ईरान पर हमले के बाद तालिबान को आया गुस्सा, अंतरराष्ट्रीय मंच से मुस्लिम देशों को दी सलाह

मध्य पूर्व में सुलगता युद्ध का मैदान और भी खतरनाक हो गया है। इजराइल और ईरान के बीच पहले से ही युद्ध की आग भड़की हुई है, ऊपर से अमेरिकी बमबारी ने पूरे इलाके को बारूद के ढेर में तब्दील कर दिया है। लेकिन अब इस आग में एक ऐसा नाम भी कूद पड़ा है, जिसकी धमक सुनकर पूरी दुनिया हैरान है। वो नाम है- तालिबान! जी हां, वही तालिबान जो कुछ साल पहले तक अफगानिस्तान की पहाड़ियों में छिपा हुआ था, अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर खुलकर खड़ा होकर अमेरिका और इजराइल को आंखें दिखा रहा है। जिस तालिबान को संयुक्त राष्ट्र भी मान्यता नहीं देता, वो अब OIC जैसे मंचों पर भाषण देकर दुनिया के मुस्लिम देशों को युद्ध के लिए उकसा रहा है। इजराइल और ईरान के बीच छिड़े युद्ध के बीच तालिबान ने ये भी ऐलान कर दिया है कि अगर अमेरिका ईरान पर हमला करता है तो तालिबान चुप नहीं बैठेगा।
इस चेतावनी के बाद मध्य पूर्व में हालात और विस्फोटक हो गए हैं। मुत्तकी ने साफ कहा- "मैं ओआईसी के सदस्य देशों से अपील करता हूं कि वे इजरायली शासन द्वारा फिलिस्तीन और अब ईरान के खिलाफ किए जा रहे अत्याचारों को रोकें। अगर यह सिलसिला नहीं रुका तो इसके परिणाम भयानक होंगे। इससे पूरे मुस्लिम जगत की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी।" यह तालिबान का अब तक का सबसे बड़ा कूटनीतिक हमला था। अब तक तालिबान अमेरिका, इजरायल और पश्चिमी देशों की नजर में एक आतंकी संगठन था। लेकिन अब तालिबान खुद को इस्लामिक देशों का प्रतिनिधि कहने लगा है। मुत्तकी ने ओआईसी में सिर्फ भाषण नहीं दिया, बल्कि सीधा रणनीतिक एजेंडा पेश किया- "यह मंच सिर्फ भाषणों के लिए नहीं, बल्कि संयुक्त कार्रवाई के लिए होना चाहिए। अब मुस्लिम देशों के लिए एक साथ आकर वैश्विक ताकतों को चुनौती देने का समय आ गया है।" तालिबान ने ओआईसी को नसीहत देने की हिम्मत भी की। मुत्तकी ने कहा कि सिर्फ निंदा करने के बजाय इस्लामिक देशों को एकजुट होकर ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि विश्व राजनीति में उनकी आवाज सुनी जाए। इतना ही नहीं, उन्होंने साफ कर दिया कि अगर इजरायल-ईरान युद्ध बढ़ता है तो पूरी दुनिया को इसके भयानक परिणाम भुगतने होंगे।
तालिबान का बदला रूप या नई चाल? तालिबान के इस रवैये को देखकर पूरी दुनिया हैरान है। तालिबान, जिसे अभी तक अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादी शासन माना जाता है, अब खुद को वैश्विक इस्लामी नेतृत्व के रूप में पेश कर रहा है। लेकिन क्या यह सिर्फ दिखावा है या फिर तालिबान वाकई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर नए चेहरे के साथ उभरना चाहता है? दरअसल, तालिबान की चालें बहुत गहरी हैं। उसे पता है कि अमेरिका और पश्चिमी देश फिलहाल उसे मान्यता नहीं देंगे, लेकिन वह ओआईसी जैसे मंचों पर मुस्लिम देशों की सहानुभूति जीत सकता है। फिलिस्तीन और ईरान के मुद्दे पर इजराइल-अमेरिका के खिलाफ खुलकर बोलकर वह अपनी छवि एक इस्लामी योद्धा के रूप में बना रहा है।
लेकिन क्या वाकई तालिबान ईरान की मदद के लिए जाएगा? विशेषज्ञों का मानना है कि तालिबान फिलहाल सीधे युद्ध में कूदने की स्थिति में नहीं है, लेकिन अगर अमेरिका ने ईरान पर बड़ा हमला किया तो यह चरमपंथी समूह अफगानिस्तान सीमा से लेकर पूरे मध्य पूर्व में सक्रिय हो सकता है। इसका मतलब यह है कि युद्ध सिर्फ इजराइल और ईरान के बीच नहीं होगा, बल्कि यह धीरे-धीरे मुसलमानों और पश्चिम के बीच युद्ध बन जाएगा और यही सबसे बड़ा खतरा है। तालिबान को वैश्विक मान्यता क्यों नहीं मिल रही है? अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हुए 3 साल से ज्यादा हो गए हैं, लेकिन आज भी संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका उसे मान्यता नहीं देते। वजह साफ है- तालिबान पर महिलाओं के अधिकारों को कुचलने, शिक्षा पर प्रतिबंध लगाने, मानवाधिकारों का उल्लंघन करने और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करने के आरोप हैं। पश्चिमी देशों का मानना है कि तालिबान अभी भी कट्टर इस्लामी शासन चला रहा है, जिसमें लोकतंत्र और समानता के लिए कोई जगह नहीं है। लेकिन ऐसे समय में तालिबान का OIC में शामिल होना और इजरायल-अमेरिका के खिलाफ मोर्चा खोलना दिखाता है कि तालिबान अब अफगानिस्तान तक सीमित नहीं रहना चाहता। वह खुद को 'इस्लामिक दुनिया के नेता' के तौर पर पेश करना चाहता है।
क्या तालिबान के आने से तीसरा विश्व युद्ध शुरू हो जाएगा? अब हर किसी की जुबान पर यही सवाल है- क्या तालिबान की धमकी के बाद मध्य पूर्व का युद्ध तीसरे विश्व युद्ध में बदल सकता है? अमेरिका पहले ही ईरान पर हमला कर चुका है। इजरायल हर दिन ईरानी ठिकानों पर बम गिरा रहा है। ऐसे में तालिबान जैसे कट्टर संगठन का कूदना आग में घी डालने जैसा है। अगर कुछ और OIC देश तालिबान के साथ खड़े हो गए तो मध्य पूर्व पूरी तरह जल उठेगा और इसका असर भारत, पाकिस्तान, चीन से लेकर अमेरिका तक महसूस किया जाएगा। दुनिया पहले ही रूस-यूक्रेन युद्ध से थक चुकी है और अगर अब मध्य पूर्व में आग भड़की तो सीधे तौर पर तीसरा विश्व युद्ध छिड़ जाएगा।