दुनिया को नई दहशत में डुबाने की साजिशें: ISKP की वैश्विक आतंकवादी योजना बेनकाब
दुनिया के लिए एक बार फिर से आतंक का नया खतरा सिर उठा रहा है। पाकिस्तान से संचालित आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रोविंस (ISKP) ने हाल ही में अपनी नई 83 पन्नों की पत्रिका जारी की है, जिसमें उसने न केवल अफगानिस्तान और तालिबान पर कटु हमला बोला है, बल्कि यूरोप, अमेरिका, चीन, रूस और भारत को भी अपने निशाने पर लेने की गंभीर योजना का खुलासा किया है। यह धमकी अंतरराष्ट्रीय खुफिया एजेंसियों की नींद उड़ा देने वाली है।
खतरा कहाँ से शुरू हुआ?
ISKP, जिसे खुरासान प्रांत भी कहा जाता है, अपने आप को वैश्विक आतंकवादी नेटवर्क का एक शक्तिशाली हिस्सा मानता है। अपनी नई पत्रिका में इस संगठन ने तालिबान के लड़ाकों से खुली अपील की है कि वे “भविष्य के विजेता संगठन” में शामिल हों। संगठन का दावा है कि तालिबान अब कमजोर हो चुका है और अब खलीफा की लड़ाई के लिए सिर्फ ISKP ही एकमात्र विकल्प है।
वैश्विक आतंकवादी योजना
पत्रिका में ISKP ने अपने विस्तार के लिए स्पष्ट योजना पेश की है। इसमें तुर्की के रास्ते से यूरोप और अमेरिका तक पहुंचने की रणनीति का जिक्र है। इसके अलावा, खुरासान क्षेत्र के माध्यम से चीन और रूस में भी अपना प्रभाव बढ़ाने की मंशा जाहिर की गई है। यह पहली बार है जब ISKP ने इतनी विस्तार से वैश्विक कब्जे की योजना सार्वजनिक की है, जो अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बेहद चिंताजनक है।
भारत के लिए खतरे की घंटी
पत्रिका में कश्मीर को विशेष महत्व दिया गया है। संगठन ने कश्मीरी मुसलमानों को हर संभव समर्थन देने की बात कही है। इसका साफ मतलब यह है कि ISKP भारत में अशांति फैलाने और दहशतगर्दी को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है। यही वजह है कि भारत की खुफिया एजेंसियां इस खतरे को लेकर विशेष सतर्क हैं और इस पत्रिका पर बारीकी से नजर रखे हुए हैं।
तालिबान और सीरिया के नए राष्ट्रपति पर हमला
ISKP ने तालिबान शासन की भी जमकर आलोचना की है। पत्रिका में कहा गया है कि तालिबान पश्चिमी देशों के इशारों पर चल रहा है और इसलिए असली जिहाद का रास्ता ISKP के पास ही है। इसके अलावा, सीरिया के नए आतंकी नेता अबू मोहम्मद अल जुलानी पर भी कटु हमला किया गया है, क्योंकि वह अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ नजदीकियों के कारण संगठन के सिद्धांतों से अलग चल रहे हैं।
दुनिया के लिए गंभीर खतरा
ISKP की यह खुली धमकी और उसकी योजनाएं अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए बहुत बड़ा खतरा हैं। ऐसी आतंकवादी पत्रिकाएं युवाओं को उकसाने और उनके बीच आतंकी विचारधारा फैलाने का सबसे बड़ा जरिया बन जाती हैं। इसलिए संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, भारत, यूरोप सहित कई देशों की खुफिया एजेंसियां इस तरह की गतिविधियों पर कड़ी नजर रख रही हैं।

