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ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने 'सुपरबग' से निपटने के लिए शुरू की नई तकनीक

सिडनी, 5 जून (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने स्टैफिलोकोकस ऑरियस, जिसे आमतौर पर गोल्डन स्टैफ के रूप में जाना जाता है। उससे निपटने में एक बड़ी सफलता हासिल की है। सुपरबग से हर साल दुनिया भर में दस लाख से अधिक मौतों होती हैं।
ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने 'सुपरबग' से निपटने के लिए शुरू की नई तकनीक

सिडनी, 5 जून (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने स्टैफिलोकोकस ऑरियस, जिसे आमतौर पर गोल्डन स्टैफ के रूप में जाना जाता है। उससे निपटने में एक बड़ी सफलता हासिल की है। सुपरबग से हर साल दुनिया भर में दस लाख से अधिक मौतों होती हैं।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, मेलबर्न स्थित पीटर डोहर्टी इंस्टीट्यूट फॉर इंफेक्शन एंड इम्युनिटी (डोहर्टी इंस्टीट्यूट) की बुधवार को जारी एक बयान में बताया गया कि उनकी विश्व की पहली पहल ने दिखाया है कि रियल टाइम जीनोम सीक्वेंसिंग गंभीर बैक्टीरियल संक्रमणों, जैसे स्टैफिलोकोकस ऑरियस (गोल्डन स्टैफ) से निपटने में प्रभावी है। यह तकनीक डॉक्टरों को बैक्टीरिया में दवा-प्रतिरोधी उत्परिवर्तनों को जल्दी पहचानने, मरीज के लिए सही और व्यक्तिगत उपचार चुनने, और एंटीबायोटिक प्रतिरोध के प्रसार को रोकने में मदद करता है।

बयान में कहा गया है कि डोहर्टी इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने, सात स्थानीय अस्पतालों के साथ मिलकर पारंपरिक रूप से अस्पतालों की प्रयोगशालाओं बैक्टीरिया की पहचान के लिए मानक टेस्ट करते हैं। ये टेस्ट केवल यह बताते हैं कि बैक्टीरिया कौन सी प्रजाति का है, लेकिन यह नहीं पता चलता कि बैक्टीरिया ने एंटीबायोटिक दवाओं के खिलाफ कितना प्रतिरोध विकसित किया है या उसके आनुवंशिक परिवर्तन क्या हैं।

इसके विपरीत, रियल टाइम जीनोम सीक्वेंसिंग टेस्ट इसके मुकाबले बैक्टीरिया का पूरा आनुवंशिक (जेनेटिक) प्रोफाइल देता है। यह तकनीक उन उत्परिवर्तनों को उजागर करती है जो बैक्टीरिया को एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति कम संवेदनशील या प्रतिरोधी बनाते हैं।

नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि पहले, बैक्टीरिया के विकास पर शोध आम तौर पर पूर्वव्यापी रूप से किया जाता था, यह अक्सर रोगियों के उपचार पूरा होने के कई साल बाद किया जाता था। इसके विपरीत, यह नई विधि चिकित्सकों को वास्तविक समय में बैक्टीरिया में होने वाले परिवर्तनों की निगरानी करने में सक्षम बनाती है, जिससे रोगी की देखभाल के लिए तत्काल और कार्रवाई योग्य जानकारी मिलती है।

डोहर्टी इंस्टीट्यूट और यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न के प्रमुख लेखक स्टेफानो गिउलिएरी ने बताया कि संक्रमण के आरंभ में और उपचार विफलता के समय मरीजों से लिए गए गोल्डन स्टैफ नमूनों की तुलना करने पर शोधकर्ताओं ने पाया कि एक तिहाई मामलों में बैक्टीरिया में उत्परिवर्तन विकसित हो गए थे, जिससे इसके लिए मानक एंटीबायोटिक्स अप्रभावी हो गए थे।

गिउलिएरी ने कहा, "एक मामले में, गोल्डन स्टैफ संक्रमण को शुरू में नियंत्रित करने के बाद, रोगी एंटीबायोटिक्स बंद करने के दो महीने बाद अस्पताल वापस आया।"

उन्होंने कहा कि दो महीने के भीतर प्रतिरोध अस्सी गुना बढ़ गया, लेकिन रियल टाइम जीनोम सीक्वेंसिंग ने चिकित्सकों को उपचार को सफलतापूर्वक अनुकूलित करने और संक्रमण को ठीक करने में सक्षम बनाया।

बयान में कहा गया है कि अध्ययन के बाद, विक्टोरियन अस्पताल उपचार-प्रतिरोधी मामलों के लिए दुनिया की पहली क्लिनिकल जीनोमिक सेवा शुरू करेंगे।

--आईएएनएस

डीकेएम/जीकेटी

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