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शी जिनपिंग का रहस्यमय गायब होना: सत्ता में बगावत या तख्तापलट की आहट?

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इन दिनों अंतरराष्ट्रीय मंचों से अचानक गायब हैं, जिससे राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है। हाल ही में ब्राजील में आयोजित ब्रिक्स (BRICS) देशों की अहम बैठक में भी जिनपिंग की गैरहाज़िरी ने कई सवाल खड़े कर दिए..........
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चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इन दिनों अंतरराष्ट्रीय मंचों से अचानक गायब हैं, जिससे राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है। हाल ही में ब्राजील में आयोजित ब्रिक्स (BRICS) देशों की अहम बैठक में भी जिनपिंग की गैरहाज़िरी ने कई सवाल खड़े कर दिए। ऐसे में कयास तेज़ हैं कि क्या चीन के सर्वोच्च नेता की सत्ता डगमगा रही है? या क्या उनके खिलाफ चीनी सेना (PLA) और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (CPC) के भीतर ही साजिशें चल रही हैं?

जानलेवा हमलों की आशंकाएं

बीजिंग से छनकर आ रही रिपोर्टों के अनुसार, शी जिनपिंग पर पिछले वर्षों में 6 बार जानलेवा हमले हो चुके हैं। हालांकि चीन की सरकार या सरकारी मीडिया ने इन घटनाओं की कोई पुष्टि नहीं की है। विदेशी मीडिया को चीन में रिपोर्टिंग की इजाज़त नहीं और CPC के नियंत्रण में चलने वाला मीडिया केवल तयशुदा खबरें दिखाता है। लेकिन सोशल मीडिया और कुछ स्वतंत्र रिपोर्ट्स यह दावा कर रहे हैं कि जिनपिंग का शासन काफी सख्त और तानाशाहीपूर्ण हो चुका है, जिससे नौकरशाह, सैन्य अधिकारी और पार्टी के पुराने नेता नाराज हैं। यही कारण है कि सत्ता के भीतर असंतोष पनप रहा है।

PLA जनरलों से टकराव?

विश्लेषकों का मानना है कि शी जिनपिंग ने अपने शासन में PLA के कई टॉप जनरलों को भ्रष्टाचार के आरोपों में हटाया या जेल भेजा है। इससे सेना के अंदर गहरी नाराजगी पनप रही है। माना जा रहा है कि युद्ध की तैयारी में विफलताओं और ताइवान को कब्ज़े में लेने की धीमी गति के कारण भी जिनपिंग का कद कुछ जनरलों की नजर में गिर गया है। यही वजह है कि अब जिनपिंग को अपनों से ही चुनौती मिल रही है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स तो यह भी दावा कर रही हैं कि वे अपने ही सुरक्षा घेरे में सख्त निगरानी में हैं।

चीन को तोड़ने की मांग?

चीन के अंदर और बाहर कुछ ताकतें यह चाहती हैं कि देश को कई छोटे गणराज्यों में विभाजित कर दिया जाए। इनका तर्क है कि कम्युनिस्ट पार्टी की तानाशाही सत्ता व्यवस्था चीन के विशाल और विविधतापूर्ण समाज पर जबरन थोपी गई है। हालांकि, ऐसा होना फिलहाल मुश्किल लगता है क्योंकि CPC ने पिछले 70 वर्षों में सत्ता पर गहरी पकड़ बनाई है और हर विरोध को क्रूरता से दबाया है। लेकिन यह साफ है कि शी जिनपिंग के शासन को लेकर नाराजगी अब सिर्फ अटकल नहीं, बल्कि एक उभरती सच्चाई बन रही है।

विरोध और तख्तापलट की आशंका

विशेषज्ञ मानते हैं कि CPC के भीतर ही शी जिनपिंग को हटाने की सोच बल पकड़ रही है। पर चूंकि चीन में चुनाव जैसी लोकतांत्रिक व्यवस्था नहीं है, इसलिए विरोधी गुटों के पास तख्तापलट या बल प्रयोग ही एकमात्र विकल्प है। इसी कारण शी जिनपिंग की गैर-मौजूदगी को लेकर आशंकाएं गहराती जा रही हैं।

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