पश्चिम एशिया संकट के बीच भारत की तेल रणनीति सक्रिय: हॉर्मुज जलडमरूमध्य बंद होने की आशंका पर सरकार सतर्

पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव और अमेरिका-ईरान टकराव के बीच भारत सरकार ने तेल और गैस आपूर्ति को लेकर सतर्कता बढ़ा दी है। अमेरिका द्वारा ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर किए गए हमले के बाद, ईरान ने रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण हॉर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने की चेतावनी दी है। यह जलमार्ग दुनिया के कुल तेल आपूर्ति का लगभग 20% हिस्सा नियंत्रित करता है, और भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए इसी मार्ग पर काफी हद तक निर्भर है।
क्या है हॉर्मुज जलडमरूमध्य और भारत पर इसका असर?
हॉर्मुज जलडमरूमध्य फारस की खाड़ी को अरब सागर से जोड़ता है और इसे तेल और गैस के सबसे व्यस्त व्यापारिक मार्गों में से एक माना जाता है। अगर यह बंद होता है, तो भारत की कच्चे तेल की आपूर्ति पर सीधा असर पड़ सकता है। हालांकि, भारत सरकार और पेट्रोलियम मंत्रालय लगातार स्थिति की निगरानी कर रहे हैं और आम जनता को भरोसा दिला रहे हैं कि देश में ईंधन की उपलब्धता पर कोई संकट नहीं आने दिया जाएगा।
सरकार का भरोसा: "तेल मिलेगा, कीमतें नियंत्रण में रहेंगी"
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने एक बयान में कहा, "भारत पिछले दो हफ्तों से पश्चिम एशिया की घटनाओं पर पैनी नजर रखे हुए है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हम आपूर्ति स्रोतों में विविधता लाने की रणनीति पर लगातार काम कर रहे हैं।" उन्होंने कहा कि वैश्विक बाजारों में फिलहाल पर्याप्त कच्चा तेल उपलब्ध है, और भारत ने पहले से ही रूस, अमेरिका और दक्षिण अमेरिका जैसे देशों से वैकल्पिक आपूर्ति चैनल मजबूत किए हैं।
हॉर्मुज जलडमरूमध्य के बंद होने से क्या होगा?
हरदीप पुरी ने एएनआई से बातचीत में कहा, "जब सोमवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार खुलेंगे, तब हॉर्मुज जलडमरूमध्य की स्थिति का असर कच्चे तेल की कीमतों पर दिखेगा। लेकिन बाजार में फिलहाल तेल की कोई कमी नहीं है।" उन्होंने यह भी बताया कि तेल की कीमतें हाल के वर्षों में $65 से $75 प्रति बैरल के बीच स्थिर रही हैं, और बाजार के स्थिर रहने की उम्मीद है, क्योंकि परंपरागत आपूर्तिकर्ता देशों को भी निर्यात से राजस्व चाहिए।
जानकारों की चेतावनी: कीमतें चढ़ सकती हैं
ऊर्जा विशेषज्ञों का मानना है कि तेल और गैस एक अत्यधिक संवेदनशील सेक्टर है और जरा-सी रुकावट भी कीमतों में बड़ा उछाल ला सकती है। अगर हॉर्मुज जलडमरूमध्य एक हफ्ते या उससे अधिक समय के लिए बंद रहता है, तो यह वैश्विक ऊर्जा संकट को जन्म दे सकता है। भारत, जो अपनी जरूरत का 80% से अधिक तेल आयात करता है, इस स्थिति से अछूता नहीं रहेगा।
सरकार की तैयारियां और संभावित कदम
सूत्रों के अनुसार, भारत सरकार स्थिति सामान्य रहने तक आंतरिक रणनीतिक तेल भंडार का उपयोग कर सकती है। साथ ही, अगर कीमतों में तेज़ उछाल आता है और कच्चा तेल $105 प्रति बैरल से ऊपर चला जाता है, तो सरकार ईंधन पर उत्पाद शुल्क में कटौती पर विचार कर सकती है। वहीं, रूस से आयात किए जा रहे कच्चे तेल पर भारत ने अब तक छूट का लाभ उठाया है। लेकिन यह लाभ भविष्य की कीमतों और वैश्विक दबाव पर निर्भर करेगा।