सिर्फ जल स्रोत नहीं आस्था का केंद्र भी है राजस्थान का ये डैम, वीडियो में शिव और रावण की ये पौराणिक कथा जन आप भी रह जाएंगे दंग

देवली के बीसलपुर गांव में खूबसूरत वादियों के बीच बना बीसलपुर बांध जयपुर समेत चार जिलों की लाइफलाइन कहलाता है। बनास नदी पर बना बीसलपुर बांध छह बार ओवरफ्लो हो चुका है। इस साल भी बीसलपुर से खुशियां बह रही हैं। बीसलपुर बांध को लाइफलाइन क्यों कहा जाता है?
बीसलपुर बांध का लेखा-जोखा
बीसलपुर बांध की ऊंचाई 315.50 आरएल मीटर है, जिसकी भराव क्षमता 38.7 टीएमसी है। जलदाय विभाग को लोगों की प्यास बुझाने के लिए 16.20 टीएमसी पानी मिलता है। इसके अलावा 8 टीएमसी पानी किसानों को 80 हेक्टेयर की सिंचाई के लिए दिया जाता है। बाकी पानी वाष्पित हो जाता है। बीसलपुर से सबसे ज्यादा पानी जयपुर को 485 एमएलडी, अजमेर को 320 एमएलडी, दूदू परियोजना से 56 एमएलडी, टोंक-उनियारा को 52 एमएलडी पानी रोजाना दिया जा रहा है। करीब 1000 एमएलडी पानी रोजाना दिया जा रहा है।
किस जिले के कितने लोग पी रहे हैं बीसलपुर का पानी?
बीसलपुर बांध अकेले जयपुर, अजमेर, टोंक और दौसा जिलों के 21 शहरों और 2800 से ज्यादा गांवों की प्यास बुझा रहा है, इसीलिए बीसलपुर को इन जिलों की लाइफलाइन कहा जाता है।
बांध से गांवों की प्यास का गणित
जिला गांव
जयपुर 1003
टोंक 518
अजमेर 1026
त्रिवेणी के संगम से चमकता है बीसलपुर बांध
जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के अनुसार बांध में पानी की आवक का मुख्य स्रोत त्रिवेणी नदी को माना जाता है। इसके साथ ही बनास में पानी का मुख्य स्रोत प्रसिद्ध मेनाल झरने का पानी गोवटा बांध में आता है। गोवटा बांध के ओवरफ्लो होने के बाद पानी मेनाली नदी से मिलकर त्रिवेणी पहुंचता है। त्रिवेणी में बनास, बेड़च और मेनाली नदियां मिलकर त्रिवेणी संगम बनाती हैं।
आस्था का केंद्र है बीसलदेव
बीसलपुर बांध में बना बीसलदेव का मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर का गहरा धार्मिक और सामाजिक महत्व है। इस मंदिर का नाम बीसलदेव है। जिसका अर्थ है महान और सर्वश्रेष्ठ देवता। इस मंदिर को देश के पुरातत्व सर्वेक्षण ने भी राष्ट्रीय महत्व का स्मारक माना है। इसे 12वीं शताब्दी में चौहानों के शासक विग्रहराज ने प्रमाणित किया था, जिन्हें बिसलदेव के नाम से जाना गया। जब भी बिसलपुर बांध भर जाता है, तो यह मंदिर भी बांध के पानी में डूब जाता है।
भगवान शिव ने रावण को दिए थे दर्शन
बिसलपुर बांध के पास स्थित गोकर्णेश्वर मंदिर में भी लोगों की गहरी आस्था है। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार मंदिर में स्थित शिवलिंग के बारे में कहा जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना भगवान शिव के महान भक्त दशानन ने की थी। रावण ने इस शिवलिंग की स्थापना की थी और वहां भगवान शिव की कई बार पूजा की थी और भगवान शिव को प्रसन्न किया था। भगवान शिव ने रावण को दर्शन दिए थे और रावण ने भगवान शिव से वरदान मांगा था। जब रावण ने भगवान शिव से वरदान मांगा तो भगवान शिव ने रावण को वरदान दिया था। इसीलिए वहां गोकर्णेश्वर मंदिर बनाया गया। वैसे पर्यटकों के लिहाज से बिसलपुर सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है।
राजस्थान का पहला बांध, जो SCADA सिस्टम से लैस है
बीसलपुर बांध राजस्थान का पहला बांध है, जो SCADA सिस्टम से लैस है। SCADA सिस्टम का मतलब है कि इस बांध की मॉनिटरिंग पूरी तरह से ऑनलाइन की जाती है। जिसमें जल संसाधन विभाग के इंजीनियरों द्वारा मॉनिटरिंग के लिए कैमरे और कई तरह के उपकरण लगाए गए हैं। अब बांध के गेट खोलने के लिए सिर्फ एक बटन दबाना होता है। साथ ही बांध से कितना पानी छोड़ा जाना है। यह भी पूरी तरह से ऑनलाइन सिस्टम के जरिए होता है। बांध में कितना पानी है, इसकी पल-पल की अपडेट जल संसाधन विभाग को SCADA सिस्टम से मिलती रहती है। बीसलपुर बांध के अलावा माही बांध, जवाई बांध में भी SCADA सिस्टम लगाने की योजना है।