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सुखोई-35S, Su-57E, सुखोई-75 फाइटर जेट... भारत को रूस ने ललचाया, पाकिस्‍तान के चीनी जेट को मिलेगी टक्‍कर

रूस ने एक बार फिर भारत को अपने पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट Su-57 के निर्यात संस्करण Su-57E की पेशकश की है। खास बात यह है कि इस बार रूस ने ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी (ToT) और यहां तक ​​कि सोर्स कोड देने का वादा किया है, जो भारत के...
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रूस ने एक बार फिर भारत को अपने पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट Su-57 के निर्यात संस्करण Su-57E की पेशकश की है। खास बात यह है कि इस बार रूस ने ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी (ToT) और यहां तक ​​कि सोर्स कोड देने का वादा किया है, जो भारत के लिए रणनीतिक और तकनीकी अवसर साबित हो सकता है। रूस ने भारतीय वायुसेना के MRFA टेंडर के तहत Su-35M जेट की सीधी आपूर्ति का भी प्रस्ताव दिया है, जिससे वायुसेना की 114 मल्टी-रोल फाइटर जेट की जरूरत पूरी हो सकती है। रूस के इस ऑफर से भारतीय वायुसेना को काफी मदद मिल सकती है।

चीन अगले साल तक पाकिस्तान को 5वीं पीढ़ी का फाइटर जेट देने जा रहा है, जिसके जवाबी हमले के लिए रूस का Su-57E स्टील्थ फाइटर जेट जरूरी हथियार साबित होगा। एयरो इंडिया 2025 के दौरान रूस की सरकारी रक्षा कंपनियों रोस्टेक और सुखोई ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) की नासिक फैसिलिटी में Su-57E बनाने का भारत को अहम प्रस्ताव दिया था। यह वही कारखाना है जहां भारत पहले ही 200 से अधिक Su-30MKI का सफलतापूर्वक उत्पादन कर चुका है। नए प्रस्ताव में इसी तर्ज पर Su-57E बनाने की भी योजना है, जिससे भारत को न केवल आत्मनिर्भरता मिलेगी, बल्कि एयरोस्पेस तकनीक में वैश्विक पहचान भी मिलेगी।

सोर्स कोड, स्वदेशी हथियारों का एकीकरण

Su-57E के साथ रूस ने न केवल विमान उपलब्ध कराने का वादा किया है, बल्कि इसके सोर्स कोड तक पहुंच प्रदान करने को भी तैयार है। इसका मतलब है कि भारत रूस की मदद के बिना भी इस विमान में स्वदेशी हथियार और सिस्टम जोड़ सकेगा। इसमें एस्ट्रा बीवीआर मिसाइल, एस्ट्रा बीवीआर मिसाइल, विरुपाक्ष एईएसए रडार और रुद्रम एंटी-रेडिएशन मिसाइल शामिल हैं। इसके अलावा रूस ने Su-57E के स्वदेशीकरण में भारत की 40-60% तक मदद करने का भी वादा किया है, जो मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान को एक बड़ा बढ़ावा साबित होगा।

20-30 विमानों की तत्काल आपूर्ति

रिपोर्ट्स के अनुसार, रूस भारतीय वायुसेना की तत्काल आवश्यकता को पूरा करने के लिए 20 से 30 Su-57E लड़ाकू विमानों की तत्काल आपूर्ति करने के लिए तैयार है। इसके बाद अगर 2026 तक डील फाइनल हो जाती है तो 2030-2032 तक भारत में बने 60-70 लड़ाकू विमान भारतीय वायुसेना में शामिल हो सकते हैं।

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