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भारत के सामने घुटनों पर आया चीन, सभी शर्तें मानने को तैयार हुआ 'ड्रैगन', आखिर क्यों

भारत एक बार फिर वैश्विक मंच पर अपनी मजबूती का प्रमाण दे रहा है। अमेरिका से टैरिफ टेंशन हो या पाकिस्तान से सीमा पर तनाव—इन तमाम चुनौतियों के बीच भारत न केवल राजनीतिक रूप से, बल्कि आर्थिक और औद्योगिक मोर्चे पर भी तेजी से प्रगति कर....
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भारत एक बार फिर वैश्विक मंच पर अपनी मजबूती का प्रमाण दे रहा है। अमेरिका से टैरिफ टेंशन हो या पाकिस्तान से सीमा पर तनाव—इन तमाम चुनौतियों के बीच भारत न केवल राजनीतिक रूप से, बल्कि आर्थिक और औद्योगिक मोर्चे पर भी तेजी से प्रगति कर रहा है। हाल ही में जापान को पछाड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के बाद अब भारत ने मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में भी बड़ी छलांग लगाई है।

नई रिपोर्ट में भारत बना दुनिया का सबसे सस्ता मैन्युफैक्चरिंग देश 

वर्ल्ड्स ऑफ स्टेटिस्टिक्स’ ने यूएस न्यूज एंड वर्ल्ड रिपोर्ट के हवाले से जो ताजा आंकड़े जारी किए हैं, उनके मुताबिक भारत अब मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट के मामले में दुनिया का सबसे सस्ता देश बन गया है। यह वही श्रेणी है जिसमें अब तक चीन का वर्चस्व रहा है, लेकिन अब वह भारत के बाद दूसरे नंबर पर खिसक गया है। इस रिपोर्ट में 89 देशों की मैन्युफैक्चरिंग लागत का तुलनात्मक विश्लेषण किया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार टॉप-10 देशों में भारत पहले, चीन दूसरे और वियतनाम तीसरे स्थान पर है। इसके बाद थाईलैंड, फिलीपींस, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, कंबोडिया, मलेशिया और श्रीलंका शामिल हैं। यह साफ संकेत है कि दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया अब वैश्विक उत्पादन का नया केंद्र बनते जा रहे हैं।

PMI इंडेक्स में भी भारत का जलवा

भारत ने सिर्फ लागत के मामले में ही बाजी नहीं मारी, बल्कि वैश्विक स्तर पर विनिर्माण (Manufacturing) और सेवा (Service) क्षेत्रों में भी टॉप रैंकिंग हासिल की है। जेपी मॉर्गन द्वारा जारी परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) के मुताबिक अप्रैल 2025 में भारत का मैन्युफैक्चरिंग PMI 58.2 और सर्विस PMI 58.7 दर्ज किया गया। गौरतलब है कि PMI यदि 50 से ऊपर हो तो यह उस सेक्टर में विस्तार का संकेत होता है। इस मामले में भारत ने न केवल चीन और अमेरिका, बल्कि फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन जैसे विकसित देशों को भी पीछे छोड़ दिया है।

उच्च लागत वाले देश कौन से?

जहां भारत, चीन और वियतनाम जैसे देश उत्पादन लागत में सस्ते माने जा रहे हैं, वहीं फ्रांस, ब्रिटेन, स्विट्जरलैंड, अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी उन देशों में शामिल हैं जहां मैन्युफैक्चरिंग की लागत सबसे ज्यादा है। यही वजह है कि इन देशों की कंपनियां अब सस्ते और कुशल उत्पादन केंद्रों की तलाश में हैं—और भारत उन्हें एक आदर्श गंतव्य के रूप में नजर आ रहा है।

भारत को क्या मिलेगा फायदा?

भारत की यह उपलब्धि सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि विदेशी निवेश (FDI) और रोजगार सृजन के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है। सस्ती मैन्युफैक्चरिंग लागत और कुशल श्रमबल के चलते भारत अब ग्लोबल कंपनियों का पसंदीदा मैन्युफैक्चरिंग हब बन सकता है। इससे भारत में नई फैक्ट्रियों की स्थापना, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और एक्सपोर्ट ग्रोथ जैसे कई आर्थिक लाभ सामने आ सकते हैं। इसके साथ ही, चीन के लिए यह एक बड़ा झटका साबित हो सकता है, जहां से कई बड़ी कंपनियां पहले ही उत्पादन हटाकर भारत और वियतनाम की ओर रुख कर चुकी हैं।

निष्कर्ष

भारत की बढ़ती वैश्विक प्रतिष्ठा सिर्फ उसकी GDP तक सीमित नहीं है। अब यह देश कम लागत में उच्च गुणवत्ता के साथ उत्पादन करने की क्षमता के लिए भी जाना जा रहा है। आने वाले वर्षों में यदि भारत इस रफ्तार को बनाए रखता है, तो यह 'विश्व की नई फैक्ट्री' बनकर उभर सकता है—एक ऐसा सपना जो अब हकीकत की ओर बढ़ रहा है।

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