शेख से ठाकुर और अब रे... बांग्लादेश की राजनीति में विरासत को मिटाने की कोशिशें क्यों हो रही हैं तेज़? हसीना के जाते ही क्यों बदला माहौल?
शेख हसीना सरकार के पतन के बाद से बांग्लादेश बड़े राजनीतिक बदलावों से गुज़र रहा है। देश की सत्ता नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस के हाथों में है। लेकिन बांग्लादेश इस समय जिस दौर से गुज़र रहा है, उससे लगता है कि मोहम्मद यूनुस ने अपने लिए अशांति और कुप्रबंधन का नोबेल मँगवा लिया है।बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहे हैं, लेकिन यूनुस चुप हैं। जब भारत विरोध करता है, तो बांग्लादेश की अंतरिम सरकार शेख हसीना के प्रत्यर्पण की माँग करने लगती है, उसे आंतरिक मामलों से दूर रहने की सलाह देती है। लेकिन हाल के दिनों में बांग्लादेश में जो कुछ भी हुआ है, वह स्पष्ट रूप से देश की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को नकारने का एक प्रयास है।
आइए कहानी शुरू से शुरू करते हैं। अगस्त 2024 की तारीख़ याद कीजिए, जब छात्र आंदोलनों के चलते शेख हसीना ने बांग्लादेश छोड़कर भारत में शरण लेने का फ़ैसला किया था। इन आंदोलनों के पीछे हसीना सरकार का वह फ़ैसला था, जिसमें उन्होंने बांग्लादेश की सरकारी नौकरियों में स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल लोगों के वंशजों के लिए 30 प्रतिशत आरक्षण की बात कही थी।यह वही स्वतंत्रता संग्राम है जिसके बाद 1971 में भारत के हस्तक्षेप के बाद बांग्लादेश को पाकिस्तान से आज़ादी मिली और शेख मुजीबुर रहमान ने स्वतंत्र बांग्लादेश की कमान संभाली। शायद दुनिया का कोई और देश होता, तो स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को दिए जाने वाले आरक्षण का इतना विरोध न होता। लेकिन बांग्लादेश के राजनीतिक हालात थोड़े अलग थे।
यूनुस हिंसा पर चुप क्यों हैं?
यह अलग बात हो सकती है कि हसीना सरकार के फ़ैसले के ख़िलाफ़ बांग्लादेश में हुए हिंसक छात्र आंदोलनों के पीछे कौन था। लेकिन अगस्त 2024 में शेख हसीना देश छोड़कर भारत में शरण ले चुकी थीं। उनके जाने के बाद, मोहम्मद यूनुस को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का मुखिया बनाया गया।मोहम्मद यूनुस ख़ुद को बांग्लादेश सरकार का मुख्य सलाहकार भले ही कहते हों, लेकिन सत्ता की कमान उनके हाथ में है और बांग्लादेश में होने वाली हर कार्रवाई उनके इशारे पर होती है। यही वजह है कि जब बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ बड़े पैमाने पर हिंसा होती है, मंदिरों को तोड़ा जाता है, तो मोहम्मद यूनुस की चुप्पी परेशान करने वाली होती है।
शेख मुजीबुर रहमान को भूल गए उपद्रवी
एक कदम और आगे बढ़ते हुए, बांग्लादेश में उपद्रवी, यूनुस सरकार की शह पर, अपनी ही सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को नकारने की कोशिश करने लगे हैं। पूरी दुनिया इस सच्चाई से वाकिफ है कि 1971 से पहले, जब बांग्लादेश पूर्वी पाकिस्तान था, पाकिस्तानी सेना वहाँ बंगाली भाषी लोगों पर कैसे अत्याचार करती थी।भारत के सहयोग से और शेख मुजीबुर रहमान के नेतृत्व में, बांग्लादेश ने अपनी आज़ादी के लिए संघर्ष किया और दमनकारी पाकिस्तानी सरकार से आज़ादी की घोषणा की। शेख हसीना उन्हीं मुजीबुर रहमान की बेटी हैं। बांग्लादेश को आज़ादी दिलाने वाले शेख मुजीबुर रहमान उर्फ़ बंगबंधु के योगदान को भुलाकर, बांग्लादेश में उनकी मूर्ति तोड़ने की घटनाएँ सामने आईं।फरवरी 2025 में, ढाका स्थित शेख मुजीबुर रहमान के पैतृक घर का एक हिस्सा ध्वस्त कर दिया गया। यहीं पर मुजीबुर रहमान और उनके परिवार के कई सदस्यों की हत्या कर दी गई थी। मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश में घोर अत्याचार करने वाले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ़ से मुलाकात की और 1971 के मुद्दों को सुलझाने पर बात की।
संस्कृति और विरासत को मिटाने का प्रयास
बांग्लादेश में हाल ही में हुई घटना महान फिल्म निर्माता सत्यजीत रे के पैतृक घर को गिराए जाने की है। हालाँकि अधिकारी तर्क दे रहे हैं कि आवश्यक मंज़ूरी के बाद इस घर को तोड़ा जा रहा है, लेकिन ढाका के पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि इमारत की सुरक्षा के उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया था।इससे पहले जून 2025 में बांग्लादेश के सिराजगंज ज़िले में स्थित रवींद्रनाथ टैगोर के पैतृक घर में तोड़फोड़ की घटना हुई थी। भीड़ ने अधिकारियों पर हमला किया और संग्रहालय के सभागार को तोड़-फोड़ कर क्षतिग्रस्त कर दिया। इस संग्रहालय को अब अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है।
भारत ने चिंता व्यक्त की
भारत ने इन घटनाओं पर चिंता व्यक्त की है और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी सत्यजीत रे के पैतृक घर को गिराए जाने पर आपत्ति जताई है। भारत ने इस ऐतिहासिक इमारत की मरम्मत और जीर्णोद्धार में बांग्लादेश सरकार को सहायता की पेशकश की है।कोई देश अपने इतिहास से कितना मुँह मोड़ेगा, यह चर्चा का विषय हो सकता है। लेकिन बांग्लादेश की संस्कृति और विरासत को नकारने और नष्ट करने की राजनीति मोहम्मद यूनुस और उनकी सरकार का असली चेहरा उजागर करती है। यूनुस उस पाकिस्तान की गोद में बैठकर बचकानी हरकत कर रहे हैं जो खुद भीख पर पल रहा है और भारत को नसीहतें दे रहा है।

