इजरायल के टॉप डिफेंस अधिकारी ने लगाई भारत से मदद की गुहार, रक्षा सचिव से फोन पर की बात, जानें क्या हुई बात

ईरान और इजरायल के बीच जारी युद्ध के तनावपूर्ण माहौल में एक अहम राजनयिक और सैन्य घटनाक्रम सामने आया है। इजरायल के शीर्ष रक्षा अधिकारी ने भारत के रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह से सीधे फोन पर संपर्क साधा है। दोनों देशों की ओर से इस बातचीत की पुष्टि तो हुई है, लेकिन इसकी बारीकियों को गोपनीय रखा गया है। सूत्रों के अनुसार, इजरायल के रक्षा मंत्रालय के डायरेक्टर जनरल (रिटायर्ड) आमिर बराम ने 18 जून 2025 को यह कॉल किया। उन्होंने भारत के रक्षा सचिव को इजरायल की मौजूदा चुनौतियों से अवगत कराया — खासतौर पर गोला-बारूद और एयर डिफेंस क्षमताओं में आई भारी कमी को लेकर।
जंग में फंसा इजरायल, मिसाइलें थमने का नाम नहीं ले रहीं
इजरायल-ईरान युद्ध अब निर्णायक मोड़ पर है। ईरान के "ऑपरेशन ट्रू-प्रॉमिस-3" ने इजरायल के रणनीतिक शहर तेल अवीव पर हाइपरसोनिक मिसाइल फतह से हमला कर डाला। इन मिसाइलों को इजरायल का अत्याधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम — आयरन डोम और ऐरो मिसाइल — समय रहते ट्रैक या इंटरसेप्ट नहीं कर सका। विशेषज्ञों का मानना है कि 2011 में तैयार किया गया आयरन डोम सिस्टम कम दूरी के खतरों के लिए सक्षम है, लेकिन ईरान की लंबी दूरी और हाइपरसोनिक तकनीक ने उसे अप्रभावी बना दिया है। यही वजह है कि भारत से रक्षा बातचीत की यह पहल काफी मायने रखती है।
क्या भारत से मांगा जा सकता है डिफेंस सपोर्ट?
भारत के पास अब मेक इन इंडिया के तहत तैयार की गई कई आधुनिक मिसाइल, इंटरसेप्टर और मल्टी-लेयर डिफेंस तकनीक उपलब्ध है। विशेष रूप से आकाश-न्यू जनरेशन, आकाशतीर सिस्टम और IACCS (Integrated Air Command and Control System) जैसे प्लेटफॉर्म्स ने हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अपनी उपयोगिता सिद्ध की है। यही कारण है कि माना जा रहा है कि इजरायल भारत से या तो गोला-बारूद की आपूर्ति, या फिर कुछ तकनीकी सहयोग की मांग कर सकता है — जिसमें रडार, इंटरसेप्टर यूनिट्स, और कम दूरी की एयर डिफेंस मिसाइलें शामिल हैं।
अमेरिका की सीमित मदद, भरोसेमंद सहयोगी बन सकता है भारत
हालांकि इजरायल अमेरिका के साथ ऐरो-3 और डेविड स्लिंग जैसी परियोजनाओं में जुड़ा हुआ है, लेकिन मौजूदा समय में अमेरिका की प्रतिबद्धता सीमित प्रतीत हो रही है। ऐरो मिसाइल सिस्टम की बहुत कम संख्या ही स्टॉक में बची है, जिससे इजरायल के लिए खतरे की घंटी बज गई है। विश्लेषकों का मानना है कि अगर अमेरिका तत्काल सैन्य सपोर्ट नहीं करता, तो इजरायल के लिए भारत जैसे पुराने रक्षा साझेदार की ओर देखना ही विकल्प रह जाएगा।
पिछली साझेदारियों का मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड
भारत और इजरायल के बीच रक्षा सहयोग दशकों पुराना है।
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कारगिल युद्ध के दौरान इजरायल ने भारत को तत्काल सप्लाई दी थी।
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ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने इजरायली ड्रोन हारोप और हारपी, तथा रैम्पेज मिसाइलों का उपयोग करते हुए पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को नष्ट किया था।
इजरायल के रक्षा उद्योग और भारत के DRDO एवं HAL के बीच संयुक्त परियोजनाएं भी चल रही हैं, जिससे यह सहयोग और गहरा हो चुका है।
रणनीतिक मोड़ पर भारत की भूमिका
ऐसे समय में जब इजरायल भारी दबाव में है, भारत के पास एक बड़ा रणनीतिक अवसर है — एक विश्वसनीय डिफेंस पार्टनर के रूप में अपनी भूमिका को और मजबूत करने का। इस बातचीत के जरिए दोनों देशों के बीच गोपनीय रक्षा सहयोग की नई संभावनाएं बन सकती हैं। अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में क्या भारत इस सहयोग को सार्वजनिक मंच पर लाता है, या यह सहयोग बैकचैनल डिप्लोमेसी के तहत जारी रहेगा।