Samachar Nama
×

पीएम मोदी ने बीदरी कला को दिलाई अंतरराष्ट्रीय पहचान, कलाकारों ने जताई खुशी

बीदर, 13 जुलाई (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अपनी विदेश यात्रा के दौरान घाना के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और स्पीकर को खास गिफ्ट दिए। इसने कर्नाटक की बीदरी कला की ख्याति में चार चांद लगा दिए हैं। बीदरी कलाकारों ने पीएम मोदी से खुद को मिली इस नई पहचान पर रविवार को खुशी व्यक्त की।
पीएम मोदी ने बीदरी कला को दिलाई अंतरराष्ट्रीय पहचान, कलाकारों ने जताई खुशी

बीदर, 13 जुलाई (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अपनी विदेश यात्रा के दौरान घाना के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और स्पीकर को खास गिफ्ट दिए। इसने कर्नाटक की बीदरी कला की ख्याति में चार चांद लगा दिए हैं। बीदरी कलाकारों ने पीएम मोदी से खुद को मिली इस नई पहचान पर रविवार को खुशी व्यक्त की।

पीएम मोदी ने अपनी विदेश यात्रा के दौरान घाना के राष्ट्रपति जॉन ड्रामानी महामा को 500 साल पुराना पारंपरिक बीदरी बर्तन भेंट किया, जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है। बहमनी सल्तनत के दौरान शुरू हुई बीदर की बीदरी कला ने वैश्विक पहचान हासिल कर ली है। उन्होंने पारंपरिक इतिहास वाला बीदरी वेयर फूलदान भेंट किया।

बीदर के एक कलाकार ने आईएएनएस से कहा, "यह देखकर कि हमारी बनाई हुई चीज को इतने ऊंचे स्तर पर प्रदर्शित किया जा रहा है, हमें गर्व से भर देता है। यह जानकर कि हमारा काम इतनी प्रसिद्धि तक पहुंच गया है, हम अभिभूत और भावुक हो गए। हालांकि, इसे बनाने वाले कारीगरों को हमेशा पूरी पहचान नहीं मिलती, लेकिन यह जानकर विशेष खुशी होती है कि हमारे हाथों से बनी एक कलाकृति इतनी महान शख्सियत को उपहार में दी गई है।"

एक अन्य कलाकार ने कहा, "मुझे बेहद खुशी हुई कि हमारे देश के प्रधानमंत्री ने घाना के राष्ट्रपति को बीदरी वेयर फूलदान भेंट किया। यह सचमुच बहुत गर्व की बात है। हमारे देश में कई पारंपरिक कलाएं हैं, और उनमें से, विदेशों में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए बीदरी कला को चुनना हमारे लिए बहुत खुशी की बात है।"

उल्लेखनीय है कि पीएम मोदी हमेशा से ही अपनी विदेश यात्राओं के दौरान विदेशी गणमान्य व्यक्तियों को विशेष उपहार देकर सम्मानित करते हैं। इस बार, 30 साल बाद, उन्होंने घाना का दौरा किया और घाना के राष्ट्रपति को लगभग 500 साल पुराने प्राचीन हस्तशिल्प से बना बीदरी वेयर फूलदान भेंट किया। यह भारत और घाना के बीच सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने के साथ ही भारत और कर्नाटक की प्राचीन कला के प्रसार का प्रतीक है।

बहमनी सुल्तानों के शासनकाल के दौरान फारसी कला से शुरू हुआ यह शिल्प यहां के कारीगरों द्वारा पांच शताब्दियों से जारी है।

--आईएएनएस

एससीएच/एबीएम

Share this story

Tags