11 जनवरी 2002 को, अमेरिकी सेना ने 9/11 घटना के बाद पकड़े गए आतंकवादी संदिग्धों को हिरासत में लेने के लिए क्यूबा के ग्वांतानामो बे में अमेरिकी नौसैनिक अड्डे पर एक जेल की स्थापना की। इसके बाद पिछले 20 सालों में अमेरिका ने यह खुलासा कभी नहीं किया है कि ग्वांतानामो में किसे हिरासत में लिया गया था, किस यातना के तरीकों का इस्तेमाल किया गया था और उन्हें कितने समय तक हिरासत में रखा गया था। पिछले 20 वर्षों में, ग्वांतानामो जेल में हुआ यातना कांड मीडिया द्वारा लगातार उजागर किया गया है और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा इसकी निंदा की गई है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त विशेषज्ञों के एक स्वतंत्र दल ने हाल ही में एक बयान जारी कर बिना मुकदमे के अमेरिका में मनमाने ढंग से हिरासत और यातना या दुर्व्यवहार के अभ्यास की निंदा की, और कहा कि यह किसी भी सरकार के लिए पूरी तरह से अस्वीकार्य है, विशेष रूप से वह जो मानवाधिकारों की रक्षा का दावा करती है।
ग्वांतानामो जेल सिर्फ हिमपर्वत का एक छोटा सा हिस्सा है। 2005 में द वाशिंगटन पोस्ट ने खुलासा किया कि सीआईए ने एशिया और पूर्वी यूरोप में गुप्त जेल नेटवर्क स्थापित किया था, जिसमें थाईलैंड, अफगानिस्तान और कई पूर्वी यूरोपीय देश शामिल थे। पिछले 20 वर्षों में, लोगों ने अमेरिका में ब्लैक जेलों में मानवाधिकारों में सुधार के लिए थोड़ी सी भी प्रगति नहीं देखी है। इसके बजाय, उन्होंने पाया है कि अमेरिका ने कुछ देशों के साथ मिलकर और अधिक ब्लैक जेल स्थापित करने के लिए सहयोग किया है जो मानवाधिकार पर पैरों तले रौंदते हैं। ये ब्लैक जेलें कानून के शासन को कुचलने और मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाले अमेरिका के क्लासिक प्रतीक बन गए हैं, और साथ ही अमेरिकी राजनीतिज्ञों के कथन में कथाकथित मानवाधिकार के लिए एक बड़ी विडंबना है। इनसे अमेरिकी शैली के मानवाधिकारों के पाखंड और कुरूपता पूरी तरह से उजागर होती है।
मानवाधिकार संरक्षण एक नारा नहीं बल्कि एक कार्रवाई है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की व्यापक निंदा को देखते हुए अमेरिका को आत्मालोचना करनी चाहिए, तुरंत ही ग्वांतानामो जेल और दुनिया भर की गुप्त जेलों को बंद करना चाहिए, और व्यापक जांच और जवाबदेही का संचालन करना चाहिए। दुनिया भर में मानवाधिकारों के इतिहास में अमेरिका द्वारा लिखे गए मानवाधिकारों के प्रचंड उल्लंघन के कुरूप अध्याय का अंत होना चाहिए!
विश्व न्यूज डेस्क !!
--आईएएनएस
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