नोटों पर हिंदू और बौद्ध मंदिरों की तस्वीरें छापेगा बांग्लादेश, शेख मुजीबुर रहमान को 'गायब' कर देगी यूनुस सरकार

बांग्लादेश में अंतरिम सरकार ने एक बड़ा और प्रतीकात्मक फैसला लेते हुए रविवार को नई श्रृंखला के करेंसी नोट जारी किए, जिसमें अब तक छपी जाती रही शेख मुजीबुर रहमान की तस्वीर को हटा दिया गया है। उनकी जगह अब हिंदू और बौद्ध मंदिरों के चित्र एवं देश के प्राकृतिक व ऐतिहासिक स्थलों को दर्शाया गया है। इस कदम को बांग्लादेश की राजनीतिक और सांस्कृतिक पहचान के दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण बदलाव माना जा रहा है।
करेंसी से हटाई गईं शेख मुजीब की तस्वीरें
शेख मुजीबुर रहमान को बांग्लादेश के 'राष्ट्रपिता' के रूप में जाना जाता है और वे अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के पिता भी हैं। अब तक जारी किए गए लगभग सभी बैंक नोटों पर उनकी तस्वीर अनिवार्य रूप से रहती थी। लेकिन अंतरिम सरकार द्वारा जारी नए नोटों में उनका चित्र नदारद है, जिसकी जगह अब मंदिरों और सांस्कृतिक स्थलों को दिखाया गया है। हालांकि बांग्लादेश बैंक ने पहले ही 2024 में इस बदलाव की घोषणा कर दी थी कि नई मुद्रा श्रृंखला में किसी मानव चित्र को शामिल नहीं किया जाएगा।
प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहरों पर केंद्रित डिज़ाइन
बांग्लादेश बैंक के प्रवक्ता आरिफ हुसैन खान ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि नई मुद्रा का डिज़ाइन देश की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक विविधताओं को दर्शाने पर केंद्रित है। इस नई मुद्रा श्रृंखला के तहत मानव चित्रों की बजाय प्राकृतिक स्थलों और सांस्कृतिक विरासत को प्राथमिकता दी गई है। उन्होंने कहा, “हम बांग्लादेश की सांस्कृतिक विविधता को करेंसी डिज़ाइन में प्रमुखता देना चाहते हैं। इसलिए इस बार हमने ऐसे चित्रों को जगह दी है जो हमारी ऐतिहासिक विरासत और राष्ट्रीय एकता को दर्शाते हैं।”
हिंदू और बौद्ध मंदिरों को मिली जगह
नई करेंसी नोटों में विशेष रूप से हिंदू और बौद्ध मंदिरों, स्वर्गीय चित्रकार जैनुल आबेदीन की कलाकृतियों, और राष्ट्रीय शहीद स्मारक को दर्शाया गया है। शहीद स्मारक 1971 के मुक्ति संग्राम में बलिदान देने वाले लोगों की याद में बनाया गया था, जो बांग्लादेश की स्वतंत्रता का गौरवमयी प्रतीक है। बांग्लादेश बैंक द्वारा फिलहाल तीन अलग-अलग मूल्यवर्ग के नए नोट जारी किए गए हैं, जिनका वितरण पहले मुख्यालय से और बाद में पूरे देश के क्षेत्रीय कार्यालयों से किया जा रहा है।
इतिहास में पहले भी हो चुका है करेंसी बदलाव
यह पहली बार नहीं है जब बांग्लादेश ने अपनी मुद्रा में ऐसा बदलाव किया है। 1972 में जब बांग्लादेश ने पाकिस्तान से स्वतंत्रता प्राप्त की थी, तब पहली बार अपनी मुद्रा जारी की थी, जिस पर नए देश का नक्शा छपा था। उस समय यह देश की आज़ादी और पहचान का प्रतीक बना था।
अब 2025 में किया गया यह परिवर्तन भी देश की राजनीतिक और सांस्कृतिक दिशा में बदलाव का संकेत माना जा रहा है।
राजनीतिक बहस शुरू
शेख मुजीब की तस्वीर हटाए जाने को लेकर बांग्लादेश की राजनीति में नई बहस शुरू हो गई है। कई विश्लेषकों का मानना है कि यह निर्णय शेख हसीना युग की समाप्ति के संकेत के रूप में देखा जा सकता है। वहीं, अंतरिम सरकार का कहना है कि यह फैसला पूरी तरह से सांस्कृतिक विविधता और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया गया है।
निष्कर्ष:
बांग्लादेश द्वारा करेंसी नोटों में किया गया यह बड़ा बदलाव देश की सांस्कृतिक विरासत और नई राजनीतिक दिशा को दर्शाता है। शेख मुजीबुर रहमान की तस्वीर की जगह मंदिरों, कलाओं और स्मारकों को प्राथमिकता देना इस बात का संकेत है कि देश अब अतीत से आगे बढ़कर एक नए सांस्कृतिक विमर्श की ओर बढ़ना चाहता है।