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अपना मकसद भूल चुकी है संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद

जयपुर, विश्व में मानावाधिकारों की रक्षा के उद्धेश्य से 2006 में स्थापित की गई संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद विवादों के घेरे मे नजर आ रही है। जिस उम्मीद के साथ इसकी स्थापना की गई थी तब किसी को भी यह आशंका नहीं थी की आगे चलकर यह पक्षपात करने लगेगी। परिषद का मुख्य काम मानवाधिकारों
अपना मकसद भूल चुकी है संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद

जयपुर, विश्व में मानावाधिकारों की रक्षा के उद्धेश्य से 2006 में स्थापित की गई संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद विवादों के घेरे मे नजर आ रही है। जिस उम्मीद के साथ इसकी स्थापना की गई थी तब किसी को भी यह आशंका नहीं थी की आगे चलकर यह पक्षपात करने लगेगी। परिषद का मुख्य काम मानवाधिकारों की रक्षा करना है जिसका मुख्यालय स्विटररलैंड के जेनेवा शहर मे है।Image result for संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद

परिषद की ओर से जम्मू कश्मीर पर दी गई रिपोर्ट विवाद के घेरे में नजर आ रही है। जम्मू कश्मीर को लेकर 14 जून को जारी हुई 49 पृष्टों की रिपोर्ट को परिषद के उच्चायुक्त जैद राद हुसैन ने तैयार किया है। उन्होंने वास्तविक तथ्यों को दरकिनार करते हुए लोगों को बयानों व मीडिया की खबरों के आधार पर रिपोर्ट तैयार की है।Image result for संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद

जो रिपोर्ट तैयार करने का सरासर गलत तरीका है। क्योंकि रिपोर्ट पर संदेह हो रहा है कि इसके आंकड़े सही भी है या नहीं। सही बात तो यह है कि इन तरीकों से तो सिर्फ पक्षपातपूर्ण रिपोर्ट तैयार हो सकती है। जो परिषद के प्रमुख जैद ने की है।Image result for संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद

अमेरिका ने तोड़ा था नाता

इसका एक उदाहरण यह भी है कि अमेरिका ने 19 जून को परिषद से नाता यह कहकर तोड़ लिया था कि यह इजराइल विरोधी संस्था है। वहीं उन्होंने अपने आप को बाहर करते हुए यह भी कहा था कि लंबे समय से परिषद में कोई सुधार नहीं दिखाई दे रहा है जिससे वह बाहर हो रहा है। बता दें कि परिषद के इस रवैये के चलते पहले भी अमेरिका तीन साल तक इससे बाहर रहा है। उसके बाद बराक ओबामा 2009 में इसमे फिर से शामिल हुए थे। गौरतलब है कि अमेरिका ट्रंप के शासन काल में कई सारे कठौर फैसल ले चुका है। जैसे पेरिस जलवायु समझौता, इरान डील आदी।

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