रूस-यूक्रेन युद्ध: यूक्रेन ने रूस के पांच एयरबेसों पर ड्रोन से बड़ा हमला किया, हाई-रिज़ॉल्यूशन सैटेलाइट तस्वीरों में हुआ नुकसान साफ

फरवरी 2022 में शुरू हुआ रूस-यूक्रेन युद्ध तीन साल से अधिक समय तक जारी है और इसका अंत नज़र नहीं आ रहा। इस भीषण युद्ध में यूक्रेन बुरी तरह प्रभावित हुआ है, वहीं रूस के कई इलाकों को भी यूक्रेन की ओर से भारी नुकसान पहुंचाया गया है। हाल ही में यूक्रेन ने रूस के अंदर स्थित पांच महत्वपूर्ण सैन्य एयरबेसों पर ड्रोन के जरिए सबसे बड़ा हमला किया, जिसने युद्ध के परिदृश्य को फिर से गरमा दिया है। इस हमले में रूस के दर्जनों लड़ाकू विमान तबाह हो गए हैं, जिसका नुकसान अब हाई-रिज़ॉल्यूशन सैटेलाइट तस्वीरों के जरिए भी सामने आ चुका है।
ऑपरेशन स्पाइडर वेब के तहत ड्रोन हमला
1 मई को यूक्रेन ने ऑपरेशन स्पाइडर वेब के तहत रूस के पांच एयरबेसों - मरमंस्क, इरकुत्स्क, इवानोवो, रियाजान और अमूर - पर एफपीवी ड्रोन का इस्तेमाल कर हमला किया। ये सभी एयरबेस रूस के अंदर ही स्थित हैं, जो यूक्रेन सीमा से 500 किलोमीटर से लेकर 8,000 किलोमीटर दूर तक फैले हुए हैं। इस हमले का उद्देश्य रूस की सैन्य ताकत को कमजोर करना था। रूस ने इस हमले को लेकर कहा था कि इवानोवो, रियाजान और अमूर में हुए ड्रोन हमले विफल कर दिए गए थे, लेकिन मरमंस्क और इरकुत्स्क एयरबेस को नुकसान हुआ था। अब इन दोनों एयरबेसों की हाई-रिज़ॉल्यूशन सैटेलाइट तस्वीरें सामने आई हैं, जिनमें हमले से हुए नुकसान के स्पष्ट प्रमाण दिख रहे हैं।
बेलाया और ओलेन्या एयरबेस की तस्वीरें
इरकुत्स्क में बेलाया एयरबेस और आर्कटिक क्षेत्र के मरमंस्क में ओलेन्या एयरबेस की हालिया सैटेलाइट तस्वीरें बेहद चिंताजनक हैं। इन तस्वीरों में कई सैन्य विमानों के मलबे साफ दिख रहे हैं, जो हमले के समय टरमैक पर खड़े थे। बेलाया एयरबेस पर कम से कम दो टुपोलेव टीयू-95 फ्रंटलाइन बॉम्बर विमान जलकर राख हो गए हैं। विस्फोटों की तीव्रता इतनी अधिक थी कि मलबा लगभग 100 मीटर दूर तक फैला हुआ नजर आ रहा है।
एक अन्य तस्वीर में चार Tupolev Tu-22 सुपरसोनिक बॉम्बर टरमैक पर पार्क किए दिख रहे हैं, जबकि पांचवां विमान पूरी तरह नष्ट हो चुका है। इसके अलावा, ज़िगज़ैग फॉर्मेशन में खड़े कई अन्य विमान भी पूरी तरह क्षतिग्रस्त नजर आ रहे हैं। कुल मिलाकर, बेलाया एयरबेस पर कम से कम 10 बॉम्बर विमान नष्ट हुए हैं।
हालांकि, रूसी वायु सेना ने पिछले 48 घंटों में मलबा हटाने का प्रयास किया है, जिससे यह पता लगाना मुश्किल हो रहा है कि कुल कितने विमान पूरी तरह से नष्ट हुए हैं।
आर्कटिक क्षेत्र में ओलेन्या एयरबेस को भी नुकसान
यूक्रेन के ड्रोन हमले की दूसरी बड़ी चोट आर्कटिक क्षेत्र में स्थित ओलेन्या एयरबेस पर लगी है, जो यूक्रेन से लगभग 2,000 किलोमीटर दूर है। यहां की सैटेलाइट तस्वीरों में कई विमान धूल और राख में तब्दील हो चुके हैं। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इनमें से कितने विमान पूरी तरह नष्ट हुए हैं, लेकिन पहले के सैटेलाइट डेटा के अनुसार यहां भी टीयू-22 और टीयू-95 विमान तैनात थे। इसी एयरबेस से यूक्रेन के ड्रोन हमले का पहला वीडियो भी सामने आया था।
अन्य एयरबेसों की स्थिति और आगामी तस्वीरें
रूस के बाकी तीन एयरबेसों - इवानोवो, रियाजान और अमूर - की हालिया सैटेलाइट तस्वीरें अभी बादलों की वजह से स्पष्ट नहीं दिख रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि मौसम साफ होने पर इन स्थानों की हाई-रिज़ॉल्यूशन इमेज सामने आएंगी, जिनमें हमले का वास्तविक नुकसान दिखेगा।
यूक्रेन का दावा है कि इस 'ट्रोजन हॉर्स' शैली के हमले में रूस के 41 सैन्य जेट नष्ट किए गए हैं, जिसमें शामिल हैं टीयू-95 और टीयू-22 बॉम्बर विमान।
युद्ध की नई चाल और भू-राजनीतिक प्रभाव
रूस-यूक्रेन युद्ध अब केवल सीमाओं के भीतर सीमित नहीं रहा, बल्कि साइबेरिया से लेकर आर्कटिक तक फैले बड़े इलाके इस लड़ाई का हिस्सा बन चुके हैं। यूक्रेन का यह ड्रोन हमला रूस के अंदर गहरे सैन्य ठिकानों को निशाना बनाकर युद्ध की रणनीति में नया मोड़ लाया है।
इन हाई-रिज़ॉल्यूशन तस्वीरों ने वैश्विक स्तर पर रूस की सैन्य क्षमता पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है और यूक्रेन की बढ़ती सैन्य दक्षता को उजागर किया है। साथ ही, यह भी साफ हो गया है कि युद्ध अब सिर्फ जमीनी संघर्ष तक सीमित नहीं, बल्कि ड्रोन और आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल के जरिए लड़ा जा रहा है।
निष्कर्ष
तीन साल से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध ने विश्व को सुरक्षा, रणनीति और तकनीकी क्षेत्र में कई नई चुनौतियां दी हैं। हालिया यूक्रेन के ड्रोन हमले ने रूस के सैन्य अड्डों को गहरा नुकसान पहुंचाया है और यह युद्ध के मोर्चे को और व्यापक कर दिया है। हाई-रिज़ॉल्यूशन सैटेलाइट तस्वीरें इस हमले की सच्चाई को साबित कर रही हैं।
आगे की लड़ाई में ये तस्वीरें और विश्लेषण युद्ध की दिशा और नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं। विश्व समुदाय की निगाहें इस युद्ध पर बनी हुई हैं, जहां तकनीक, रणनीति और राजनीतिक निर्णय निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं।