कुम्भलगढ़ के बाद राजस्थान के इस किले में है दुनिया की तीसरी सबसे लम्बी दीवार, वीडियो में जानिए कैसे बना यह किला विश्व धरोहर का हिस्सा

राजस्थान का आमेर किला (Amer Fort) ना केवल स्थापत्य कला का एक अद्भुत उदाहरण है, बल्कि यह कई ऐतिहासिक रहस्यों और रोचक तथ्यों को भी समेटे हुए है। जयपुर से लगभग 11 किलोमीटर दूर अरावली की पहाड़ियों में बसा यह किला अपने भव्य निर्माण, सुंदर चित्रकारी, और महलों के लिए जाना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आमेर किले की परिधि में फैली दीवार को दुनिया की तीसरी सबसे लंबी दीवार माना जाता है?इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि आमेर किला क्यों खास है, यह दीवार कितनी लंबी है, इसका इतिहास क्या है, और यह विश्व की अन्य प्रसिद्ध दीवारों की सूची में कैसे शामिल होती है।
आमेर किले की दीवार: लंबाई और संरचना
आमेर किले की दीवार लगभग 35 किलोमीटर लंबी है, जो इसे दुनिया की तीसरी सबसे लंबी दीवार बनाती है। यह दीवार अरावली की ऊँचाईयों पर फैली हुई है और दूर-दूर तक फैली इसकी परछाई देखने वालों को रोमांचित कर देती है। यह दीवार आमेर के किले और उसके आसपास के क्षेत्रों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए बनाई गई थी।इस दीवार की बनावट मोटी पत्थरों से की गई है, जिसमें घुमावदार रास्ते, चौकियाँ, और सुरक्षा बुर्ज शामिल हैं। यह निर्माण न केवल रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण था, बल्कि यह उस युग की सैनिक और स्थापत्य कुशलता का जीता-जागता उदाहरण भी है।
क्यों बनाई गई थी यह दीवार?
आमेर किला पहले कछवाहा राजवंश की राजधानी था, और 16वीं शताब्दी में राजा मानसिंह प्रथम द्वारा इसका निर्माण शुरू करवाया गया था। उस समय बाहरी आक्रमणों से सुरक्षा सबसे बड़ी प्राथमिकता होती थी। इस दीवार का उद्देश्य था:
दुश्मनों से किले और राजधानी को बचाना
आसपास के घाटियों और जंगलों की निगरानी करना
आपात स्थिति में सुरक्षा घेरे को मजबूत बनाना
अरावली की ऊँचाईयों पर बनी यह दीवार इस तरह बनाई गई थी कि सैनिक किसी भी दिशा से आने वाले आक्रमण को पहले ही भांप सकें और प्रतिक्रिया दे सकें।
दुनिया की अन्य प्रसिद्ध दीवारों के साथ तुलना
जब हम "सबसे लंबी दीवार" की बात करते हैं, तो सबसे पहले नाम आता है चीन की दीवार (The Great Wall of China) का, जिसकी लंबाई लगभग 21,000 किलोमीटर मानी जाती है।इसके बाद भारत में ही स्थित कुम्भलगढ़ किले की दीवार आती है, जो 36 किलोमीटर लंबी है और इसे 'भारत की ग्रेट वॉल' भी कहा जाता है।आमेर किले की दीवार तीसरे स्थान पर आती है, जिसकी लंबाई 35 किलोमीटर के करीब है।इससे यह स्पष्ट होता है कि राजस्थान ने न केवल स्थापत्य के क्षेत्र में बल्कि रक्षा के लिहाज से भी विश्व में अपनी अलग पहचान बनाई है।
आमेर किले की अन्य विशेषताएं
आमेर का किला न केवल दीवार के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह अपने अद्भुत स्थापत्य और कला के लिए भी जाना जाता है। इसमें मुख्य रूप से निम्नलिखित संरचनाएं प्रमुख हैं:
शेष महल (Sheesh Mahal) – कांच से बना हुआ यह महल रात में दिए की रौशनी से जगमगाता है।
दीवान-ए-आम और दीवान-ए-खास – जहाँ राजा जनता और खास मेहमानों से मुलाकात करते थे।
सुख निवास और जल महल – गर्मी में ठंडी हवाओं के लिए विशेष डिजाइन की गई संरचना।
साथ ही, हाथी की सवारी, रोशनी और साउंड शो जैसी व्यवस्थाएं आज भी पर्यटकों को आकर्षित करती हैं।
आमेर दीवार से जुड़ी कुछ रोचक बातें
रात में पहरेदारी: इतिहास में लिखा गया है कि इस दीवार पर रात में मशालों के साथ गश्त होती थी।
जंगल से संरक्षण: दीवार किले को न केवल शत्रुओं से बल्कि जंगली जानवरों से भी सुरक्षा देती थी।
जुड़ा हुआ सुरक्षा नेटवर्क: यह दीवार नाहरगढ़ किले और जयगढ़ किले से भी कहीं-कहीं जुड़ी मानी जाती है, जिससे जयपुर का एक व्यापक सुरक्षा तंत्र बनता था।
पर्यटन की दृष्टि से भी खास
आज भी आमेर किला राजस्थान आने वाले लाखों पर्यटकों का प्रमुख आकर्षण बना हुआ है। इसकी लंबी दीवार की खूबसूरती और ऊँचाई से दिखने वाला नज़ारा बहुतों को रोमांचित करता है। दीवार पर चढ़ाई कर जब कोई पर्यटक चारों ओर फैले अरावली पर्वत, झीलें और जंगल देखता है, तो उसे लगता है मानो वह इतिहास के किसी पन्ने में पहुंच गया हो।
आमेर किला केवल जयपुर का एक दर्शनीय स्थल नहीं, बल्कि यह भारत की गौरवशाली सैन्य और स्थापत्य परंपरा का हिस्सा है। इसकी तीसरी सबसे लंबी दीवार हमें याद दिलाती है कि हमारी विरासत कितनी समृद्ध और विश्वस्तरीय है।यदि आप कभी जयपुर जाएं, तो आमेर किले की इस ऐतिहासिक दीवार को जरूर देखें – यह सिर्फ पत्थरों का ढांचा नहीं, बल्कि सैकड़ों सालों के गर्व, संघर्ष और वैभव की कहानी है।