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3 मिनट की शानदार डॉक्यूमेंट्री में देखे गंगानहर से इंदिरा गांधी नहर बनने की दास्तान, सूखे प्रदेश को हरियाली में बदलने वाली क्रांतिकारी योजना

3 मिनट की शानदार डॉक्यूमेंट्री में देखे गंगानहर से इंदिरा गांधी नहर बनने की दास्तान: सूखे प्रदेश को हरियाली में बदलने वाली क्रांतिकारी योजना

भारत की धरती पर नदियों और नहरों का ऐतिहासिक महत्व सदियों पुराना है। लेकिन जब बात राजस्थान जैसे सूखे और रेगिस्तानी इलाके की होती है, तो जल एक वरदान से कम नहीं होता। ऐसे में भारत की सबसे लंबी और जीवनदायिनी नहर मानी जाने वाली 'इंदिरा गांधी नहर' (पूर्व में गंगानहर) राजस्थान की वह ऐतिहासिक परियोजना है, जिसने थार के रेगिस्तान को हरियाली में बदलने का सपना साकार किया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस नहर का इतिहास कितना पुराना है और कैसे यह गंगानहर से इंदिरा गांधी नहर बनी? आइए जानते हैं इसकी पूरी कहानी।


शुरुआत गंगानहर के रूप में

इस महत्त्वपूर्ण नहर परियोजना की नींव ब्रिटिश शासनकाल के दौरान रखी गई थी। वर्ष 1927 में भूतपूर्व बीकानेर रियासत के महाराजा गंगा सिंह ने पंजाब के फिरोजपुर जिले में सतलुज नदी पर एक हेडवर्क्स (सिरसा हेड) बनवाकर एक नहर की योजना बनाई, ताकि राजस्थान के बीकानेर क्षेत्र को सिंचाई के लिए पानी मिल सके। इस नहर को ‘गंगानहर’ के नाम से जाना गया, जो महाराजा गंगा सिंह की दूरदर्शिता का परिचायक था।गंगानहर का उद्देश्य था पंजाब की सतलुज नदी से पानी लेकर उसे राजस्थान के शुष्क और रेतीले इलाके में पहुंचाना। यह एक बेहद साहसी और तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण कार्य था, लेकिन इसके जरिए हजारों हेक्टेयर जमीन को सिंचाई के लायक बनाया गया। यह परियोजना बीकानेर रियासत के लिए आर्थिक और सामाजिक बदलाव का कारण बनी।

भारत-पाक विभाजन और चुनौतियाँ
1947 में भारत के विभाजन के बाद गंगानहर प्रणाली को भारी झटका लगा, क्योंकि इसका स्रोत और प्रमुख जलधारा अब पाकिस्तान की सीमा के भीतर चली गई थी। इसके बाद भारत सरकार ने इंदिरा गांधी नहर परियोजना के रूप में इसे फिर से विकसित करने का संकल्प लिया। अब आवश्यकता थी एक ऐसी योजना की, जो राजस्थान के बड़े हिस्से को पानी की आपूर्ति कर सके और वहां की कृषि को जीवित कर सके।

इंदिरा गांधी नहर परियोजना की शुरुआत
1958 में इंदिरा गांधी नहर परियोजना (IGNP) की औपचारिक शुरुआत की गई। इसका मुख्य उद्देश्य था हरिके बैराज (पंजाब) से पानी लाकर इसे राजस्थान के रेगिस्तानी जिलों – श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, चूरू, जैसलमेर और बाड़मेर – तक पहुंचाना। यह नहर राजस्थान फीडर और मुख्य नहर के रूप में दो भागों में बनाई गई।इस नहर का कुल लंबाई 649 किलोमीटर से भी अधिक है, जिससे यह भारत की सबसे लंबी नहर बन गई है। इसका मुख्य स्रोत पंजाब के फिरोजपुर जिले में सतलुज और ब्यास नदियों का संगम है, जिसे हरिके बैराज के माध्यम से नियंत्रित किया जाता है। यहीं से पानी राजस्थान की सीमाओं में प्रवेश करता है।

नामकरण: गंगानहर से इंदिरा गांधी नहर
गंगानहर के आधुनिकीकरण और विस्तार के बाद जब इस परियोजना का राजनीतिक और सामाजिक महत्व बढ़ा, तब इसे भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को समर्पित करते हुए 'इंदिरा गांधी नहर' नाम दिया गया। यह न केवल एक तकनीकी चमत्कार थी, बल्कि एक सामाजिक क्रांति भी थी जिसने लाखों लोगों की जीवनशैली को बदल दिया।

इंदिरा गांधी नहर का महत्व
कृषि विकास: राजस्थान की करीब 21 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई योग्य बनाया गया। पहले जहां रेत और बंजर भूमि थी, वहां आज सरसों, गेहूं, चना और गन्ना जैसी फसलें लहलहाती हैं।
जनजीवन में बदलाव: पानी की उपलब्धता से गांवों में जीवनस्तर में सुधार आया, लोगों को पीने का पानी, नहाने और पशुपालन के लिए पर्याप्त जल मिलने लगा।
आर्थिक उन्नति: सिंचाई और कृषि के विस्तार से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली, रोजगार के नए अवसर पैदा हुए और लोगों का पलायन भी रुका।
पर्यावरणीय प्रभाव: जहां पहले सूखा और बंजर भूमि थी, वहां अब हरियाली बढ़ने लगी, जिससे क्षेत्रीय जलवायु में भी सुधार देखा गया।

चुनौतियाँ और भविष्य
हालांकि इंदिरा गांधी नहर ने बहुत कुछ बदला, लेकिन इसके समक्ष कई चुनौतियाँ भी हैं – जैसे जल निकासी की समस्या, रिसाव, मिट्टी की लवणता, और कुप्रबंधन। कई क्षेत्रों में अत्यधिक सिंचाई से जमीन की उर्वरता में गिरावट भी देखी जा रही है। साथ ही, पानी की उपलब्धता सीमित होने के कारण नहर क्षेत्र के अंतिम छोर तक जल पहुंचाना भी एक बड़ी चुनौती है।सरकार द्वारा अब माइक्रो-इरिगेशन तकनीक (ड्रिप व स्प्रिंकलर सिस्टम), लाइनिंग और जल-प्रबंधन पर जोर दिया जा रहा है ताकि इस ऐतिहासिक नहर की उपयोगिता लंबे समय तक बनी रहे।

इंदिरा गांधी नहर केवल पानी की एक धार नहीं, बल्कि सपनों की वह नदी है जो राजस्थान के रेगिस्तान में जीवन की हरियाली लेकर आई। गंगानहर से शुरू हुआ यह सफर आज इंदिरा गांधी नहर के रूप में भारत की सबसे बड़ी नहर प्रणाली बनकर खड़ा है, जो यह दिखाता है कि दृढ़ निश्चय, तकनीक और दूरदर्शिता मिलकर किस तरह एक सूखे प्रदेश को भी जीवनदान दे सकते हैं।

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