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बांग्लादेश के बाद भारत की टेंशन बढ़ाने आया पाकिस्तान का दुश्मन TTP, क्या ढाका बनने जा रहा है आतंक का नया अड्डा?

बांग्लादेश में शेख हसीना के तख्तापलट के बाद से भारत पड़ोसी देश से मुश्किलों का सामना कर रहा है। अब एक नई और खतरनाक खबर ने भारत की नींद उड़ा दी है। लंबे समय से पाकिस्तान के लिए सिरदर्द बना आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान...
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बांग्लादेश में शेख हसीना के तख्तापलट के बाद से भारत पड़ोसी देश से मुश्किलों का सामना कर रहा है। अब एक नई और खतरनाक खबर ने भारत की नींद उड़ा दी है। लंबे समय से पाकिस्तान के लिए सिरदर्द बना आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) अब बांग्लादेश के रास्ते भारत को घेरने की तैयारी कर रहा है। ऐसे समय में जब बांग्लादेश की सीमाएँ भारत के उत्तर-पूर्वी हिस्से से जुड़ी हैं और असम, त्रिपुरा, मेघालय जैसे राज्यों में पहले से ही सुरक्षा चुनौतियाँ हैं, वहाँ टीटीपी की मौजूदगी कोई मामूली बात नहीं है।

बांग्लादेश की आतंकवाद-रोधी एजेंसियों ने इस महीने अलग-अलग अभियानों में टीटीपी से संदिग्ध संबंधों के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया है। टीटीपी पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमाओं पर सक्रिय है। लेकिन अब यह बांग्लादेश में पैर पसारने लगा है। जानकारी के अनुसार, बांग्लादेश के दो युवकों ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान के रास्ते टीटीपी का प्रशिक्षण लिया था। उनमें से एक की वजीरिस्तान में पाकिस्तानी सेना के साथ मुठभेड़ में मौत हो गई। जुलाई में, ढाका की आतंकवाद-रोधी इकाई (एटीयू) ने टीटीपी से कथित संबंधों के आरोप में शमीन महफूज़ और मोहम्मद फैसल नामक दो लोगों को गिरफ्तार किया था।

भारत के लिए क्या है ख़तरा?

यह खबर ऐसे समय में आ रही है जब मलेशिया में भी 36 बांग्लादेशी नागरिकों को आतंकवादी संगठनों से जुड़े होने के संदेह में गिरफ्तार किया गया था। संकेत हैं कि बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद घरेलू जिहादी नेटवर्क को भी नई ऊर्जा मिली है। लेकिन यह भारत के लिए चिंता का विषय है। दरअसल, बांग्लादेश की भारत के साथ 4,000 किलोमीटर से ज़्यादा लंबी सीमा लगती है। यहाँ किसी भी आतंकवादी संगठन की मौजूदगी भारत की सीमाओं और सुरक्षा को सीधे तौर पर चुनौती देती है। खासकर टीटीपी जैसे संगठन, जो पाकिस्तान में सेना और पुलिस पर आत्मघाती हमलों के लिए कुख्यात रहे हैं। इनकी बढ़ती मौजूदगी भारत के लिए मुसीबत बन सकती है। ढाका स्थित अखबार द डेली स्टार ने खबर दी है कि बांग्लादेशी सुरक्षा एजेंसियां इस चुनौती से निपटने के लिए खुफिया जानकारी के आधार पर कार्रवाई कर रही हैं। लेकिन क्या यह तैयारी काफी है? यह सवाल अब भारत के लिए बेहद अहम हो गया है।

नेपाल ने भी पाकिस्तान को क्षेत्रीय ख़तरा बताया

दिलचस्प बात यह है कि कुछ हफ़्ते पहले नेपाल की राजधानी काठमांडू में आयोजित एक बड़े सेमिनार में पाकिस्तान-प्रेरित आतंकवाद को दक्षिण एशिया में शांति के लिए एक बड़ा ख़तरा बताया गया था। माना जा रहा था कि नेपाल का इस्तेमाल भारत में आतंक फैलाने के लिए एक माध्यम के रूप में किया जा रहा है। नेपाल के पूर्व रक्षा मंत्री मिनेंद्र रिजाल से लेकर पूर्व विदेश मंत्री एनपी सऊद तक, सभी इस बात पर सहमत थे कि पाकिस्तान की आतंकवाद-नीति ने सार्क को निष्क्रिय कर दिया है और भारत समेत पूरे क्षेत्र को अस्थिर कर दिया है। नेपाल के पूर्व राजदूत मधु रमन आचार्य ने भारत और नेपाल के बीच संयुक्त ख़ुफ़िया साझेदारी और संयुक्त सीमा गश्त की वकालत करते हुए साफ़ कहा, 'हम आतंकवाद के ख़िलाफ़ भारत के साथ हैं।'

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