रणकपुर जैन मंदिर में हर साल क्यों आते है लाखों सैलानी, वीडियो में देखे 1444 खंबो वाली इस सरंचना का प्रमुख आकर्षण

राजस्थान की धरती पर बसा रणकपुर जैन मंदिर न केवल एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, बल्कि भारत के सबसे सुंदर और आकर्षक पर्यटन स्थलों में से एक भी माना जाता है। उदयपुर से लगभग 90 किलोमीटर दूर अरावली की पहाड़ियों की गोद में स्थित यह मंदिर अपने अद्वितीय वास्तुशिल्प, धार्मिक गरिमा और शांतिपूर्ण वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। यही कारण है कि हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक यहां खिंचे चले आते हैं।
15वीं सदी की वास्तुकला का बेजोड़ उदाहरण
रणकपुर जैन मंदिर का निर्माण 15वीं सदी में राणा कुंभा के शासनकाल के दौरान हुआ था। इस मंदिर का निर्माण एक जैन व्यापारी धरनाशाह ने भगवान आदिनाथ के प्रति अपनी आस्था और श्रद्धा के प्रतीक रूप में कराया था। यह मंदिर श्वेत संगमरमर से बना है, जिसे देखने मात्र से ही इसकी भव्यता और कलात्मकता का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। इसमें 1,444 खंभे हैं और आश्चर्य की बात यह है कि हर खंभा अपने आप में एक अलग डिज़ाइन और शिल्प का उदाहरण है।
क्यों हर साल आते हैं लाखों सैलानी?
रणकपुर जैन मंदिर सिर्फ जैन समुदाय के लिए धार्मिक महत्व नहीं रखता, बल्कि कला, इतिहास और शांति की तलाश में निकले हर पर्यटक के लिए भी एक अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करता है। यहां आने वाले सैलानी मंदिर की जटिल नक्काशी, शांतिपूर्ण वातावरण और आसपास के हरित प्राकृतिक सौंदर्य से मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।यह मंदिर अपने आप में एक वास्तुशिल्प चमत्कार है। मंदिर के खंभों पर की गई बारीक कारीगरी, छतों पर बनी मूर्तियां और गुम्बदों का डिजाइन एक सजीव चित्र की तरह प्रतीत होता है। खास बात यह है कि मंदिर के भीतर लगे 1,444 खंभों में से कोई भी दो खंभे एक जैसे नहीं हैं। ये खंभे न केवल मंदिर की छत को सहारा देते हैं, बल्कि इसकी सुंदरता और स्थापत्य कला को भी जीवंत बनाते हैं।
शांतिपूर्ण वातावरण और आध्यात्मिक ऊर्जा का संगम
रणकपुर मंदिर न केवल अपनी भव्यता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह एक अत्यंत शांत और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर स्थान भी है। मंदिर के भीतर प्रवेश करते ही एक अनूठा सन्नाटा, शांति और श्रद्धा का अनुभव होता है। पर्यटक यहां केवल देखने या फोटो खींचने के लिए नहीं आते, बल्कि कुछ समय ध्यान और आत्मिक शांति के लिए भी बिताते हैं।मंदिर परिसर में भगवान आदिनाथ की भव्य प्रतिमा विराजमान है, जिनके चारों ओर चार दिशाओं में भी अन्य प्रतिमाएं स्थापित हैं। यह दर्शाता है कि भगवान सर्वदिशाओं में विद्यमान हैं। यहां का मुख्य गर्भगृह इतना शांत और ऊर्जावान होता है कि लोग वहां कुछ समय बैठकर ध्यान में मग्न हो जाते हैं।
विदेशी सैलानियों में भी लोकप्रिय
रणकपुर जैन मंदिर की ख्याति केवल देशभर में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी फैली हुई है। हर साल हजारों विदेशी पर्यटक भी इस मंदिर को देखने के लिए आते हैं। खास तौर पर यूरोपीय और अमेरिकी पर्यटक इस मंदिर की वास्तुशिल्पीय सुंदरता और आध्यात्मिकता से अत्यंत प्रभावित होते हैं। कई विदेशी लेखक और फोटोग्राफर इस मंदिर को भारत की सांस्कृतिक धरोहर का अद्भुत प्रतीक मानते हैं।
पर्यावरणीय सौंदर्य भी बनाता है खास
रणकपुर मंदिर चारों ओर से हरियाली और पहाड़ियों से घिरा हुआ है, जिससे इसका सौंदर्य और भी अधिक बढ़ जाता है। यहां का वातावरण इतना स्वच्छ और शांत है कि यहां कुछ पल बिताकर ही मन को गहरी शांति का अनुभव होता है। मंदिर परिसर के पास ही स्थित 'सुंदर कुंड' और आसपास का जंगल भी पर्यटकों को आकर्षित करता है।यहां आने वाले पर्यटक आसपास के अन्य स्थलों जैसे कि कुंभलगढ़ किला, सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क और उदयपुर की झीलों की यात्रा को भी रणकपुर के साथ जोड़कर देखते हैं।
धार्मिकता और पर्यटन का अद्भुत मेल
रणकपुर जैन मंदिर एक ऐसा स्थल है जहां धार्मिक श्रद्धा और पर्यटन का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। यहां न केवल जैन धर्म की गहराई और आस्था को महसूस किया जा सकता है, बल्कि भारतीय वास्तुकला, संस्कृति और शांति की आत्मा को भी महसूस किया जा सकता है।यह मंदिर यह भी दर्शाता है कि कैसे भारत में धर्म और कला मिलकर एक ऐसे अद्वितीय स्थल की रचना करते हैं, जो न केवल भक्ति का केंद्र बनता है बल्कि विश्वभर के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र भी बन जाता है।
रणकपुर जैन मंदिर केवल एक पूजा स्थल नहीं, बल्कि यह एक जीवंत इतिहास, चमत्कारी शिल्पकला और आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र है। यहां की सीढ़ियां, खंभे, गुम्बद और प्रतिमाएं हर उस व्यक्ति को आमंत्रण देती हैं, जो सौंदर्य, शांति और श्रद्धा की तलाश में है। यही वजह है कि यह मंदिर हर साल लाखों सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करता है – भले वे आस्तिक हों, कलाकार हों या बस एक सच्चे यात्री।अगर आप राजस्थान की यात्रा पर हैं, तो रणकपुर जैन मंदिर को अपनी सूची में जरूर शामिल करें – यह यात्रा आपकी आत्मा को छू जाएगी।