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ईरान में मिसाइल हमले में बाल-बाल बचे भारतीय पत्रकार, पिता ने सुनाई बेटे की कहानी

लखनऊ, 19 जून (आईएएनएस)। लखनऊ के रहने वाले अमीर अब्बास जैदी इन दिनों भावनाओं के तूफान से गुजर रहे हैं। एक तरफ बेटे की सलामती की राहत, दूसरी तरफ उसकी सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता। उनका बेटा रविश, जो पिछले 15 वर्षों से ईरान में एक समाचार चैनल के साथ काम कर रहा है, हाल ही में एक मिसाइल हमले में चंद सेकंडों के फासले से बाल-बाल बच गया।
ईरान में मिसाइल हमले में बाल-बाल बचे भारतीय पत्रकार, पिता ने सुनाई बेटे की कहानी

लखनऊ, 19 जून (आईएएनएस)। लखनऊ के रहने वाले अमीर अब्बास जैदी इन दिनों भावनाओं के तूफान से गुजर रहे हैं। एक तरफ बेटे की सलामती की राहत, दूसरी तरफ उसकी सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता। उनका बेटा रविश, जो पिछले 15 वर्षों से ईरान में एक समाचार चैनल के साथ काम कर रहा है, हाल ही में एक मिसाइल हमले में चंद सेकंडों के फासले से बाल-बाल बच गया।

जैदी ने समाचार एजेंसी आईएएनएस को बताया, “हम उससे संपर्क करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन बात नहीं हो पा रही थी। तभी एक चैनल पर देखा कि जिस बिल्डिंग में वह काम करता है, उस पर बमबारी हुई है। उसी वक्त हमें अंदाजा हुआ कि कुछ बहुत गंभीर हो गया है।”

दरअसल, रविश पिछले साल 23 सितंबर को मां के निधन के बाद भारत वापस आया था। इसके कुछ दिनों बाद वह दोबारा ईरान वापस चला गया।

जैदी ने बताया, “एक पिता के तौर पर मेरा दिल बैठ गया। लेकिन बाद में रविश ने बताया कि हमले से कुछ सेकंड पहले ही वह बिल्डिंग से बाहर निकला था। वह किस्मत से बचा। इतना ही नहीं, हमले के बाद वह वापस अंदर गया और रिपोर्टिंग भी की।”

जब आखिरकार बाप-बेटे की बातचीत हुई, तो रविश ने हालात को सहज तरीके से लिया। उन्होंने पिता से कहा, "हमारी किस्मत में शहादत नहीं थी, इसलिए बच गए। फर्ज निभा रहे हैं।"

जैदी ने भावुक होकर कहा कि इस गंभीर हमले के बावजूद रविश ने ईरान छोड़ने का कोई इरादा नहीं जताया है।

जैदी बताते हैं, “वो कहता है कि बड़े शहरों में जिंदगी सामान्य है। माहौल युद्धग्रस्त नहीं लगता। लोग शांत हैं, देश बहुत खूबसूरत है और ईरानी लोग बहुत मेहमाननवाज हैं।”

ईरान में इस समय हवाई अड्डे बंद हैं और क्षेत्रीय तनाव के कारण स्थिति अस्थिर बनी हुई है, जिससे रविश की भारत वापसी अभी संभव नहीं है।

जैदी कहते हैं, “मैं उसके फैसले पर भरोसा करता हूं, लेकिन एक पिता के तौर पर चिंता तो होती ही है। वो अपना फर्ज निभा रहा है, मुझे उस पर गर्व है, लेकिन मैं बस चाहता हूं कि वह सुरक्षित रहे।”

--आईएएनएस

डीएससी/एससीएच/एबीएम

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