PAK, बांग्लादेश, श्रीलंका और म्यांमार… भारत को घेरने में जुटा ड्रैगन, पेंटागन रिपोर्ट में हुए हैरान करने वाले खुलासे
अमेरिकी रक्षा विभाग (पेंटागन) ने अपनी सालाना रिपोर्ट में दावा किया है कि चीन अपनी सेना को भारत के करीब तैनात करने की कोशिश कर रहा है। चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) भारत के चार पड़ोसी देशों में बेस बनाने की तैयारी कर रही है। ये चार देश बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका और म्यांमार हैं, जहां अतिरिक्त सैन्य सुविधाएं या लॉजिस्टिक्स बेस बनाए जाएंगे। इससे नौसेना, थल सेना और वायु सेना की ताकत बढ़ेगी, सेना की पहुंच लंबी दूरी तक बढ़ेगी और समुद्री रास्ते सुरक्षित होंगे।
भारत के आसपास सैन्य मौजूदगी बढ़ाने की चीन की कोशिशें
पेंटागन की रिपोर्ट के अनुसार, चीन पहले से ही जिबूती में अपना एकमात्र विदेशी सैन्य बेस चलाता है और कंबोडिया में रीम नौसैनिक बेस तक पहुंच हासिल कर ली है। अब वह भारत के पड़ोसियों सहित दुनिया भर के लगभग एक दर्जन देशों में ऐसे बेस बनाने की योजनाओं पर काम कर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये सुविधाएं PLA को लंबी दूरी तक अपनी नौसेना, वायु और जमीनी बलों को प्रोजेक्ट करने और बनाए रखने में मदद करेंगी।
भारत के पड़ोसी देशों में क्या हो रहा है?
पाकिस्तान: ग्वादर नौसैनिक बेस पहले से ही चीन के सहयोग से विकसित किया जा रहा है। चीन ने पाकिस्तान को 35 J-10C फाइटर जेट का सौदा दिया है। इसने हैंगर-क्लास पनडुब्बियां, युद्धपोत और 5वीं पीढ़ी के FC-31 फाइटर जेट और J-10 फाइटर जेट जैसे अन्य जेट भी पेश किए हैं। JF-17 फाइटर जेट का संयुक्त निर्माण भी चल रहा है।
बांग्लादेश: चीन यहां एक सैन्य बेस बनाने पर विचार कर रहा है। बांग्लादेश ने J-10C फाइटर जेट खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है। पाकिस्तान ने इनका इस्तेमाल भारत के राफेल जेट के खिलाफ किया था। चीन ने 2024 में बांग्लादेश को VT-5 हल्के टैंक, दो मिंग-क्लास पनडुब्बियां और दो युद्धपोत दिए हैं। शेख हसीना के कार्यकाल के दौरान चीन के साथ सैन्य संबंध मजबूत थे और यूनुस सरकार के तहत भी जारी हैं।
श्रीलंका और म्यांमार: इन देशों में सामान्य सैन्य सुविधाएं या लॉजिस्टिक्स बेस बनाने की योजना है, जो PLA की क्षमताओं को बढ़ाने में मदद करेंगे।
चीन किस बात से चिंतित है? रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चीन की सबसे बड़ी चिंता मलक्का जलडमरूमध्य है, जहां उसे अमेरिकी और भारतीय नौसेनाओं द्वारा नाकाबंदी का खतरा है। चीन होर्मुज जलडमरूमध्य और अफ्रीका और मध्य पूर्व को जोड़ने वाले समुद्री मार्गों की सुरक्षा को लेकर भी चिंतित है। इसके अलावा, अंगोला, क्यूबा, गिनी, इंडोनेशिया, केन्या, मोज़ाम्बिक, नामीबिया, नाइजीरिया, पापुआ न्यू गिनी, सेशेल्स, सोलोमन आइलैंड्स, ताजिकिस्तान, थाईलैंड, UAE और वानुअतु जैसे देशों में बेस बनाने पर भी चर्चा हो रही है।
चीन की इन हरकतों का भारत पर क्या असर होगा?
पेंटागन का कहना है कि चीन पाकिस्तान के साथ अपने मिलिट्री संबंधों को मज़बूत करके भारत-अमेरिका की बढ़ती दोस्ती का मुकाबला कर रहा है। हालांकि, मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकातों के बाद लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर तनाव कम करने और वीज़ा सर्विस फिर से शुरू करने के कदम भी उठाए गए हैं। लेकिन चीन अरुणाचल प्रदेश को अपनी "मुख्य हितों" की लिस्ट में शामिल कर रहा है।
यह रिपोर्ट बताती है कि अमेरिका चीन की बढ़ती मिलिट्री ताकत और ग्लोबल पहुंच पर लगातार नज़र रख रहा है। चीन ने अभी तक इस रिपोर्ट पर कोई सीधा जवाब नहीं दिया है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये सुविधाएं चीन की "स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स" रणनीति का हिस्सा हैं, जो भारत को घेरने की एक कोशिश है।

