हलक में आ गई व्लादिमीर पुतिन की जान! जब यूक्रेनी ड्रोन हमले में फंस गया रूसी राष्ट्रपति का हेलीकॉप्टर

यूक्रेन की खुफिया एजेंसियों ने रविवार को रूस के अंदर कई एयरबेस को निशाना बनाकर एक बेहद जटिल और खुफिया ऑपरेशन को अंजाम दिया। इस हमले में रूस को भारी नुकसान हुआ और उसके 41 युद्धक विमान नष्ट हो गए। यूक्रेनी एजेंटों ने दूर की सीमाओं को पार करने के लिए एक अनूठा तरीका अपनाया। उन्होंने लकड़ी के शेड की छतों के अंदर विस्फोटकों से लैस ड्रोन छिपाए। इन शेड को ट्रकों में लादकर रूसी एयरबेस पर पहुंचाया गया। तय जगह पर पहुंचने के बाद, इन शेड की छतों को रिमोट कंट्रोल से खोला गया और अंदर छिपे क्वाडकॉप्टर ड्रोन ने रनवे पर तैनात बमवर्षकों पर हमला करने के लिए एक साथ उड़ान भरी। रॉयटर्स से बात करने वाले एक यूक्रेनी सुरक्षा अधिकारी के अनुसार, 'स्पाइडर वेब' कोडनेम वाले इस ऑपरेशन में चार रूसी एयरबेस को निशाना बनाया गया और यह यूक्रेन द्वारा किया गया अब तक का सबसे बड़ा ड्रोन हमला था।
यूक्रेन का सबसे बड़ा ड्रोन हमला
'स्पाइडर वेब' नाम का यह ऑपरेशन यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की और यूक्रेन की घरेलू खुफिया एजेंसी, एसबीयू के प्रमुख वासिल मालियुक की सीधी निगरानी में चलाया गया। क्षतिग्रस्त हुए विमानों की संख्या अभी भी अपुष्ट है, लेकिन अगर पुष्टि हो जाती है, तो यह हमला युद्ध की शुरुआत के बाद से यूक्रेन द्वारा किया गया सबसे घातक ड्रोन हमला होगा, जिसमें 117 ड्रोन का इस्तेमाल किए जाने का दावा किया गया है। विज्ञापन
लकड़ी के शेड में छिपे ड्रोन
यूक्रेनी अधिकारियों द्वारा साझा की गई तस्वीरों और वीडियो में एक औद्योगिक गोदाम में दर्जनों छोटे ड्रोन तैयार दिखाई दे रहे हैं, और लकड़ी के शेड के अंदर छिपे ड्रोन भी दिखाई दे रहे हैं, जिनकी छतें हटा दी गई हैं। वहीं, रूसी सोशल मीडिया पर प्रसारित कुछ असत्यापित वीडियो में, ट्रकों पर इसी तरह के शेड्स लदे हुए दिखाई दे रहे हैं, जिनकी छतें हटा दी गई हैं और उनके अंदर से ड्रोन उड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं।
रूसी टीयू-22एम सुपरसोनिक बमवर्षक विमान नष्ट
इस ऑपरेशन का सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य रूस के इरकुत्स्क क्षेत्र में स्थित बेलाया एयरबेस था, जो युद्ध क्षेत्र से 4,300 किमी दूर है। यह टीयू-22एम सुपरसोनिक बमवर्षकों का घर है, जिनका नियमित रूप से यूक्रेन के बुनियादी ढांचे पर मिसाइल हमलों में इस्तेमाल किया जाता रहा है। उपलब्ध वीडियो में कई बमवर्षक जलते हुए दिखाई दे रहे हैं, जिनमें एक टीयू-95 भी शामिल है। इस हमले की खास बात यह है कि इसे सामान्य ड्रोन या मिसाइलों की पहुंच से दूर जगहों पर अंजाम दिया गया। इसका मतलब है कि यूक्रेन के ड्रोन पहले से ही रूस के अंदर गुप्त रूप से तैनात थे।
क्यों-किन एयरबेस को बनाया निशाना?
रूस ने भी इस हमले की पुष्टि की है। रूसी रक्षा मंत्रालय ने बताया कि यूक्रेन ने मरमंस्क, इरकुत्स्क, इवानोवो, रियाज़ान और अमूर क्षेत्रों में सैन्य हवाई अड्डों पर ड्रोन हमले किए। मंत्रालय के अनुसार, ज़्यादातर जगहों पर ड्रोन को नाकाम कर दिया गया, लेकिन मरमंस्क और इरकुत्स्क में कुछ विमान पास से लॉन्च किए गए FPV ड्रोन की वजह से जल गए। मंत्रालय ने कहा कि आग पर काबू पा लिया गया है और किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। विज्ञापन
ट्रक लाने वाले ड्राइवरों से पूछताछ की जा रही है
रूस की आधिकारिक समाचार एजेंसी TASS ने बताया कि ड्रोन ले जाने वाले ट्रकों के ड्राइवरों से पूछताछ की जा रही है। यह हमला ठीक एक हफ़्ते पहले हुआ था, जब रूस ने 367 मिसाइलों और ड्रोन के साथ यूक्रेनी शहरों पर अपना अब तक का सबसे बड़ा हवाई हमला किया था, जिसमें तीन बच्चों सहित 13 नागरिक मारे गए थे। उस हमले में कीव, खार्किव, मायकोलाइव समेत कई शहरों को भारी नुकसान पहुंचा था।
योजना बनाने में डेढ़ साल का समय लगा
रिपोर्ट के मुताबिक, ऑपरेशन की योजना बनाने में डेढ़ साल का समय लगा। इसे अंजाम देने के लिए यूक्रेन ने फर्स्ट-पर्सन-व्यू (FPV) ड्रोन का इस्तेमाल किया, जिन्हें ट्रकों में बने लकड़ी के मोबाइल केबिन में छिपाकर रूस के अंदर भेजा गया। रिपोर्ट में कहा गया है, "जब सही समय था, तो उन केबिनों की छतों को दूर से खोला गया और ड्रोन सीधे रूसी बमवर्षकों को निशाना बनाने के लिए उड़े।"
कम पैसे में बड़ा हमला
यूक्रेनी हमले को कम लागत में बड़ा असर वाला माना जाता है। FPV ड्रोन की कीमत कुछ सौ डॉलर है, जबकि 41 भारी बमवर्षकों की कुल कीमत अरबों डॉलर में होने का अनुमान है। मार्च में यूक्रेन ने 3000 किलोमीटर की रेंज वाले नए ड्रोन के निर्माण की घोषणा की, लेकिन इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी। एसबीयू का कहना है कि उसके ड्रोन उन विमानों को निशाना बना रहे हैं जो हर रात यूक्रेनी शहरों पर बम गिराते हैं।