1990 में देखा गया सपना 2030 में होगा पूरा पृथ्वी के बाहर बसेगी इंसानी बस्ती

जयपुर। वैज्ञानिक कब से इंसानों को अंतरिक्ष में ले जाने लिए कई तरह के प्रयोग कर रहा है और साथ ही दावा भी कर रहे है कि 2030 तक इंसानों को अंतरिक्ष में ले जायेंगे। इसके लिए नासा जोरों से तैयारी कर रहा है। आपको क्या लगता है क्या इंसान अंतरिक्ष में रह पायेगा। प्रसिद्ध खगोल वैज्ञानिक कार्ल सागन का कहना था कि क्या हम पृथ्वी के बाहर किसी अन्य ग्रह पर जा सकते है ? क्या मानवता का अस्तित्व पृथ्वी के बाहर संभव है ? आज कि इस अंतरिक्ष दौड़ के देखते हुये यह लगता है कि संभव है।
क्योंकि इंसान की नज़र चांद ही नहीं पूरे ब्रह्मांड में नजर फैलाने की ताकत रखता है। कई तकनीक के जरीये यह ब्रह्मांड में कई करोड़ों प्रकाश वर्ष दूर तक अपनी निगाह हाल सकता है। नासा का एक यान वजायर हमारे सौरमंडल से भी बाहर कई तरह के ग्रह खोज चुका है। आपको इस बात का पता तो होगा ही कि मानवता का कुछ लाख वर्ष का इतिहास है लेकिन मानव ने पहली बार पृथ्वी के बाहर कदम पिछली सदी मे ही रखा है, यह क्षण 12 अप्रैल 1961 को आया था जब रूसी अंतरिक्ष यात्री युरी गागारीन अंतरिक्ष मे पहुंचे थे। यह एक तरह से अंतरिक्ष युग का आरंभ था, इसके बाद हमारे कई अंतरिक्ष यात्रायें की और कर रहे है।
अंतरिक्ष की गहराईयों में डुबने के लिए इंसानों द्वारा बनाये गये यान जो कि वायेजर युग्म यान है वो तो सौर मंडल के बाहर जा चुके है। आज से 1992 तक सूर्य के आठ ग्रहों को ही जानते थे। 1992 मे पहली बार हमने सौर मंडल के बाहर किसी अन्य तारे की परिक्रमा करते हुये एक ग्रह को खोजा था। इस खोज के पश्चात सौर मंडल के बाहर हम 3800 से अधिक ग्रहों को खोज चुके है। इसका अर्थ यह है कि मानवता को पृथ्वी से बाहर बसने के विकल्प पहले की तुलना मे अधिक है।