ईरान-इजराइल युद्ध में अमेरिका के उतरने से बढ़ा वैश्विक तनाव, भारत में विपक्ष हमलावर, जानें किसने क्या कहा

22 जून 2025 की आधी रात को पूरी दुनिया स्तब्ध रह गई, जब ईरान और इजराइल के बीच चल रहे युद्ध में अमेरिका ने सीधे हस्तक्षेप करते हुए ईरान पर बड़ा हमला कर दिया। इस हमले में अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों - फोर्डो, नतांज और इस्फहान को निशाना बनाकर भारी तबाही मचाई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद सोशल मीडिया पर इस ऑपरेशन की जानकारी दी। इस हमले से वैश्विक राजनीति में भूचाल आ गया है। कई देशों ने अमेरिका की इस कार्रवाई की आलोचना की है। भारत में भी विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और केंद्र सरकार की चुप्पी को आड़े हाथों लिया है।
सोनिया गांधी ने सरकार को घेरा
कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी ने एक अखबार में प्रकाशित अपने लेख के माध्यम से मोदी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने लिखा, "भारत की लंबे समय से चली आ रही फिलिस्तीन समर्थक नीति को मोदी सरकार ने दरकिनार कर दिया है। भारत को चाहिए कि वह तुरंत दो-राष्ट्र समाधान की नीति पर वापसी करे और पश्चिम एशिया में शांति स्थापित करने के लिए सक्रिय कूटनीतिक प्रयास करे।
उन्होंने यह भी कहा कि "गाजा में हो रही तबाही और ईरान पर बिना उकसावे के हो रहे हमलों पर भारत की चुप्पी हमारी नैतिक और कूटनीतिक परंपराओं पर गहरी चोट है। यह न केवल अंतरराष्ट्रीय मूल्यों की अनदेखी है, बल्कि भारत की प्रतिष्ठा को भी नुकसान पहुंचाती है।"
अखिलेश यादव ने बताई विदेश नीति भ्रामक
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने भारत की विदेश नीति पर सवाल उठाते हुए कहा, "हमारी विदेश नीति अब भ्रामक होती जा रही है। यह वक्त बताता है कि आप किसके साथ खड़े हैं। अगर आपने अपने पुराने दोस्त को ऐसे समय में अकेला छोड़ दिया है, तो ये एक गंभीर कूटनीतिक चूक है।"
लेफ्ट पार्टियों का संयुक्त बयान
लेफ्ट पार्टियों - सीपीआई(M), सीपीआई, सीपीआई(एमएल), आरएसपी और फॉरवर्ड ब्लॉक - ने एक संयुक्त बयान जारी कर अमेरिका के हमले की कड़ी निंदा की। बयान में कहा गया, "यह हमला ईरानी संप्रभुता और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन है। इससे वैश्विक शांति और स्थिरता को खतरा है।"
उन्होंने आगाह किया कि इस संघर्ष का सबसे ज्यादा असर भारत जैसे देशों पर पड़ेगा, जो पश्चिम एशिया पर तेल और श्रमिकों के रोजगार के लिए निर्भर हैं। लेफ्ट पार्टियों ने अमेरिका और इजराइल समर्थक नीति को छोड़ने की मांग करते हुए देशभर में विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है।
ओवैसी ने बताया अमेरिकी संविधान का उल्लंघन
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस हमले को अंतरराष्ट्रीय और अमेरिकी कानून का उल्लंघन बताया। उन्होंने कहा, "कांग्रेस की मंजूरी के बिना अमेरिका युद्ध नहीं कर सकता। यह यून चार्टर और एनपीटी का उल्लंघन है।"
जेडीयू ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण
जेडीयू नेता केसी त्यागी ने अमेरिका की सैन्य कार्रवाई को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा, "अमेरिका को शांति के प्रयास करने चाहिए थे, न कि युद्ध भड़काना चाहिए था। यूएनएससी को तुरंत बैठक बुलाकर युद्धविराम की घोषणा करनी चाहिए।"
आरजेडी और महबूबा मुफ्ती ने भी जताई चिंता
आरजेडी नेता मनोज झा ने कहा, "अमेरिका की यह कार्रवाई न केवल क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ा रही है, बल्कि विश्व शांति के लिए भी गंभीर खतरा है। इससे अंतरराष्ट्रीय कानूनों की धज्जियां उड़ रही हैं।" महबूबा मुफ्ती, पीडीपी प्रमुख और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा, "भारत, हमलावर पक्ष के साथ खड़ा होता दिखाई दे रहा है। मुस्लिम देशों का संगठन OIC भी निष्क्रिय नजर आ रहा है।"