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आखिर क्यों भारत ने अमेरिका के लिए खीच दी लक्ष्मणरेखा, जानें क्या है पूरा मामला?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध की आड़ में भारत पर निशाना साधा है और खुली धमकी भी दी है। व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति ट्रंप रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाना चाहते हैं...
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध की आड़ में भारत पर निशाना साधा है और खुली धमकी भी दी है। व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति ट्रंप रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाना चाहते हैं। इससे पहले, अमेरिका के नेतृत्व वाले सैन्य गठबंधन, उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के महासचिव मार्क रूट ने भारत, ब्राजील और चीन को खुली धमकी दी थी। इससे पहले, भारत ने अपना रुख बिल्कुल स्पष्ट कर दिया था। भारत ने कहा था कि इस मामले में दोहरा मापदंड नहीं चलेगा। रूस ने हमेशा भारत का समर्थन किया है। वह आजादी के बाद से ही भारत का समर्थन करता रहा है। भारत के विकास में रूस का बहुत बड़ा योगदान रहा है। आइए समझते हैं।

भारत ने कहा- दोहरा मापदंड नहीं चलेगा, हमें कोई चिंता नहीं

इन धमकियों पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि अपने लोगों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। हमें इस मामले में किसी भी तरह के दोहरे मापदंड से बचना चाहिए। वहीं, केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध संघर्ष और मध्य पूर्व में तनाव जैसे वैश्विक भू-राजनीतिक व्यवधानों के बीच, भारत ने अपनी ऊर्जा सुरक्षा आवश्यकताओं के मद्देनजर सक्रिय रूप से अपने कच्चे तेल के आयात स्रोतों को 27 देशों से बढ़ाकर 40 देशों तक पहुँचाया है। इसीलिए हम रूस पर प्रतिबंध जैसी किसी कार्रवाई को लेकर चिंतित नहीं हैं।

रूस लड़ाकू विमान और सोर्स कोड भी दे रहा है

विकिपीडिया के अनुसार, रूस यानी पूर्व सोवियत संघ भारत की आज़ादी के बाद से कई मौकों पर भारत के लिए मददगार रहा है। सोवियत संघ ने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत का साथ दिया था, जिससे भारत की स्थिति मज़बूत हुई थी। साथ ही, शीत युद्ध के दौरान, सोवियत संघ भारत का एक प्रमुख हथियार आपूर्तिकर्ता था। इससे भारत को अपनी सैन्य क्षमताओं को विकसित करने में मदद मिली। जबकि अमेरिका ने इन दोनों मौकों पर पाकिस्तान का साथ दिया था। भारत को यह नहीं भूलना चाहिए। इसीलिए आज भी भारत अमेरिका से ज़्यादा रूस पर भरोसा करता है। हाल ही में रूस ने अपना SU-57 लड़ाकू विमान और उसका सोर्स कोड भी देने की पेशकश की है। वहीं, अमेरिका और फ्रांस हमेशा से अपना इंजन और सोर्स कोड देने में आनाकानी करते रहे हैं।

1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध

विकिपीडिया के अनुसार, पूर्व सोवियत संघ ने 1971 के युद्ध में भारत का समर्थन किया था। उस समय, भारत ने पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) को पाकिस्तान से आज़ादी दिलाने में मदद की थी। सोवियत संघ ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के विरुद्ध किसी भी प्रस्ताव पर वीटो लगा दिया था, जिससे भारत को अपनी सैन्य कार्रवाई जारी रखने में मदद मिली। वहीं, 1971 के युद्ध के दौरान पाकिस्तान की मदद के लिए अमेरिका ने समुद्र में अपना युद्धक बेड़ा उतारा था।

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