ट्रंप ने ईरान पर हमले को दी मंजूरी, आखिरी आदेश के पहले कर रहे इस बात का इंतजार, पुतिन ने भी दे दिया जंग पर बयान

मिडिल ईस्ट में हालात एक बार फिर गंभीर मोड़ पर पहुंच चुके हैं। ईरान और इजरायल के बीच शुरू हुए टकराव में अब अमेरिका के कूदने की संभावना बेहद प्रबल हो गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार देर रात अपने वरिष्ठ सहयोगियों से साफ कहा कि वह ईरान पर सैन्य हमले की योजना को मंजूरी दे चुके हैं। हालांकि, अंतिम आदेश फिलहाल रोक दिए गए हैं — यह देखने के लिए कि क्या तेहरान अपने परमाणु कार्यक्रम को रोकने को तैयार होता है या नहीं।
वॉल स्ट्रीट जर्नल का बड़ा खुलासा
अमेरिका की प्रमुख मीडिया संस्था वॉल स्ट्रीट जर्नल ने बुधवार को यह रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें ट्रंप के निर्णय से परिचित तीन वरिष्ठ अधिकारियों के हवाले से यह बड़ा खुलासा किया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रंप इस बात का आकलन कर रहे हैं कि क्या ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को लेकर नरमी दिखाता है। अगर ऐसा नहीं होता, तो अमेरिका इजरायल के साथ मिलकर ईरान के खिलाफ सीधा युद्ध शुरू कर सकता है।
मिडिल ईस्ट में सैन्य तैयारियों में तेजी
इसी के साथ अमेरिका ने मिडिल ईस्ट में अपने सैन्य ठिकानों पर मौजूद फाइटर जेट्स और नौसैनिक जहाजों को रणनीतिक रूप से पुनः तैनात करना शुरू कर दिया है। रॉयटर्स के मुताबिक, अमेरिकी सेना ने उन इलाकों से अपनी कुछ सैन्य संपत्तियों को हटा लिया है, जो किसी संभावित ईरानी हमले की चपेट में आ सकते थे। इसमें बहरीन और कतर के बेस शामिल हैं।
बहरीन से शिफ्ट किए गए नौसैनिक पोत
अमेरिकी नौसेना के 5वें बेड़े के ठिकाने बहरीन से जहाजों को हटाया गया है, जबकि कतर के अल-उदीद एयर बेस से कुछ फाइटर जेट्स को ट्रांसफर किया गया है। अधिकारियों का कहना है कि यह कदम सैन्य सुरक्षा के मानकों के तहत उठाया गया है और इसमें कोई असामान्यता नहीं है।
युद्ध की आहट: टैंकर विमानों की तैनाती बढ़ी
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका ने यूरोप और मिडिल ईस्ट में टैंकर विमानों की बड़ी तैनाती की है और इससे संकेत मिलते हैं कि वह किसी बड़े सैन्य ऑपरेशन के लिए तैयारी कर रहा है। इंडो-पैसिफिक रीजन से एक विमानवाहक पोत को भी मिडिल ईस्ट की ओर रवाना कर दिया गया है, जिससे तनाव और अधिक बढ़ गया है।
तेहरान में डर का माहौल, लोग छोड़ रहे हैं शहर
ईरान की राजधानी तेहरान में भय और अफरातफरी का माहौल है। इजरायल के हमलों की आशंका को देखते हुए राजधानी के कई नागरिक शहर छोड़कर ग्रामीण इलाकों की ओर पलायन कर रहे हैं। बीते शुक्रवार 12 जून को इजरायल ने दावा किया था कि ईरान अब परमाणु हथियार बनाने के अंतिम चरण में है और इसी आधार पर उसने हवाई हमले शुरू कर दिए।
ईरान का जवाब: “हम परमाणु हथियार नहीं बना रहे”
ईरानी प्रशासन ने इजरायल के इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि वह परमाणु हथियारों के निर्माण में रुचि नहीं रखता। ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि उनका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण है और IAEA (अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) के निगरानी तंत्र के तहत है। ईरान ने इजरायल के आक्रमण को "अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन" बताया है।
ट्रंप की रणनीति: “या तो रुको, या भुगतो”
डोनाल्ड ट्रंप की रणनीति साफ है— ईरान अगर अपने परमाणु कार्यक्रम पर लगाम नहीं लगाता तो अमेरिका सैन्य कार्रवाई करेगा। ट्रंप प्रशासन इससे पहले भी कई बार ईरान पर सख्त प्रतिबंध लगा चुका है। अब उन्होंने सैन्य विकल्पों पर भी विचार शुरू कर दिया है।
ट्रंप की दुविधा
हालांकि ट्रंप यह भी जानते हैं कि मिडिल ईस्ट में युद्ध अमेरिका को राजनीतिक और आर्थिक दोनों मोर्चों पर भारी पड़ सकता है। राष्ट्रपति चुनावों के करीब होने और वैश्विक आर्थिक अस्थिरता को देखते हुए ट्रंप का यह फैसला जोखिम भरा हो सकता है। यही कारण है कि अंतिम आदेश पर रोक अभी लगी हुई है।
इजरायल का रुख बेहद आक्रामक
इजरायल के प्रधानमंत्री ने कहा है कि वे ईरान को किसी भी कीमत पर परमाणु शक्ति नहीं बनने देंगे। उन्होंने यह भी संकेत दिया है कि अगर अमेरिका साथ नहीं भी आता, तो इजरायल अकेले कार्रवाई करेगा। अब तक इजरायल कई अहम ईरानी ठिकानों को निशाना बना चुका है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की अपील: संयम बरतें
संयुक्त राष्ट्र, रूस, चीन और यूरोपीय संघ ने इस स्थिति पर चिंता जताई है और सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की है। विशेष रूप से रूस और चीन ने कहा है कि यदि अमेरिका ईरान पर हमला करता है, तो यह वैश्विक स्थिरता को गंभीर रूप से प्रभावित करेगा।