लॉस एंजिलिस में बिगड़े हालात...आखिर क्यों अमेरिका में बने गृहयुद्ध जैसे हालात

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों से देश लगातार अस्थिरता की ओर बढ़ रहा है। उनके शासनकाल में अमेरिका गंभीर सामाजिक और राजनीतिक संकट से गुजर रहा है। बीते तीन दिनों से लॉस एंजिल्स हिंसा की गिरफ्त में है, जहां सड़कों पर उपद्रवी बेखौफ घूम रहे हैं। हॉलीवुड की चमक-धमक वाली इस नगरी में अब दहशत का माहौल है। हाईवे पर प्रदर्शनकारियों का कब्जा हो चुका है और कई जगह सेल्फ-ड्राइविंग कारों को आग के हवाले कर दिया गया है। इस बीच ऑस्ट्रेलिया की एक महिला पत्रकार लॉरेन टोमासी उस समय घायल हो गईं, जब वह प्रदर्शन की लाइव रिपोर्टिंग कर रही थीं। पुलिस ने रबर बुलेट दागे जो उनके पैरों पर लगे। यह सब कैमरे में कैद हो गया और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ।
लॉस एंजिल्स से न्यूयॉर्क तक फैला दंगे का तांडव
लॉस एंजिल्स में हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि पुलिस ने कई इलाकों में सीधी फायरिंग शुरू कर दी है। रात के अंधेरे में गाड़ियां जलाई जा रही हैं और दुकानों को लूटा जा रहा है। पैरामाउंट से लेकर डाउनटाउन और कॉम्पटन तक दंगाइयों का कब्जा है। कई प्रदर्शनकारियों ने सरकारी कार्यालयों को घेर लिया और अधिकारियों पर हमला कर दिया। एक वीडियो में देखा गया कि एक प्रदर्शनकारी ने तीन पुलिसवालों की पिटाई कर दी और फरार हो गया। स्थिति सिर्फ लॉस एंजिल्स तक सीमित नहीं है। न्यूयॉर्क, शिकागो और वाशिंगटन डीसी जैसे बड़े शहर भी इस आग की चपेट में हैं। सवाल उठ रहे हैं कि अमेरिका में आखिर ऐसा क्या हुआ कि चारों ओर अशांति फैल गई है? इन सबके केंद्र में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।
नेशनल गार्ड्स की तैनाती और संवैधानिक संकट
इस हिंसा के जवाब में राष्ट्रपति ट्रंप ने लॉस एंजिल्स में दो हजार अमेरिकी नेशनल गार्ड्स की तैनाती कर दी है। लेकिन विवाद इस बात पर है कि ये तैनाती गवर्नर की अनुमति के बिना की गई, जो अमेरिकी संविधान के खिलाफ माना जा रहा है। कैलिफोर्निया के गवर्नर गैविन न्यूसम और लॉस एंजिल्स की मेयर ने ट्रंप के इस कदम की कड़ी आलोचना की है। उनका कहना है कि ट्रंप ने राज्य सरकार को पूरी तरह दरकिनार कर दिया। नेशनल गार्ड्स आमतौर पर तीन परिस्थितियों में तैनात किए जाते हैं: जब देश पर हमला हो, जब सरकार के खिलाफ विद्रोह हो या जब कानून व्यवस्था बनाए रखने में असफलता हो। लेकिन इन सभी स्थितियों में राज्य के गवर्नर की अनुमति आवश्यक होती है। ट्रंप के इस सीधे हस्तक्षेप को विशेषज्ञ संविधान के खिलाफ मान रहे हैं।
डिपोर्टेशन पॉलिसी से उपजा आक्रोश
प्रदर्शन की मूल वजह ट्रंप की डिपोर्टेशन नीति है, जिसके तहत अवैध प्रवासियों को पकड़कर देश से बाहर निकाला जा रहा है। हाल ही में लॉस एंजिल्स में 6 और 7 जून को छापेमारी की गई थी, जिसके बाद विरोध भड़क उठा। प्रदर्शनकारियों ने अमेरिकी झंडे जलाए, गाड़ियां फूंकी और पुलिस के साथ भिड़ गए। कई प्रदर्शनकारियों ने मैक्सिको का झंडा लेकर मार्च किया, जिससे यह साफ हो गया कि मामला अप्रवासी अधिकारों से जुड़ा है।
अमेरिका में मेक्सिकन अप्रवासियों की संख्या लाखों में है और वे ट्रंप की नीतियों से खासे नाराज हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में दुनिया भर के 11.2 मिलियन मेक्सिकन अप्रवासियों में से लगभग 10.9 मिलियन अमेरिका में थे। ट्रंप की नीतियां इन्हीं लोगों के खिलाफ कड़ी हो गई हैं, जिससे आक्रोश और बढ़ता जा रहा है।
एलन मस्क और नेताओं की प्रतिक्रियाएं
हिंसा और अशांति पर उद्योगपति एलन मस्क ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने लिखा, "ये उचित नहीं है।" वहीं, कैलिफोर्निया के गवर्नर ने ट्रंप की नीति को कठोर और असंवैधानिक बताया है। ट्रंप सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लगातार पोस्ट कर रहे हैं और प्रदर्शनकारियों को अपराधी बता रहे हैं। उन्होंने यहां तक कह दिया कि जो मास्क पहने दिखे, उसे तुरंत गिरफ्तार किया जाए।
ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' का नारा दिया था, लेकिन अब उनके फैसलों के कारण यह नारा 'मेक अमेरिका बेड अगेन' जैसा प्रतीत हो रहा है। अमेरिका में उनके शासनकाल में विवाद, बंटवारा और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना ही अधिक देखी जा रही है।