Samachar Nama
×

क्या सच में पाकिस्तान से मिली थी ईरान को परमाणु बम बनाने की तकनीक? जानें क्या है दावे की पीछे की सच्चाई

इजरायल ने ऑपरेशन राइजिंग लॉयन के तहत शुक्रवार की सुबह ईरान पर एक बड़ा हमला किया, जिसे क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिहाज से बेहद गंभीर माना जा रहा है। इस हमले का मुख्य कारण ईरान के बढ़ते परमाणु कार्यक्रम को बताया गया....
safds

इजरायल ने ऑपरेशन राइजिंग लॉयन के तहत शुक्रवार की सुबह ईरान पर एक बड़ा हमला किया, जिसे क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिहाज से बेहद गंभीर माना जा रहा है। इस हमले का मुख्य कारण ईरान के बढ़ते परमाणु कार्यक्रम को बताया गया है, जिस पर इजरायल का आरोप है कि ईरान उसके खिलाफ परमाणु हथियार विकसित कर रहा है। वर्षों से दोनों देशों के बीच तनाव इस वजह से लगातार बढ़ता जा रहा है और अब यह तनाव हथियारबंद संघर्ष की दिशा में बढ़ता नजर आ रहा है।

इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने 2018 में एक गुप्त ऑपरेशन के तहत ईरान में घुसकर वहां के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े करीब 55 हजार पन्नों के खुफिया दस्तावेज चुरा लिए थे। ये दस्तावेज इतने महत्वपूर्ण थे कि इनमें ईरान के गुप्त सैन्य परमाणु कार्यक्रम की पूरी जानकारी मौजूद थी। इस ऑपरेशन ने दुनिया को यह स्पष्ट कर दिया कि ईरान कई वर्षों से परमाणु हथियार बनाने की योजना पर काम कर रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरान ने अपना परमाणु कार्यक्रम 1992 या 1993 में शुरू किया था, जब उसने यूरेनियम संवर्धन के लिए सेंट्रीफ्यूज (केंद्रापसारक) के उत्पादन और संचालन की तकनीक हासिल करने में रुचि दिखाई।

मोसाद के द्वारा हासिल किए गए दस्तावेजों से यह भी पता चला कि ईरान को शुरुआती दौर में पाकिस्तान से परमाणु तकनीक की जानकारी मिली थी। पाकिस्तान के परमाणु परियोजना निदेशक अब्दुल कदीर खान से इस संबंध में ईरान को काफी सहायता मिली। इसके अलावा, चीन से भी तकनीकी सहयोग प्राप्त हुआ। ये खुलासे इस बात का सबूत हैं कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम केवल घरेलू स्तर पर ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के माध्यम से भी संचालित रहा है।

ईरान ने अपनी परमाणु गतिविधियों को छुपाने के लिए कई बार नाटकीय कदम उठाए। शुरुआत में दमावंद क्षेत्र में सेंट्रीफ्यूज डिजाइन किए गए थे, लेकिन जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस योजना को जान लिया तो ईरान ने इसे नष्ट कर दिया और नातांज नामक नए परमाणु केंद्र का निर्माण शुरू किया। नातांज सुविधा को ईरानी दस्तावेजों में "काशान" के नाम से भी जाना जाता है, जहां सेंट्रीफ्यूज की संख्या लगातार बढ़ती गई।

इजरायल ने शुक्रवार को इसी नातांज परमाणु साइट को एयर स्ट्राइक के जरिए पूरी तरह तबाह कर दिया। इसके अलावा इस्फहान और फोर्डो जैसे अन्य महत्वपूर्ण न्यूक्लियर फैसिलिटी भी निशाने पर थीं, जिन पर इजरायल ने मिसाइल हमले करने की बात कही है। ये हमले उस समय हुए जब इजरायल ने स्पष्ट चेतावनी दी थी कि अगर ईरान अपनी परमाणु गतिविधियां नहीं रोकेगा तो उसे भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।

ईरान ने भी इस हमले का जोरदार जवाब दिया है और तनाव चरम सीमा पर पहुंच गया है। दोनों देशों के बीच इस खतरनाक टकराव से वैश्विक समुदाय में चिंता फैल गई है, क्योंकि यह क्षेत्रीय संघर्ष किसी भी समय एक बड़े युद्ध में बदल सकता है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया और विश्लेषक लगातार इस स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और शांति स्थापित करने के लिए कूटनीतिक प्रयासों की भी उम्मीद की जा रही है।

इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर से परमाणु हथियार नियंत्रण, क्षेत्रीय सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की अहमियत को उजागर किया है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस संघर्ष का अंत कैसे होता है और क्या दोनों पक्ष वार्ता के जरिए समाधान खोज पाते हैं या फिर यह टकराव और भी गहरा हो जाता है।

Share this story

Tags