इजरायल के साथ मिलकर अमेरिका ने बनाया ईरान के परमाणु स्थलों को मटियामेट करने का मास्टर प्लान, जानें क्या है पूरा मामला?

ईरान और इज़रायल के बीच तेजी से भड़कते संघर्ष ने अब अमेरिका को भी सीधे युद्ध में शामिल होने की कगार पर ला खड़ा किया है। अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इजरायली हमलों में अमेरिका की सैन्य भागीदारी पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। यह घटनाक्रम ऐसे वक्त में सामने आया है जब ट्रंप ने मंगलवार को व्हाइट हाउस की सिचुएशन रूम में राष्ट्रीय सुरक्षा टीम के साथ करीब 1 घंटे 20 मिनट की गहन बैठक की।
सीबीएस न्यूज़ को दी जानकारी में एक सीनियर खुफिया अधिकारी और रक्षा विभाग से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि ट्रंप ईरान की परमाणु सुविधाओं को निशाना बनाने के लिए इजरायल के सैन्य प्रयास में शामिल होने पर विचार कर रहे हैं। इन घटनाक्रमों ने पश्चिम एशिया में बड़े पैमाने पर टकराव की आशंकाओं को गहरा कर दिया है।
क्या अमेरिका ईरानी परमाणु ठिकानों पर करेगा हमला?
Axios की रिपोर्ट के अनुसार, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और सैन्य अधिकारी मानते हैं कि डोनाल्ड ट्रंप आने वाले दिनों में ईरान की भूमिगत यूरेनियम संवर्धन सुविधा 'फोर्डो' पर हमला करने के लिए युद्ध में प्रवेश कर सकते हैं। इजरायली खुफिया एजेंसियों का मानना है कि यह हमला ईरानी परमाणु कार्यक्रम को वर्षों पीछे धकेल सकता है।
सोशल मीडिया पर ट्रंप की चेतावनियां और युद्ध के संकेत
जी7 शिखर सम्मेलन से ट्रंप के अचानक चले जाने और सोशल मीडिया पर दिए गए बयानों ने अमेरिका की संभावित सैन्य भागीदारी को और मजबूत किया है। ट्रंप ने हाल ही में कहा, "ईरान के एयरस्पेस पर अमेरिका का पूरा नियंत्रण है। ईरानी डिफेंस सिस्टम हमारी तकनीक के आगे कुछ नहीं है।" इसके अलावा उन्होंने ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनेई को 'आसान टारगेट' करार देते हुए उनकी लोकेशन का पता होने का भी दावा किया।
ईरान की ओर से जवाबी तैयारी
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी खुफिया अधिकारियों का मानना है कि अगर अमेरिका इजरायल के युद्ध प्रयास में शामिल होता है, तो ईरान मध्य-पूर्व में अमेरिकी ठिकानों को निशाना बना सकता है। ईरान पहले ही अपने मिसाइल सिस्टम और ड्रोन्स को हाई अलर्ट पर रख चुका है। अमेरिका ने भी यूरोप में तीन दर्जन ईंधन भरने वाले विमान भेजे हैं ताकि अमेरिकी लड़ाकू विमानों की मदद की जा सके। इसके अलावा ईरान समर्थित हाउती विद्रोहियों के फिर से लाल सागर में जहाजों पर हमले करने की आशंका है, वहीं इराक और सीरिया में ईरानी मिलिशिया अमेरिकी ठिकानों को निशाना बना सकते हैं।
भारत समेत पूरी दुनिया पर असर संभव
मिडिल ईस्ट में युद्ध के हालात का सीधा असर भारत जैसे देशों पर महंगाई के रूप में दिख सकता है। पहले से ही तेल की कीमतें बढ़ रही हैं, और अगर युद्ध बढ़ा, तो पेट्रोल-डीजल, गैस और राशन जैसी ज़रूरी चीज़ों पर असर पड़ेगा। डोनाल्ड ट्रंप की इजरायल के साथ सैन्य साझेदारी पर विचार और उनकी हालिया चेतावनियों ने वैश्विक राजनीति को हिला दिया है। अगर अमेरिका युद्ध में कूदता है, तो यह मिडिल ईस्ट को लंबे समय तक अस्थिर कर सकता है और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी इसका गहरा असर पड़ेगा। आने वाले कुछ दिन विश्व राजनीति और शांति के लिहाज से निर्णायक हो सकते हैं।