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भारत में ड्रग्स का कहर: 10 करोड़ लोग नशे की चपेट में, देश का भविष्य खतरे में

भारत आज नशीली दवाओं के खतरे से जूझ रहा है। आंकड़े डराने वाले हैं—देश की लगभग 7% आबादी, यानी करीब 10 करोड़ लोग, किसी न किसी प्रकार के नार्कोटिक ड्रग्स के शिकार हैं। हर 100 में से 7 व्यक्ति नशीली दवाओं का सेवन कर रहे हैं....
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भारत आज नशीली दवाओं के खतरे से जूझ रहा है। आंकड़े डराने वाले हैं—देश की लगभग 7% आबादी, यानी करीब 10 करोड़ लोग, किसी न किसी प्रकार के नार्कोटिक ड्रग्स के शिकार हैं। हर 100 में से 7 व्यक्ति नशीली दवाओं का सेवन कर रहे हैं। यह समस्या केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी बड़ी चुनौती बन चुकी है।

ड्रग्स सिंडिकेट का पर्दाफाश: मलेशिया से सरगना गिरफ्तार

इस खतरे से निपटने के लिए सरकार लगातार कार्रवाई कर रही है। हाल ही में नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) मुंबई को एक बड़ी सफलता मिली। अंतरराष्ट्रीय ड्रग्स सिंडिकेट का सरगना नवीन चिचकर, जो मलेशिया में छिपा हुआ था, उसे रेड कॉर्नर नोटिस के बाद पकड़कर भारत लाया गया। नवीन, 2021 से फरार था और थाईलैंड में छिपकर ड्रग्स का नेटवर्क चला रहा था।

NCB को उसकी जानकारी जनवरी 2025 में उस वक्त मिली, जब एक पार्सल में छिपाकर भेजी जा रही 200 ग्राम कोकीन जब्त की गई। आगे की जांच में 11.5 किलोग्राम कोकीन, 5.5 किलोग्राम केनाबिस गमीज़ समेत भारी मात्रा में नशा पकड़ाया। इससे एक अंतरराष्ट्रीय ड्रग नेटवर्क का खुलासा हुआ जो भारत से अमेरिका तक फैला था।

दिल्ली: नशे के दलदल में डूबता बचपन

राजधानी दिल्ली की हालत भी चिंताजनक है। NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, सदर बाज़ार, प्रियदर्शिनी कॉलोनी, और नंदनगरी जैसे इलाकों में ड्रग्स ने कई परिवारों को बर्बाद कर दिया है। यहां तक कि 20 साल से कम उम्र के 13% युवा नशे की चपेट में हैं। दिल्ली पुलिस ने ऑपरेशन कवच चलाकर 64 हॉटस्पॉट्स को चिन्हित किया और 784 जगहों पर छापे मारकर 2000 से ज़्यादा लोगों को गिरफ्तार किया। लेकिन नशे के सौदागर हर बार नए हथकंडे अपनाकर बच निकलते हैं।

बदलते नशे के तरीके: मेडिकल ड्रग्स से बढ़ रहा खतरा

नशे के लिए अब पारंपरिक ड्रग्स नहीं, बल्कि कई दवाओं का इस्तेमाल हो रहा है:

  • Fentanyl: एक पेनकिलर जो अब 70% ड्रग्स से जुड़ी मौतों का कारण बन चुकी है।

  • Methamphetamine: सीधे दिमाग पर असर करती है और खुशी की नसों को नुकसान पहुंचाती है।

  • Alprazolam: बेचैनी और कृत्रिम खुशी देने वाली सबसे आम दवा है।

केरल से पाकिस्तान तक फैला नेटवर्क

यह धारणा कि पंजाब सबसे ज़्यादा नशे की चपेट में है, अब बदल रही है। केरल में 2024 तक 18,512 केस दर्ज हुए और 20,000 गिरफ्तारियां हुईं, जो पूरे देश में सबसे ज़्यादा थीं। इसके बाद पंजाब, महाराष्ट्र, यूपी, राजस्थान और मध्यप्रदेश का नंबर आता है।

समुद्र से आ रहा ज़हर

भारत में 70% ड्रग्स समुद्री रास्तों से आती है। 2020 से 2025 के बीच बंदरगाहों से 11,311 करोड़ की ड्रग्स पकड़ी गई। ऑपरेशन समुद्रगुप्त में कोच्चि के पास 12,000 करोड़ की ड्रग्स ज़ब्त की गई थी। इस अभियान में पाकिस्तान का नाम सामने आया, जहां से हाजी सलीम जैसे ड्रग्स सरगना ISI के लिए पैसा जुटाते हैं

डेथ क्रीसेंट और डेथ ट्राइएंगल: भारत दोनों के बीच

भारत ड्रग्स के दो बड़े तस्करी रूट्स के बीच फंसा है:

  1. डेथ क्रीसेंट (पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान): यहां से अफीम से बनी हेरोइन भारत पहुंचती है।

  2. डेथ ट्राइएंगल (म्यांमार, लाओस, थाईलैंड): म्यांमार अब अफीम उत्पादन में अफगानिस्तान को पीछे छोड़ चुका है।

इन नेटवर्कों से भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में ड्रग्स की सबसे पहले एंट्री होती है और यहीं से देशभर में फैलती है।

निष्कर्ष: भारत के भविष्य की लड़ाई

ड्रग्स का जाल आज भारत की युवा पीढ़ी को निगल रहा है। यह सिर्फ कानून व्यवस्था नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय आपात स्थिति है। सरकार, सुरक्षा एजेंसियों और समाज को मिलकर इस चुनौती से लड़ना होगा। क्योंकि सवाल सिर्फ आज का नहीं, भारत के कल का है।

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