ट्रंप के टैरिफ फैसले के पीछे 5 बड़ी वजहें, जो बताते हैं अमेरिका के लिए चीन की अहमियत और टैरिफ टालने की मजबूरी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने के फैसले को 90 दिनों के लिए टाल दिया है। ट्रंप ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि अमेरिका-चीन टैरिफ की समयसीमा 9 नवंबर तक बढ़ा दी गई है। फिलहाल, अमेरिका ने चीन पर 30 प्रतिशत टैरिफ लगाया हुआ है। अप्रैल में अमेरिका ने चीन पर 245 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने की धमकी दी थी। चीन ने इसका जवाब देते हुए कहा था कि वह अमेरिका पर 125 प्रतिशत टैरिफ लगाएगा। अब अमेरिका चीन पर मेहरबान हो गया है। चीन के प्रति अमेरिका की मेहरबानी की वजह बेवजह नहीं है। अमेरिका लाख धमकी दे, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि ट्रंप का देश किस हद तक चीन पर निर्भर है। व्यापार में चीन से पंगा लेना अमेरिका के लिए महंगा साबित हो सकता है। साथ ही, यह अमेरिकी कंपनियों के विरोध का कारण भी बन सकता है।
अमेरिका चीन पर कितना निर्भर है?
अमेरिका के लिए चीन कितना महत्वपूर्ण है, आयात के आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं। यूएस इम्पोर्ट डेटा के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका सबसे ज़्यादा चीज़ें तीन देशों से आयात करता है। पहले नंबर पर मेक्सिको, दूसरे पर चीन और तीसरे पर कनाडा है। ऐसा नहीं है कि अमेरिका विनिर्माण क्षेत्र में बहुत पीछे है, बल्कि चीन को अपना व्यापारिक साझेदार बनाकर व्यापार चलाने के लिए भी वह मजबूर है। ऐसा क्यों है, आइए अब इसे समझते हैं।
अमेरिका के लिए चीन क्यों महत्वपूर्ण है, 5 बड़े कारण
1- सस्ता सामान चीन की ताकत, अमेरिका की मजबूरी
चीन में श्रम सस्ता है। जनसंख्या ज़्यादा है। नतीजतन, कंपनियों को कम वेतन पर कर्मचारी मिलते हैं और उत्पाद की लागत कम होती है। यही चीन की सबसे बड़ी ताकत है, जिसका फायदा उठाकर वह दुनिया के ज़्यादातर देशों के साथ व्यापार करते हुए सस्ता सामान बेचता है।
2- ज़्यादा विनिर्माण और मज़बूत आपूर्ति श्रृंखला
चीन बड़े पैमाने पर चीज़ें बनाता है। उसकी सबसे बड़ी ताकत जनशक्ति है, जो चीन के पास प्रचुर मात्रा में है। हालाँकि चीन से अमेरिका तक चीज़ों के पहुँचने में लंबा समय लगता है, लेकिन उत्पादन क्षमता और बंदरगाह नेटवर्क इसे खास बनाते हैं। दोनों देशों के साथ स्थायी व्यापार मार्ग और बुनियादी ढाँचा अच्छी तरह से स्थापित है, जिससे निर्भरता बढ़ रही है।
3- चीन में अमेरिकी कंपनियों का निवेश
विश्व आर्थिक मंच के अनुसार, अमेरिकी कंपनियों ने चीन में बड़े पैमाने पर निवेश किया है, लेकिन हालिया टैरिफ विवाद के बाद, चीन में अमेरिकी कंपनियां सतर्क हो गई हैं। वे निवेश में कटौती कर रही हैं। यूएस-चाइना बिज़नेस काउंसिल (USCBC) के 2025 के सर्वेक्षण में पाया गया है कि मौजूदा टैरिफ स्थिति के बीच, 48% अमेरिकी कंपनियां इस साल चीन में निवेश करने की योजना बना रही हैं, जो 2024 में निवेश करने की योजना बनाने वाली 80% कंपनियों से काफी कम है।
4- 2001 के बाद आया मोड़ और निर्भरता बढ़ी
2001 में विश्व व्यापार संगठन में शामिल होने के बाद, चीन ने अमेरिकी बाज़ार के लिए अपने दरवाजे खोले और कंपनियों ने बड़े पैमाने पर उत्पादन वहाँ स्थानांतरित कर दिया। दोनों देशों में अमेरिकी कंपनियों ने कारखानों और असेंबलिंग प्लांट में बड़े पैमाने पर निवेश किया, जिससे व्यापार निर्भरता और गहरी हुई। आज भी, कई अमेरिकी कंपनियां अपने उत्पादन का कुछ हिस्सा मेक्सिको और चीन को आउटसोर्स करती हैं।
5- अमेरिकी नीति भी एक वजह
चीन व्यापार को व्यवस्थित रखता है। यहाँ कारखाने, पुर्जों की आपूर्ति और लॉजिस्टिक्स केंद्र, सब पास-पास हैं। अमेरिका में ऐसा नहीं है। यहाँ चीज़ें बिखरी हुई हैं। अमेरिका ने उच्च मूल्य और उच्च तकनीक वाले क्षेत्रों के लिए अपनी फ़ैक्टरी क्षमता बढ़ाई है। साथ ही, वह चीन और मेक्सिको से कम लागत वाली वस्तुओं का आयात करता है। अमेरिका चीन और मेक्सिको से कम लागत वाली और बड़े पैमाने पर वस्तुएँ खरीदता है।
अमेरिका और चीन एक-दूसरे से क्या खरीदते हैं?
अमेरिका चीन से ऐसी चीज़ें आयात करता है जो सस्ती हैं और देश में माँग में हैं। जैसे विद्युत मशीनरी, उपकरण, खिलौने, गेम कंसोल। ये वो वस्तुएँ हैं जो अमेरिका चीन से सबसे ज़्यादा खरीदता है। इसके अलावा, वह फ़र्नीचर, प्लास्टिक समेत कई तरह की उपभोक्ता वस्तुओं का आयात करता है। चीन ने वर्ष 2024 में अमेरिका से खनिज ईंधन, तिलहन, मशीनरी, विमान मँगवाए। इसके अलावा, उसने सोयाबीन, कच्चा पेट्रोलियम, विद्युत मशीनरी का आयात किया।

