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दीवार फांदते हुए वायरल हुआ CM उमर अब्दुल्ला का VIDEO, जानें क्यों किए गए थे हाउस अरेस्ट ?

दीवार फांदते हुए वायरल हुआ CM उमर अब्दुल्ला का VIDEO, जानें क्यों किए गए थे हाउस अरेस्ट ?

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को सुरक्षा बैरिकेड तोड़कर मज़ार-ए-शुहादा (शहीद स्मारक) की चारदीवारी फांदकर 1931 में डोगरा शासन के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान मारे गए कश्मीरियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि सुरक्षा बलों ने उन्हें श्रीनगर के पुराने शहर में स्थित स्मारक तक पहुँचने से रोक दिया। जम्मू-कश्मीर में रविवार, 13 जुलाई को शहीद दिवस मनाया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह सोमवार को बिना किसी को बताए वहाँ पहुँच गए क्योंकि उन्हें रविवार को वहाँ जाने की अनुमति नहीं थी। उन्होंने दावा किया कि उन्हें नज़रबंद कर दिया गया था।


मैं उन्हें बिना बताए आया था- सीएम ने कहा

अब्दुल्ला ने कहा, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने की ज़िम्मेदारी लेने वालों के आदेश पर, हमें कल यहाँ फ़ातिहा पढ़ने की अनुमति नहीं दी गई। लोगों को उनके घरों में ही कैद कर दिया गया। जब दरवाज़े खुले और मैंने कंट्रोल रूम को बताया कि मैं यहाँ आना चाहता हूँ, तो मेरे दरवाज़े के सामने एक बंकर बना दिया गया था और उसे देर रात तक नहीं हटाया गया। आज मैंने उन्हें कुछ नहीं बताया। बिना बताए मैं गाड़ी में बैठ गया और यहाँ आ गया।"

सीएम ने कड़ी टिप्पणी की, कहा- इनकी बेशर्मी देखिए

नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता ने कहा कि सुरक्षा बलों ने आज भी उन्हें स्मारक तक पहुँचने से रोकने की कोशिश की और पूछा कि किस क़ानून के तहत ऐसा किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा, "उनकी बेशर्मी देखिए। आज भी उन्होंने हमें रोकने की कोशिश की। हमने नौहट्टा चौक पर गाड़ी खड़ी कर दी। उन्होंने हमारे सामने बंकर बना लिया और हमारे साथ बदसलूकी करने की कोशिश की। वर्दी पहने ये पुलिसवाले कभी-कभी क़ानून भूल जाते हैं। मैं उनसे पूछना चाहता हूँ कि आज उन्होंने किस क़ानून के तहत हमें रोकने की कोशिश की? ये पाबंदियाँ अब पुरानी बात हो गई हैं। वो कहते हैं कि यह आज़ाद देश है, लेकिन कभी-कभी उन्हें लगता है कि हम उनके गुलाम हैं। हम किसी के गुलाम नहीं हैं। अगर हम गुलाम हैं, तो हम जनता के गुलाम हैं।"

13 जुलाई को जम्मू-कश्मीर में शहीद दिवस क्यों मनाया जाता है?

13 जुलाई, 1931 को तत्कालीन महाराजा हरि सिंह डोगरा की सेना ने श्रीनगर जेल के बाहर कश्मीरी प्रदर्शनकारियों के एक समूह पर गोलीबारी की थी। प्रदर्शनकारियों ने अब्दुल कादिर का समर्थन किया था, जिन्हें डोगरा शासक के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने के लिए कश्मीरियों से आह्वान करने पर देशद्रोह का आरोप लगाकर जेल में डाल दिया गया था। उस दिन हुई गोलीबारी में 22 प्रदर्शनकारी मारे गए थे। पिछले 70 वर्षों से 13 जुलाई को कश्मीर में एक ऐतिहासिक दिन के रूप में मनाया जाता है और इसे कश्मीर के पहले राजनीतिक जागरण के रूप में चिह्नित किया जाता है।

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