ईरान को ट्रंप की खुली धमकी : खामेनेई को फिलहाल नहीं मारेंगे, अमेरिका जानता है वो कहां छिपे हैं

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ पर बड़ा ऐलान करते हुए ईरान को बिना शर्त आत्मसमर्पण करने को कहा है। ट्रंप ने साफ किया कि अमेरिका को पता है कि ईरान का तथाकथित सुप्रीम लीडर कहां छिपा है, लेकिन "फिलहाल हम उन पर हमला नहीं करेंगे। अभी हम उन्हें नहीं मारेंगे।" उन्होंने यह भी जोड़ा, "हम नहीं चाहते कि अमेरिकी नागरिकों या जवानों को मिसाइल हमलों में नुकसान पहुंचे, लेकिन हमारा धैर्य खत्म होता जा रहा है।"
यह बयान ऐसे समय में आया है जब ईरान और इज़रायल के बीच जारी सैन्य संघर्ष ने मिडिल ईस्ट को युद्ध के मुहाने पर ला खड़ा किया है। इस संघर्ष में अब तक सैकड़ों नागरिक मारे जा चुके हैं, और कई इमारतें पूरी तरह तबाह हो चुकी हैं। इसके साथ ही वैश्विक तेल बाजार में भी बड़ी उथल-पुथल मची हुई है।
ट्रंप बोले: ईरान के आसमान पर अमेरिका का पूर्ण नियंत्रण
अपने बयान में ट्रंप ने दावा किया कि “ईरान के आसमान पर अमेरिका का पूरा और संपूर्ण नियंत्रण है।” उन्होंने कहा कि भले ही ईरान के पास स्काई ट्रैकर और रक्षात्मक उपकरण हों, लेकिन उनकी तुलना अमेरिका की सैन्य तकनीक से नहीं की जा सकती। ट्रंप ने ईरानी रक्षा प्रणालियों को 'कमजोर' बताते हुए अमेरिका की श्रेष्ठता पर जोर दिया।
ईरान-इजरायल संघर्ष: 5 दिन में भारी तबाही
ईरान और इज़रायल के बीच जारी युद्ध के सिर्फ पांच दिनों में ही ईरान में 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें अधिकतर आम नागरिक शामिल हैं। वहीं, इज़रायल में 24 लोगों की मौत मिसाइल हमलों में हुई है। यह संघर्ष लगातार और भी व्यापक होता जा रहा है, जिससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता बढ़ गई है।
सीजफायर नहीं, 'असली अंत' चाहते हैं: ट्रंप
एयर फोर्स वन विमान में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने कहा, “हम सीजफायर से बेहतर चीज की तलाश में हैं।” बाद में उन्होंने इसे स्पष्ट करते हुए कहा कि अमेरिका सिर्फ संघर्षविराम नहीं बल्कि “एक स्थायी और असली अंत” चाहता है। ट्रंप का यह बयान फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों के सीजफायर के दावे को भी खारिज करता है।
कूटनीति या युद्ध? अमेरिका का अगला कदम क्या होगा?
न्यूज एजेंसी रायटर्स के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति ने संकेत दिए हैं कि अमेरिका उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल को ईरान से कूटनीतिक वार्ता के लिए भेज सकता है। इसमें उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और मध्य पूर्व में अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ शामिल हो सकते हैं। हालांकि, साथ ही सैन्य विकल्पों पर भी गंभीरता से विचार हो रहा है।
परमाणु ठिकानों पर हमला या समझौता?
ईरान और इज़रायल के बीच जारी संघर्ष का एक बड़ा कारण है ईरान का विवादास्पद परमाणु कार्यक्रम। इज़रायल पहले ही ईरान के नतांज और फोर्डो जैसे भूमिगत परमाणु ठिकानों को निशाना बना चुका है। अमेरिका ने भी ईरान को 60 दिन का अल्टीमेटम दे रखा था, जिसके बाद अब सीधे सैन्य हस्तक्षेप की संभावना लगातार बढ़ रही है।
क्या मिडिल ईस्ट में छिड़ेगा महायुद्ध?
डोनाल्ड ट्रंप की तीखी चेतावनी और अमेरिका की सैन्य तैयारी से साफ है कि हालात बेहद गंभीर हैं। अगर अमेरिका इज़रायल के साथ मिलकर ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला करता है, तो मिडिल ईस्ट में एक और बड़ा युद्ध भड़क सकता है। इसका असर भारत समेत दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं और तेल बाजारों पर भी भारी पड़ेगा।