भारत ने कुछ श्रेणी के चीनी नागरिकों के लिए सरल किया वीजा प्रोसेस, वजह जानकर रह जाएंगे हैरान
टैरिफ की वजह से US के साथ खराब रिश्तों के बीच, भारत सरकार ने चीन को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है। भारत ने चीन से आने वाले प्रोफेशनल्स को फास्ट-ट्रैक वीजा देने का फैसला किया है। वीजा वेरिफिकेशन के लिए लगने वाले समय को कम करके, भारत एक महीने के अंदर चीनी कंपनियों को बिजनेस वीजा जारी करने की योजना बना रहा है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दो अधिकारियों ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, "हमने एडमिनिस्ट्रेटिव वेरिफिकेशन प्रोसेस हटा दिया है, और अब चार हफ्तों के अंदर बिजनेस वीजा जारी किए जा सकेंगे।"
इस बीच, चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसने लोगों के बीच लेन-देन को आसान बनाने के लिए भारत के पॉजिटिव कदमों पर ध्यान दिया है, जो दोनों पक्षों के आपसी हित में है। हालांकि, इस कदम को दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधारने की दिशा में एक बड़े कदम के तौर पर देखा जा रहा है। कहा जा रहा है कि टेक्नीशियन की कमी की वजह से भारतीय कंपनियों को अरबों रुपये का नुकसान हो रहा है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा कि चीन भारत के साथ रेगुलर बातचीत और सलाह-मशविरा जारी रखने के लिए तैयार है। भारत और चीन के बीच रिश्ते 2020 में तब बिगड़ गए जब पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर बॉर्डर पर तनाव बढ़ गया। यह टकराव मई 2020 की शुरुआत में शुरू हुआ जब चीनी सैनिक विवादित इलाकों में आगे बढ़े।
चीन ने गलवान नदी घाटी और पैंगोंग झील के पास भारत के सड़क बनाने के काम पर एतराज़ जताया, जिससे दोनों तरफ की सेनाओं के बीच ज़बरदस्त टकराव और झड़पें हुईं। यह तनाव 15 जून, 2020 को अपने चरम पर पहुँच गया, जब गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प हुई। इस हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए। 1975 के बाद LAC पर यह पहली घटना थी जिसमें दोनों तरफ़ से जानें गईं। हालाँकि, पिछले पाँच सालों में लगातार डिप्लोमैटिक और मिलिट्री लेवल की बातचीत, खासकर LAC पर दोनों देशों के कोर कमांडरों की मीटिंग के ज़रिए रिश्ते धीरे-धीरे बेहतर हुए हैं।

