गलवान झड़प के बाद पहली बार चीन पहुंचे विदेश मंत्री एस जयशंकर, चीनी उपराष्ट्रपति से की मुलाकात, इन मुद्दों पर होगी चर्चा
विदेश मंत्री एस जयशंकर पाँच साल बाद चीन पहुँचे और सोमवार को बीजिंग में चीनी उपराष्ट्रपति हान झेंग से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने भारत-चीन संबंधों को बेहतर बनाने पर बात की और आश्वासन दिया कि इस यात्रा से ये संबंध और बेहतर होंगे। 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर था, लेकिन अब नई उम्मीदें जग रही हैं। खासकर तब जब हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई और पाकिस्तान को चीन का सैन्य समर्थन भारत के लिए चिंता का विषय बन गया।
सिंगापुर की अपनी यात्रा पूरी करने के बाद बीजिंग पहुँचते ही जयशंकर ने हान झेंग से मुलाकात की। उन्होंने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की चीन की अध्यक्षता के लिए भारत के समर्थन की बात कही। एक्स पर एक पोस्ट में, जयशंकर ने लिखा, "बीजिंग पहुँचने के तुरंत बाद उपराष्ट्रपति हान झेंग से मिलकर खुशी हुई। भारत ने चीन की एससीओ अध्यक्षता के लिए समर्थन व्यक्त किया। हमारे संबंधों में सुधार हुआ है और मुझे विश्वास है कि इस यात्रा पर होने वाली बातचीत इसे और आगे ले जाएगी।"
भारत चीन की एससीओ अध्यक्षता का समर्थन करता है: जयशंकर
हान झेंग के साथ बैठक में, जयशंकर ने कहा कि अक्टूबर 2024 में कज़ान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद से संबंधों में सुधार हुआ है। उन्होंने कहा, "भारत चीन की सफल एससीओ अध्यक्षता का समर्थन करता है। हमारे संबंध लगातार बेहतर हो रहे हैं। मुझे विश्वास है कि इस दौरे पर हुई बातचीत इस सकारात्मक रास्ते को और मज़बूत करेगी।" जयशंकर ने भारत और चीन के बीच 75 साल पुराने राजनयिक संबंधों का ज़िक्र किया और कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली की सराहना की। उन्होंने कहा, "यात्रा की बहाली भारत में काफ़ी सराहनीय है। हमारे संबंधों का सामान्य होना दोनों देशों के लिए फ़ायदेमंद हो सकता है।"
वर्तमान वैश्विक स्थिति को जटिल बताते हुए, जयशंकर ने कहा, "आज का अंतर्राष्ट्रीय परिवेश बहुत जटिल है। पड़ोसी देशों और प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के रूप में भारत और चीन के बीच खुला संवाद बहुत ज़रूरी है।" वह सोमवार को अपने चीनी समकक्ष वांग यी से भी मिलेंगे। दोनों की पिछली मुलाक़ात फ़रवरी में जोहान्सबर्ग में जी20 बैठक के दौरान हुई थी, जहाँ आपसी विश्वास और समर्थन पर चर्चा हुई थी। जयशंकर मंगलवार को तियानजिन में एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल होंगे। विदेश मंत्रालय ने बताया कि इस दौरान वह कई द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे। यह यात्रा जयशंकर की पाँच वर्षों में पहली चीन यात्रा है, जो तीखे टकराव के बाद संबंधों में आई कड़वाहट को कम करने का एक प्रयास है।
गलवान के बाद दोनों देशों के संबंधों में आई तल्खी
2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे, जबकि चीन को भी भारी नुकसान हुआ था। यह 45 वर्षों में सबसे बड़ा सैन्य संघर्ष था, जिसने संबंधों को गहरे संकट में डाल दिया था। कज़ान में मोदी-शी बैठक के बाद, सीमा विवाद को सुलझाने के लिए विशेष प्रतिनिधि (एसआर) प्रणाली को फिर से लागू करने का निर्णय लिया गया। वांग यी के भी अगले महीने भारत आने की उम्मीद है। इस दौरान वह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात करेंगे।

