ईरान का बड़ा फैसला: IAEA से सहयोग निलंबित, परमाणु ठिकानों पर हमलों के जवाब में संसद ने विधेयक पारित किया

ईरान के परमाणु ठिकानों पर इजरायल और अमेरिका द्वारा किए गए हमलों के जवाब में अब ईरान ने एक और बड़ा और आक्रामक कदम उठाया है। बुधवार को ईरान की संसद ने एक महत्वपूर्ण विधेयक पारित किया, जिसके तहत अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के साथ सभी तरह के सहयोग को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का फैसला किया गया है। यह निर्णय ईरान की संप्रभुता, सुरक्षा और परमाणु सुविधाओं की रक्षा को लेकर उठाया गया है। इस विधेयक के जरिए IAEA के निरीक्षकों को ईरान की परमाणु साइट्स पर प्रवेश नहीं मिलेगा, जब तक सुरक्षा की गारंटी नहीं दी जाती। साथ ही, परमाणु निगरानी से जुड़ी अन्य प्रक्रियाएं जैसे कैमरा मॉनिटरिंग, नियमित रिपोर्टिंग और डेटा शेयरिंग को भी रोक दिया जाएगा।
संसद में एकतरफा समर्थन, विधेयक पारित
यह विधेयक ईरान की संसद में भारी बहुमत से पास हुआ। कुल 223 सांसदों में से 222 ने इसके पक्ष में मतदान किया, जबकि केवल एक सांसद ने मतदान से दूरी बनाई। संसद के प्रवक्ता अलीरेजा सलीमी ने घोषणा की कि इस विधेयक के प्रावधान अब ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की मंजूरी के लिए भेजे जाएंगे, जिसके बाद इसे औपचारिक रूप से लागू किया जाएगा।
सलीमी ने कहा कि, “IAEA अब केवल एक निष्पक्ष तकनीकी संस्था नहीं रह गई है, बल्कि यह पश्चिमी दबाव का राजनीतिक उपकरण बन गई है।” यह बयान अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में गंभीर संकेत देता है कि ईरान अब IAEA की निष्पक्षता पर सवाल उठा चुका है।
ईरान की नाराजगी और IAEA पर आरोप
ईरान के संसद अध्यक्ष मोहम्मद बाकर कालिबाफ ने कहा कि IAEA ने अपनी जिम्मेदारियां पूरी तरह नहीं निभाईं और उसका रवैया राजनीतिक रहा। उन्होंने जोर दिया कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण है और ईरान का इरादा परमाणु हथियार विकसित करने का नहीं है।
हालांकि, बीबीसी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि IAEA ने जून 2025 में ईरान को परमाणु अप्रसार संधि (NPT) के उल्लंघन का दोषी ठहराया था। आरोप था कि ईरान ने अपनी परमाणु गतिविधियों की पूरी जानकारी नहीं दी थी। जवाब में ईरान ने नई यूरेनियम संवर्धन इकाई की स्थापना और फोर्डो प्लांट में उन्नत IR-6 सेंट्रीफ्यूज लगाने की घोषणा की थी।
परमाणु ठिकानों पर हमला और अमेरिका का दावा
हाल ही में अमेरिका और इजरायल ने ईरान के नतांज, फोर्डो और इस्फहान स्थित परमाणु केंद्रों पर हवाई हमले किए थे। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दावा किया कि इन हमलों से ईरान की परमाणु हथियार बनाने की क्षमता को नष्ट कर दिया गया है।
हालांकि ईरान ने इस दावे को खारिज किया है। ईरानी अधिकारियों का कहना है कि उनके यूरेनियम संवर्धन केंद्र अभी भी सुरक्षित और सक्रिय हैं। IAEA के प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने भी स्वीकार किया कि हमला होने से पहले ही ईरान ने लगभग 408 किलोग्राम संवर्धित यूरेनियम को "सुरक्षा कारणों" से स्थानांतरित कर दिया था, जिसका वर्तमान लोकेशन अज्ञात है।
परमाणु हथियार निर्माण की आशंका बढ़ी
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर कुछ पोस्ट्स में दावा किया गया है कि ईरान अब सीधे परमाणु हथियार निर्माण की दिशा में बढ़ सकता है। हालांकि, इन दावों की अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।