जंग के बीच ईरान में फंसे हजारों भारतीय छात्र, समझें- वहां से यूक्रेन स्टाइल में भारतीयों को निकालना क्यों आसान नहीं, सुनाई आपबीती

ईरान में पिछले पांच दिनों से जारी इज़रायल के हवाई हमलों ने पूरे देश को जंग की आग में झोंक दिया है। इस बीच, वहां एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्र भारी संकट में फंस गए हैं। लगातार हो रहे विस्फोट, ढहती इमारतें और हवाई हमलों की आवाजें अब इन छात्रों के लिए खौफनाक हकीकत बन गई हैं। छात्र भारत सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं।
धमाकों और डर के बीच गुजर रही जिंदगी
शहीद बेहेश्ती यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज के थर्ड ईयर एमबीबीएस छात्र काशिफ मुख्तार ने आजतक से बातचीत में कहा, “हर 10 मिनट बाद धमाकों की आवाजें आने लगती हैं। कभी ऊपर से उड़ते फाइटर जेट्स की गड़गड़ाहट, कभी आसपास की इमारत ढहने की आवाज। हालात ऐसे हैं कि नींद तक नहीं आती। डर के साए में दिन और रात गुजर रहे हैं।”
दूतावास ने शिफ्ट किया, लेकिन खतरा बरकरार
भारतीय दूतावास ने कई छात्रों को तेहरान से निकालकर 'कुंभ सिटी' पहुंचा दिया है। लेकिन छात्र इसे भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं मान रहे। काशिफ बताते हैं, “हमें 16 जून को शाम 7-8 बजे कुंभ सिटी लाया गया, लेकिन यह जगह भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं है। हर समय सायरन और अलर्ट की आवाजें सुनाई देती हैं।” ईरान का हवाई क्षेत्र बंद है, जिससे फ्लाइट के जरिए निकासी संभव नहीं है। छात्रों को अजरबैजान, तुर्कमेनिस्तान या अफगानिस्तान के रास्ते बाहर जाने की सलाह दी गई है, लेकिन इस पर अभी तक भारतीय दूतावास की ओर से कोई स्पष्ट निर्देश नहीं मिला है।
इंडियन एंबेसी की मदद – ठहराव, भोजन और सुरक्षात्मक उपाय
भारतीय दूतावास ने छात्रों के लिए रहने और खाने की व्यवस्था की है। कुंभ सिटी में होटल का पूरा खर्च दूतावास उठा रहा है। कुछ अधिकारी भी छात्रों के साथ मौजूद हैं। छात्रों को सलाह दी गई है कि वे मेट्रो स्टेशनों जैसे अंडरग्राउंड शेल्टरों में शरण लें, जिन्हें 24 घंटे के लिए खोला गया है।
ईरानी यूनिवर्सिटी ने परीक्षाएं टालीं, ऑनलाइन क्लासेस की शुरुआत
शहीद बेहेश्ती यूनिवर्सिटी समेत कई संस्थानों ने परीक्षाएं स्थगित कर दी हैं। कुछ क्लासेस ऑनलाइन मोड में भी शुरू की गई हैं। लेकिन युद्ध क्षेत्र से निकलने के लिए कोई ठोस योजना अभी सामने नहीं आई है। छात्रों की चिंता अब पढ़ाई से ज्यादा अपनी जान बचाने पर है।
कुछ छात्र निकाले गए, लेकिन अधिकांश अब भी फंसे
उर्मिया यूनिवर्सिटी के कुछ छात्रों को अर्मेनिया बॉर्डर के जरिए बाहर निकाला गया है और उनके जल्द दिल्ली पहुंचने की उम्मीद है। लेकिन तेहरान और अन्य युद्ध प्रभावित इलाकों में फंसे छात्रों के लिए अभी तक कोई ठोस राहत योजना नहीं बन सकी है।
भारत सरकार से भावुक अपील
काशिफ और उनके साथी छात्रों ने भारत सरकार से अपील की है: “हमें यहां से सुरक्षित निकालिए। जैसे उर्मिया यूनिवर्सिटी के छात्रों को बाहर निकाला गया, वैसे ही हमें भी भारत वापस लाया जाए। इंटरनेट और नेटवर्क की दिक्कत के कारण हम परिवार से भी ठीक से बात नहीं कर पा रहे हैं।” एक रिपोर्ट के अनुसार, ईरान में करीब 10 हजार से अधिक भारतीय नागरिक रहते हैं, जिनमें से 1500 से 2000 स्टूडेंट्स हैं। अधिकांश अभी भी युद्ध प्रभावित इलाकों में फंसे हुए हैं।