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'चीन या ईरान नहीं...रूस का असली साथी बनकर उभर रहा है अमेरिका का ये जानी दुश्मन, क्या बदल जाएगा वैश्विक समीकरण?

'चीन या ईरान नहीं...रूस का असली साथी बनकर उभर रहा है अमेरिका का ये जानी दुश्मन, क्या बदल जाएगा वैश्विक समीकरण?

रूस और अमेरिका के बीच तनातनी चल रही है, अभी दो दिन पहले ही ट्रंप ने रूस को सबक सिखाने के लिए दो परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती का आदेश दिया था। अब अमेरिका का कट्टर दुश्मन रूस के लिए सामने आ रहा है। यह देश न तो ईरान है, न चीन और न ही ब्राज़ील। यह देश है वेनेज़ुएला, जहाँ रूस अपनी सबसे खतरनाक ओरेसनिक हाइपरसोनिक मिसाइल प्रणाली तैनात करने की तैयारी कर रहा है।

ये अफवाहें उसी समय आ रही हैं जब हाल ही में पुतिन ने मीडिया के सामने घोषणा की थी कि ओरेसनिक प्रणाली सेना को सौंपी जाएगी। इन मिसाइलों की मारक क्षमता 550 किलोमीटर से ज़्यादा है। यह मैक 11 की गति से अपने लक्ष्य पर वार कर सकती है। ईरान की मेहर समाचार एजेंसी के अनुसार, रूस इनका बड़े पैमाने पर उत्पादन कर रहा है। हालाँकि रूस ने आधिकारिक तौर पर वेनेज़ुएला में इनकी तैनाती की घोषणा नहीं की है, फिर भी माना जा रहा है कि रूस ऐसा करने वाला है, क्योंकि ऐसा करके रूस को पश्चिमी प्रभाव का एक भू-राजनीतिक प्रतिसंतुलन मिलेगा।

रूस ने पिछले साल ओरेसनिक हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया था। कथित तौर पर, परीक्षण के दौरान इस मिसाइल ने यूक्रेनी सैन्य ठिकानों को भी निशाना बनाया था। कहा जाता है कि इस मिसाइल की गति और उड़ान क्षमता के कारण इसे रोकना बेहद मुश्किल है। इसे मोबाइल लॉन्चर से भी लॉन्च किया जा सकता है। मध्यम दूरी की यह मिसाइल खासतौर पर अपने दुश्मन की नज़रों से बचकर लक्ष्य को नष्ट करने में माहिर मानी जाती है।

वेनेज़ुएला में मिसाइलों की तैनाती से क्या होगा?

अगर ओरेसनिक हाइपरसोनिक मिसाइल वेनेजुएला में तैनात की जाती है, तो यह प्रणाली दक्षिण अमेरिका और कैरिबियन के कुछ हिस्सों को अपनी जद में ले लेगी। इससे नाटो योजनाकारों और अमेरिकी रक्षा अधिकारियों की चिंताएँ बढ़ जाएँगी। विशेषज्ञों का कहना है कि रूस के इस कदम से कूटनीतिक प्रतिक्रिया बढ़ सकती है, जिससे क्षेत्र में तनाव और बढ़ सकता है। हालाँकि, क्रेमलिन की ओर से अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि वेनेजुएला में मिसाइल तैनात करने की कोई योजना है या नहीं। हालाँकि, माना जा रहा है कि रूस वेनेजुएला के ज़रिए पूरे पश्चिम को नियंत्रित करना चाहता है।

वेनेजुएला अमेरिका का कट्टर दुश्मन है
वेनेजुएला को अमेरिका का कट्टर दुश्मन माना जाता है। इस दुश्मनी की जड़ें 1999 में शुरू हुईं, जब ह्यूगो शावेज राष्ट्रपति बने थे। उस समय उन्होंने अमेरिका की पूंजीवादी व्यवस्था की तीखी आलोचना की थी। 2002 में उन्होंने अमेरिका पर तख्तापलट की साजिश रचने का आरोप लगाया था। इसके बाद, निकोलन मादुरो के कार्यकाल में यह तनाव और बढ़ गया, खासकर 2018 के विवादित चुनावों के बाद, जब अमेरिका ने विपक्षी नेता जुआन गुआइदो को राष्ट्रपति के रूप में मान्यता दी और वेनेजुएला पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए। तब से, दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य नहीं हो पाए हैं।

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