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में खुलकर अमेरिका की आलोचना की है। जिस पाकिस्तान ने कुछ दिन पहले तक ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया था, वही अब अमेरिका की सैन्य कार्रवाई की निंदा कर रहा है। यह घटनाक्रम अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में तेजी से बदलते समीकरणों को दिखाता है, जहां सहयोगी कुछ ही दिनों में विरोधी बन सकते हैं।
UNSC में अमेरिका को घेरा पाकिस्तान
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि असीम इफ्तिखार अहमद ने ईरान पर अमेरिकी हमले की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा, "इस चुनौतीपूर्ण समय में पाकिस्तान ईरान की सरकार और वहाँ के भाईचारे वाले लोगों के साथ खड़ा है। हम इस एकतरफा सैन्य कार्रवाई की भर्त्सना करते हैं।" इस बयान के जरिए पाकिस्तान ने यह साफ कर दिया कि व्हाइट हाउस के लंच या ट्रंप की तारीफों के बावजूद, वह अमेरिका के पक्ष में नहीं खड़ा होगा यदि कार्रवाई मुस्लिम दुनिया के खिलाफ होगी।
ट्रंप-आसिम मुनीर लंच: शांति की ओर कदम या सियासी चाल?
18 जून को जनरल आसिम मुनीर को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में लंच के लिए आमंत्रित किया था। इस दौरान ट्रंप ने पाकिस्तान की भूमिका की प्रशंसा करते हुए कहा था कि वह भारत के साथ युद्ध में शामिल न होने और शांति बनाए रखने के लिए आसिम मुनीर का धन्यवाद करते हैं। ट्रंप ने बयान में कहा था, "मैंने उन्हें यहां इसलिए बुलाया क्योंकि मैं युद्ध में शामिल न होने और शांति बनाए रखने के लिए उनका आभार प्रकट करना चाहता था। भारत और पाकिस्तान दो परमाणु शक्तियां हैं, और उनका युद्ध से बचना बहुत महत्वपूर्ण है।"
इसके बाद पाकिस्तान की ओर से ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित भी किया गया, जिससे लग रहा था कि अमेरिका-पाकिस्तान के रिश्तों में नई शुरुआत हो रही है।
लेकिन अमेरिका की एयरस्ट्राइक ने बिगाड़ दिए समीकरण
यह सकारात्मक माहौल ज्यादा देर टिक नहीं पाया। 21 जून की आधी रात, अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु स्थलों—फोर्डो, नतांज और इस्फहान—पर भीषण हवाई हमले किए। हमले के तुरंत बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने दावा किया कि इन ठिकानों को तबाह कर दिया गया है। ईरान ने भी इन हमलों की पुष्टि की, और जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी। इसके बाद पाकिस्तान का रुख पलट गया। अब उसने अमेरिका के इस कदम को अनुचित, भड़काऊ और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करार दिया।
पाकिस्तान की डिप्लोमैटिक दोहरी नीति?
अमेरिका के साथ लंच, तारीफें और नोबेल शांति पुरस्कार की सिफारिश जैसे कदम जहां एक ओर मुलायम कूटनीति का चेहरा दिखाते हैं, वहीं ईरान के मुद्दे पर अमेरिका का विरोध यह जाहिर करता है कि पाकिस्तान अभी भी मुस्लिम देशों के ब्लॉक के साथ खड़ा होना चाहता है। विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान ने अमेरिका से करीबी बढ़ाने की कोशिश तो की, लेकिन वह ईरान और अरब दुनिया को नाराज़ नहीं करना चाहता, जो कि उसकी आर्थिक और रणनीतिक जरूरतों के लिहाज़ से अहम हैं।