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झरना जिसे पसंद नहीं जूठापन! जैसे ही किसी ने फेंका जूठा पानी बहाव हो गया कम, जानिए क्या है रहस्य  ?

झरना जिसे पसंद नहीं जूठापन! जैसे ही किसी ने फेंका जूठा पानी बहाव हो गया कम, जानिए क्या है रहस्य  ?

वैसे तो आपने कई अलग-अलग कहानियां सुनी होंगी, जिनमें से कुछ पर आपको यकीन हो सकता है और कुछ पर नहीं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे झरने की कहानी बताने जा रहे हैं जो अपने आप में अजीब है। अजीब इसलिए क्योंकि आपने ऐसा पहले न तो सुना होगा और न ही देखा होगा। तो आइए जानते हैं इस अजीबोगरीब झरने के बारे में..

गंदा पानी फेंकने से धीमा हो जाता है बहाव
अजीब कहानी वाला यह झरना मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले के चंदेरी में है। जी हाँ, वही चंदेरी जो अब देश-विदेश में अपने पर्यटन स्थलों और साड़ियों के लिए जाना जाता है। चंदेरी में मालन खो का प्राकृतिक सौंदर्य बरसात के मौसम में लोगों को खूब आकर्षित करता है, वजह है पहाड़ों से गिरता हुआ कलकल करता पानी। और यह झरना इन्हीं झरनों में से एक है। जिसका गंदा पानी फेंकने पर बहाव धीमा हो जाता है और फिर पूजा-अर्चना करके झरने को मनाना पड़ता है और फिर झरना अपने सही बहाव में बहता है।

चंदेरी से पाँच किलोमीटर दूर जंगल में है झरना

चंदेरी से पाँच किलोमीटर दूर जंगल में स्थित सिद्ध स्थल मालन खो में पहाड़ी पर हनुमानजी, हज़ारिया महादेव, भैरव और गणेशजी की प्राचीन मूर्तियाँ हैं। इन मूर्तियों के बीच एक गुफा से पानी आता है और पहाड़ी से नीचे गिरकर झरने का रूप ले लेता है। यह झरना साल भर अविरल बहता रहता है। चंदेरी निवासी राजेश चतुर्वेदी बताते हैं कि यह एक सिद्ध स्थल है और अगर कोई झरने में गंदा पानी फेंकता है या गंदे बर्तन धोता है, तो झरने में पानी का प्रवाह धीमा हो जाता है। उन्होंने बताया कि बाद में सिद्ध गुरु की पूजा करके झरने को मनाना पड़ता है, इसके बाद भी प्रवाह फिर से तेज़ हो जाता है।

बड़ी संख्या में दर्शनार्थी यहाँ पहुँचते हैं।

घने जंगल और पहाड़ों के बीच स्थित होने के कारण लोग समूहों में यहाँ पहुँचते हैं और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेते हैं। हालाँकि, जंगली जानवरों के डर से कुछ लोग वहाँ जाने से डरते हैं। राजेश चतुर्वेदी ने बताया कि यहां दो झरने हैं, इनमें से एक झरना केवल बरसात के मौसम में बहता है और यह झरना पूरे साल लगातार बहता रहता है।

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