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क्या कमजोर पड़ रहा है हिजबुल्लाह? रणनीति बदलने को लेकर उठने लगे सवाल, जानें क्या है इस फैसले के पीछे की असली वजह

क्या हिजबुल्लाह कमजोर पड़ रहा है? क्या वह खुद को सीमित कर रहा है? हिजबुल्लाह की ताजा रणनीति के खुलासे के बाद यह सवाल उठ खड़ा हुआ है। बताया जा रहा है कि ईरान समर्थित यह संगठन इजरायल से युद्ध के बाद अपने शस्त्रागार को कम करने पर....
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क्या हिजबुल्लाह कमजोर पड़ रहा है? क्या वह खुद को सीमित कर रहा है? हिजबुल्लाह की ताजा रणनीति के खुलासे के बाद यह सवाल उठ खड़ा हुआ है। बताया जा रहा है कि ईरान समर्थित यह संगठन इजरायल से युद्ध के बाद अपने शस्त्रागार को कम करने पर विचार कर रहा है। इसके साथ ही वह सशस्त्र आंदोलन में अपनी भूमिका को सीमित करने पर भी विचार कर रहा है। जानकारी के मुताबिक इस बारे में अंदरूनी चर्चा भी हुई है, हालांकि अभी अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। इस तरह की बातें लेबनान पर दबाव को दर्शाती हैं। नवंबर के आखिर में हुए युद्ध विराम के बाद से यह दबाव और बढ़ गया है।

आर्थिक समस्याएं भी बढ़ी हैं। गौरतलब है कि इजरायली सेना लगातार हिजबुल्लाह प्रभावित इलाकों पर हमले करती रहती है। इजरायल हिजबुल्लाह पर युद्ध विराम का उल्लंघन करने का भी आरोप लगाता है। हालांकि हिजबुल्लाह लगातार इससे इनकार करता रहा है। पिछले कुछ समय से हिजबुल्लाह को गंभीर वित्तीय समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है। वहीं अमेरिकी सेना लगातार इस चरमपंथी संगठन पर युद्ध विराम रद्द करने का दबाव बना रही है। पिछले साल हिजबुल्लाह की समस्याएं तब और बढ़ गई थीं, जब इजरायल ने उस पर हमला कर उसकी कमान को नष्ट कर दिया था। इस हमले में हिजबुल्लाह के हजारों लड़ाके मारे गए और उसके कई हथियार भी नष्ट हो गए।

इतना ही नहीं, हिजबुल्लाह का सीरियाई सहयोगी बशर अल-असद पिछले साल दिसंबर में सत्ता से बाहर हो गया था। इसके बाद से उसके हथियारों की आपूर्ति प्रभावित हुई है। वहीं, ईरान खुद इजरायल के साथ युद्ध से उबरने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में यह कहना मुश्किल होगा कि वह हिजबुल्लाह की कितनी मदद कर पाएगा। हिजबुल्लाह की आंतरिक चर्चाओं से वाकिफ एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि समूह का अगला कदम क्या होगा, इस बारे में गुपचुप तरीके से बातचीत हो रही है।

मध्य पूर्व में एक खिलाड़ी बता दें कि हिजबुल्लाह मध्य पूर्व में सैन्य महत्व रखता है। इजरायल पर हमला करने के लिए उसके पास हजारों सैनिक, मिसाइल और ड्रोन थे। पिछले साल मारे गए हसन नसरल्लाह के नेतृत्व में इसका क्षेत्रीय महत्व काफी बढ़ गया था। इसने सीरिया, इराक और यमन में अपने सहयोगियों का भी समर्थन किया। इजरायल हिजबुल्लाह को एक बड़े खतरे के रूप में देखता रहा है। गाजा में 2023 के युद्ध में उसने फिलिस्तीनी संगठन हमास के समर्थन में हमला किया था। तब इजरायल ने लेबनान को भी करारा जवाब दिया था।

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