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अब थाइलैंड-कंबोडिया में छिड़ा सैन्य संघर्ष, F-16 फाइटर जेट से हमले के बाद UN से दखल की अपील

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच चल रहे सैन्य संघर्ष पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद आज (शुक्रवार) एक आपात बैठक करेगी। यह बैठक कंबोडियाई प्रधानमंत्री हुन मानेट के अनुरोध पर बुलाई गई है और भारतीय समयानुसार दोपहर 12:30 बजे शुरू होगी....
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थाईलैंड और कंबोडिया के बीच चल रहे सैन्य संघर्ष पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद आज (शुक्रवार) एक आपात बैठक करेगी। यह बैठक कंबोडियाई प्रधानमंत्री हुन मानेट के अनुरोध पर बुलाई गई है और भारतीय समयानुसार दोपहर 12:30 बजे शुरू होगी। समाचार एजेंसी एएफपी ने यह जानकारी दी है। इस बीच, थाईलैंड के विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि जब तक कंबोडिया अपना आक्रमण बंद नहीं कर देता, तब तक युद्धविराम की बात करना जल्दबाजी होगी। थाईलैंड के स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि इस संघर्ष में अब तक 12 थाई नागरिकों की मौत हो चुकी है। दोनों देशों ने सीमा पर अपने लड़ाकू विमानों को अलर्ट पर रखा है। थाईलैंड के F-16 विमानों ने शुक्रवार को कंबोडिया में छह सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। बढ़ते तनाव के कारण थाईलैंड ने कंबोडिया से अपने राजदूत को वापस बुला लिया है।

सीमा विवाद के बीच तोपखाने और रॉकेट हमले

थाईलैंड-कंबोडिया युद्ध अब और भीषण होता जा रहा है। कंबोडिया ने एशिया में युद्ध का एक और मोर्चा खोलने के लिए थाईलैंड पर अचानक कई रॉकेट दागे। कंबोडिया-थाईलैंड सीमा विवाद इतना गरमा गया कि गोले, बम और बारूद का इस्तेमाल शुरू हो गया।

कंबोडिया से भयानक हमले

कंबोडियाई सेना ने थाई सेना के ठिकानों पर BM-21 "ग्रैड" मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम से हमला किया। दोनों देशों ने टैंक और भारी हथियार तैनात कर दिए हैं। तनाव के बीच, कंबोडिया ने अपने सभी नागरिकों को तुरंत थाईलैंड छोड़ने का आदेश दिया है।

थाईलैंड में नागरिक ठिकानों पर हमले

थाईलैंड के सुरिन प्रांत में एक पेट्रोल पंप कंबोडियाई सेना द्वारा दागे गए रॉकेट से नष्ट हो गया। दूसरा रॉकेट फेनोम डोंग राक अस्पताल पर गिरा, जिसे पहले ही खाली करा लिया गया था।

थाईलैंड की जवाबी कार्रवाई

कंबोडिया के हमले के बाद, थाईलैंड ने भी जवाबी कार्रवाई की। थाईलैंड के F-16 लड़ाकू विमानों ने कंबोडिया पर अचानक हमले किए। इस हिंसा के बाद, थाईलैंड ने कंबोडिया से अपने राजदूत को वापस बुला लिया है। राजनयिक संबंधों को 'कमज़ोर' कर दिया गया है। साथ ही, थाई विदेश मंत्रालय ने भी कड़ा विरोध दर्ज कराया है।

बारूदी सुरंगों को लेकर नया तनाव

16 और 23 जुलाई को थाई सैनिकों पर बारूदी सुरंगों के हमले के बाद तनाव बढ़ गया। थाई सेना ने दावा किया कि ये बारूदी सुरंगें हाल ही में कंबोडियाई सेना द्वारा बिछाई गई थीं। लेकिन कंबोडिया ने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया। कंबोडियाई सरकार के अनुसार, विस्फोट एक पुरानी खदान में हुआ था, जो उनके अभिलेखों में पहले से ही दर्ज है।

चक्रभूमि योजना की शुरुआत

थाई सेना ने 'चक्रभूमि योजना' शुरू की है। यह एक रणनीतिक रक्षा योजना है, जिसके तहत थाईलैंड की सेनाओं को सीमा पर संभावित युद्ध जैसी स्थिति से निपटने के निर्देश दिए जाते हैं।

शिव मंदिर बना युद्ध की जड़

थाईलैंड और कंबोडिया में एक प्राचीन शिव मंदिर पर बारूद की बारिश हो रही है। दोनों देशों की सेनाएँ आमने-सामने हैं। यह मंदिर कंबोडिया के प्रीह विहार प्रांत और थाईलैंड के सिसाकेत प्रांत की सीमा पर स्थित है। 1962 में, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने फैसला सुनाया कि यह मंदिर कंबोडिया का है। लेकिन दोनों देश मंदिर के आसपास की 4.6 वर्ग किलोमीटर भूमि पर अपना दावा करते हैं।

मंदिर की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

यह मंदिर 11वीं शताब्दी में खमेर सम्राट सूर्यवर्मन द्वारा भगवान शिव के लिए बनवाया गया था। आज भी इस मंदिर में भगवान शिव का एक शिवलिंग और द्वारपाल मौजूद हैं। मंदिर में जल निकासी की एक प्राचीन व्यवस्था भी है।

राजनीतिक प्रभाव और शिनावात्रा का इस्तीफ़ा

यह विवाद 1907 में शुरू हुआ, जब उस समय कंबोडिया पर शासन कर रहे फ्रांस ने मंदिर को कंबोडिया में दिखाते हुए एक नक्शा तैयार किया। थाईलैंड ने इस नक्शे को कभी पूरी तरह स्वीकार नहीं किया। 2008 में जब कंबोडिया ने मंदिर को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल बनाया, तो विवाद बढ़ गया, क्योंकि थाईलैंड ने इसका विरोध किया। इसके बाद, 2008 से 2011 तक, दोनों देशों की सेनाओं के बीच कई बार झड़पें हुईं, जिनमें कई लोग मारे गए।

लेकिन इस बार थाईलैंड और कंबोडिया में युद्ध का मोर्चा खुल गया है। 15 जून को एक मंदिर की जंग में, थाईलैंड के प्रधानमंत्री पैतोंगतार्न शिनावात्रा को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी। क्योंकि शिनावात्रा ने कंबोडियाई नेता हुन सेन से फ़ोन पर बातचीत की थी। इस बातचीत में उन्होंने थाई सेना के कमांडर की आलोचना की थी। थाईलैंड में इसे एक गंभीर मामला माना जाता है क्योंकि वहाँ सेना का काफ़ी प्रभाव है। इस बातचीत के लीक होने के बाद पूरे देश में गुस्सा फैल गया। इसके बाद अदालत ने प्रधानमंत्री को पद से हटा दिया। हालाँकि शिनावात्रा ने भी माफ़ी मांगी, लेकिन उन्होंने कहा कि 'मेरी टिप्पणी सिर्फ़ विवाद को शांत करने के लिए थी, लेकिन इसका कोई फ़ायदा नहीं हुआ।' फरवरी में, कंबोडियाई सैनिकों और उनके परिवारों ने मंदिर में राष्ट्रगान गाया, जिसे थाई सैनिकों ने अपमानजनक माना। 28 मई 2025 को एक झड़प में एक कंबोडियाई सैनिक मारा गया, जिससे तनाव और बढ़ गया।

कंबोडिया की सैन्य कमज़ोरी और चीन की भूमिका

कंबोडिया के पास लड़ाकू विमान नहीं हैं। हवाई हमलों का जवाब देने की थाईलैंड की क्षमता बेहद सीमित है। माना जा रहा है कि अगर युद्ध नहीं रुका, तो इसमें चीन की भूमिका अहम हो सकती है। चीन के थाईलैंड और कंबोडिया दोनों के साथ अच्छे संबंध हैं, लेकिन थाईलैंड के साथ उसकी आर्थिक साझेदारी और भी गहरी है।

मानव संकट और विस्थापन की स्थिति

थाईलैंड से हो रहे हमलों को देखते हुए, सीमावर्ती क्षेत्र से लोगों का पलायन शुरू हो गया है। थाईलैंड ने सीमा के पास के 86 गाँवों को खाली करा लिया है और 40 हज़ार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया है। यह मंदिर दोनों देशों की राष्ट्रीय पहचान का प्रतीक है। ऐसे में, युद्ध जल्द खत्म होता नहीं दिख रहा है।

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