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जब Jaigarh Fort को लेकर आपस में भीड़ गए थे इंदिरा गांधी पर पाक-PM भुट्टो ? वायरल वीडियो में जानिए क्या थी वजह ?

आज ही छोड़े खौफनाक अतीत की दर्दभरी यादें वरना जिंदगी में कभी नहीं बड़ पाएंगे आगे, वीडियो में जानिए 5 असरदार ट्रिक्स 

राजस्थान का जयगढ़ किला केवल अपनी वास्तुकला या ऐतिहासिक महत्व के लिए ही नहीं जाना जाता, बल्कि यह उस दौर का भी गवाह रहा है जब भारत और पाकिस्तान के संबंधों में हलचल थी। इतिहास में एक वक्त ऐसा आया था जब भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच इस किले को लेकर तनाव गहरा गया था। यह घटना 1970 के दशक में हुई थी, जब भारत के राजनीतिक माहौल में भी उथल-पुथल मची हुई थी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्थिति को लेकर कई तरह की चर्चाएं चल रही थीं।तो आखिर ऐसा क्या था जयगढ़ किले में, जो दो देशों के शीर्ष नेताओं के बीच टकराव की वजह बना? क्या यह कोई सामरिक मुद्दा था, या फिर कोई गुप्त खजाने की कहानी? आइए, इस रहस्यमयी प्रकरण को विस्तार से समझते हैं।


जयगढ़ किला: एक संक्षिप्त परिचय
जयपुर के पास अरावली की पहाड़ियों पर स्थित जयगढ़ किला 18वीं शताब्दी में सवाई जयसिंह द्वितीय द्वारा बनवाया गया था। यह किला आमेर किले से सटा हुआ है और सामरिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह किला न केवल युद्धों से जुड़ा रहा है, बल्कि इसमें दुनिया की सबसे बड़ी तोप ‘जयवाना’ भी रखी गई है।लेकिन 1970 के दशक में इस किले की चर्चा उसके इतिहास या सैन्य रणनीति के लिए नहीं, बल्कि एक कथित खजाने की वजह से हुई थी। इस खजाने ने इंदिरा गांधी और जुल्फिकार अली भुट्टो जैसे बड़े नेताओं को आमने-सामने ला खड़ा किया।

अफवाह या हकीकत: जयगढ़ के खजाने की कहानी
कहानी कुछ यूं शुरू होती है – 1975 के आसपास भारत में आपातकाल लगा था और सरकार के पास संसाधनों की भारी कमी थी। इसी दौरान कुछ ऐसी अफवाहें उड़ने लगीं कि जयगढ़ किले में मुगल काल का अथाह खजाना छिपा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि औरंगजेब के उत्तराधिकारी, जब सत्ता से बेदखल हुए, तो उनका खजाना जयगढ़ में कहीं गुप्त रूप से छिपा दिया गया था। कुछ इतिहासकारों का मानना था कि यह खजाना अरबों की संपत्ति हो सकता है जिसमें सोना, चांदी, रत्न और मुगलकालीन हथियार शामिल थे।इस अफवाह ने जब तूल पकड़ा तो भारत सरकार ने स्वयं जयगढ़ किले में खुदाई के आदेश दिए। इस पूरे ऑपरेशन को बहुत ही गोपनीय तरीके से अंजाम दिया गया। भारतीय सेना और खुफिया एजेंसियां इस कार्रवाई में लगी थीं। पूरे किले को कुछ समय के लिए आम जनता के लिए बंद कर दिया गया और खुदाई का काम शुरू हुआ।

पाकिस्तान का ऐतराज़ और भुट्टो का गुस्सा
अब सवाल उठता है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को इससे क्या समस्या थी? दरअसल, जुल्फिकार अली भुट्टो ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह बयान दिया कि यदि जयगढ़ में कोई खजाना मिलता है और वह मुगलों का है, तो पाकिस्तान का उस पर अधिकार बनता है क्योंकि मुगलों की विरासत का बंटवारा भारत-पाक विभाजन के दौरान ठीक तरह से नहीं हुआ था।भुट्टो ने यह तर्क दिया कि मुगलों की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर भारत और पाकिस्तान दोनों की साझी विरासत है, और यदि भारत को कोई संपत्ति मिलती है तो उसका एक हिस्सा पाकिस्तान को भी मिलना चाहिए। यह बयान भारत के लिए न केवल चौंकाने वाला था बल्कि राजनीतिक रूप से असहज करने वाला भी।इंदिरा गांधी ने इस मुद्दे को पूरी तरह खारिज कर दिया और स्पष्ट कर दिया कि यह भारत की आंतरिक सुरक्षा और ऐतिहासिक विरासत का मामला है। उन्होंने भुट्टो के दावे को एक "राजनीतिक स्टंट" बताया और भारत की संप्रभुता पर सवाल उठाने वाला करार दिया।

क्या मिला था जयगढ़ की खुदाई में?
अब तक इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि जयगढ़ की खुदाई में कोई खजाना मिला भी था या नहीं। सरकार ने खुदाई की प्रक्रिया को रहस्यमयी बनाए रखा और इसके परिणामों को कभी सार्वजनिक रूप से घोषित नहीं किया गया। कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि खुदाई में कुछ मुगलकालीन सिक्के और कलाकृतियां मिली थीं, लेकिन कोई बड़ी संपत्ति नहीं मिली। वहीं, दूसरी तरफ अफवाहें यह भी कहती हैं कि सरकार ने इस खजाने को गुप्त रूप से निकाल लिया और देश की आर्थिक स्थिति को संभालने के लिए उसका उपयोग किया।

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