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समोसे पर रवि किशन ने संसद में कसा ऐसा तंज कि नहीं रुकी किसी की हंसी, अब सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा VIDEO 

समोसे पर रवि किशन ने संसद में कसा ऐसा तंज कि नहीं रुकी किसी की हंसी, अब सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा VIDEO 

गोरखपुर से भाजपा सांसद रवि किशन का एक बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। सांसद ने सदन में देश भर में मिलने वाले खाद्य पदार्थों की अलग-अलग कीमतों और गुणवत्ता को लेकर सवाल उठाए। जिसमें उन्होंने समोसे का उदाहरण देते हुए उसके अलग-अलग दामों का ज़िक्र किया। सांसद के बयान का एक छोटा सा हिस्सा वायरल हो रहा है जिसमें वह समोसे की कीमत से जुड़े सवाल उठा रहे हैं। वायरल बयान में सांसद और मशहूर अभिनेता रवि किशन कहते दिख रहे हैं कि समोसा कहीं बड़े साइज़ में मिलता है तो कहीं छोटे साइज़ में। बाज़ार इतना बड़ा है। करोड़ों ग्राहक हैं। 11 सालों में पीएम मोदी ने कई क्रांतिकारी बदलाव किए हैं। लेकिन यह क्षेत्र अछूता है। ऐसे में छोटे ढाबों से लेकर बड़े होटलों तक में मिलने वाले खाद्य पदार्थों की कीमत और गुणवत्ता को लेकर एक कानून बनाया जाना चाहिए।

लोकसभा के शून्यकाल में रवि किशन ने उठाए सवाल
रवि किशन ने लोकसभा में कहा कि मैं आपका हृदय से आभारी हूँ कि आपने मुझे शून्यकाल में इस जनहित के मामले को उठाने की अनुमति दी। हमारा भारत दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। यहाँ छोटे शहरों से लेकर बड़े महानगरों तक लाखों ढाबे और होटल हैं, जहाँ करोड़ों लोग रोज़ाना खाना खाते हैं। इन ढाबों और होटलों के स्थान और स्तर के अनुसार ग्राहकों से खाद्य पदार्थों की कीमत ली जाती है। आज मेरा विषय खाद्य पदार्थों की मात्रा से संबंधित है।


खाद्य पदार्थों का मानकीकरण ज़रूरी

उन्होंने कहा कि किसी भी ढाबे या होटल में कौन सी वस्तु कितनी मात्रा में उपलब्ध होगी, इसका मानकीकरण नहीं किया गया है। इतना बड़ा बाज़ार, जिसके करोड़ों ग्राहक हैं, बिना किसी नियम-कानून के चल रहा है। हमारे प्रधानमंत्री ने पिछले 11 वर्षों में देश के विभिन्न क्षेत्रों में कई क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं, लेकिन अभी तक यह क्षेत्र अछूता है। छोटे ढाबों से लेकर सामान्य होटलों, अच्छे रेस्टोरेंट, पाँच सितारा होटलों आदि सभी जगहों पर उपलब्ध खाद्य पदार्थों की कीमत, गुणवत्ता और मात्रा निर्धारित करने के लिए एक कानून बनाया जाना चाहिए, ताकि देशवासियों को उचित मूल्य पर सही मात्रा में गुणवत्तापूर्ण खाद्य पदार्थ मिल सकें।

'होटल के मेन्यू में दाम तो होते हैं, लेकिन मात्रा की जानकारी नहीं'
सांसद ने बताया कि एक छोटे ढाबे में तड़का दाल की कीमत 100 से 120 रुपये तक हो सकती है, जबकि एक अच्छे ढाबे में उसी दाल की कीमत 250 से 400 रुपये और एक अच्छे होटल में 1,000 से 1,200 रुपये तक हो सकती है। जब कोई ग्राहक इन ढाबों या होटलों में खाना खाने जाता है, तो उसे मेन्यू कार्ड के ज़रिए दाम तो बता दिए जाते हैं, लेकिन उसे यह नहीं बताया जाता कि एक प्लेट में कितनी दाल, सब्ज़ी या चावल होंगे, क्योंकि कार्ड पर उनकी मात्रा नहीं लिखी होती।

इस वजह से, अगर चार लोग खाना खाने गए हैं, तो ग्राहकों को यह पता ही नहीं चल पाता कि उन्हें कितना ऑर्डर करना चाहिए। कभी उन्हें लगता है कि मात्रा ज़्यादा होगी, लेकिन निकलती कम है और कभी उन्हें लगता है कि मात्रा कम होगी, लेकिन निकलती ज़्यादा है। इस तरह खाना बर्बाद होता है। भोजपुरी अभिनेता ने कहा कि मैं आपके माध्यम से अनुरोध करता हूँ कि खाद्य पदार्थों की कीमत के साथ-साथ मेनू कार्ड में खाद्य पदार्थों की मात्रा का विवरण देना अनिवार्य किया जाए, ताकि ग्राहकों को स्पष्ट रूप से पता चल सके कि वे कितनी मात्रा वाली वस्तु के लिए कितना भुगतान कर रहे हैं। कई बार होटलों में छोटी बाल्टी में खाना परोसा जाता है। देखने में ऐसा लगेगा कि उसमें आधा लीटर दाल होगी, लेकिन बाल्टी की संरचना ऐसी होती है कि उसमें से केवल 250 मिलीलीटर दाल ही निकलती है।

उन्होंने कहा कि जिस तरह बिस्किट, ब्रेड या दूध के पैकेट पर मात्रा लिखी होती है, उसी तरह इन खाद्य पदार्थों, यानी दाल, सब्जी, पनीर या जो भी खाद्य पदार्थ हो, उसकी मात्रा स्पष्ट रूप से लिखना अनिवार्य किया जाना चाहिए। साथ ही, यदि संभव हो तो पकाने के माध्यम, यानी इसे बनाने में इस्तेमाल होने वाले तेल, जैसे सरसों का तेल, रिफाइंड तेल, मूंगफली का तेल या देसी घी आदि की जानकारी भी दी जाए, तो यह ग्राहकों के हित में उठाया गया एक सराहनीय कदम होगा।

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