5 मिनट की इस शानदार डॉक्यूमेंट्री में करिये Udaipur City Palace का इनसाइड टूर, अंदर का दृश्य और इतिहास कर देगा मंत्रमुग्ध

राजस्थान के हृदय में बसा उदयपुर, अपनी झीलों और महलों के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। यहां की सबसे खास और ऐतिहासिक इमारतों में से एक है सिटी पैलेस, जो केवल बाहर से ही नहीं बल्कि अंदर से भी उतना ही भव्य, आकर्षक और मंत्रमुग्ध कर देने वाला है। आमतौर पर जब लोग इस महल की तस्वीरें देखते हैं तो वे इसके सुंदर मुखौटे, झील के किनारे इसका शाही खड़ा रहना और इसकी ऊँचाई से मोहित हो जाते हैं। लेकिन जो इसे अंदर से देखता है, वो इसके इतिहास, वास्तुकला और समृद्ध संस्कृति के दर्शन कर आत्मविभोर हो जाता है।
इतिहास की दीवारों में छुपे हैं शौर्य और शिल्प के रहस्य
सिटी पैलेस का निर्माण 1559 ईस्वी में महाराणा उदय सिंह द्वितीय द्वारा करवाया गया था, जब उन्होंने उदयपुर शहर की स्थापना की। इसके बाद कई महाराणाओं ने समय-समय पर महल का विस्तार कराया, जिससे यह एक विशाल महल परिसर में तब्दील हो गया। इस महल में कुल 11 महल, आंगन, टॉवर, गलियारे और भव्य द्वार शामिल हैं, जो सब एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।जैसे ही कोई व्यक्ति इस महल के अंदर प्रवेश करता है, वह भूतकाल में चला जाता है। दीवारों पर उकेरे गए बारीक नक्काशी, शीशे का काम, रंगीन कांच, सुंदर झरोखे और हाथ से बनाए गए भित्तिचित्र इस बात के प्रमाण हैं कि मेवाड़ की कला और संस्कृति कितनी उन्नत और विलक्षण थी।
अंदर की भव्यता जिसे देखकर मन ठहर जाता है
सिटी पैलेस के अंदर सबसे पहले जो चीज़ ध्यान खींचती है, वह है “बाड़ी महल”, जो एक ऊंचे प्लेटफॉर्म पर स्थित है और चारों ओर हरियाली और सजावटी छत्रियों से घिरा हुआ है। यह स्थान न केवल राजा के विश्राम का केंद्र था बल्कि यहां राजनीतिक विचार-विमर्श और त्योहारों का आयोजन भी होता था।इसके बाद आता है झरोकों वाला कमरा (Mor Chowk), जो मोर की आकृतियों से सजा है। यहां पर तीन सुंदर रंगीन मोरों की आकृति कांच और टाइल्स से बनाई गई है, जो राणा फतेह सिंह के समय के हैं। ये न केवल सुंदरता में अद्वितीय हैं बल्कि यह रेखांकित करते हैं कि उस समय की कला कितनी जीवंत और संवेदनशील थी।शीश महल महल परिसर का वह हिस्सा है, जहाँ दीवारों और छत पर लगे रंगीन शीशे रोशनी में चमकते हैं और रात में दीपक की रोशनी से पूरी दीवारें झिलमिला उठती हैं। इसे देख ऐसा लगता है जैसे सितारे ज़मीन पर उतर आए हों।
संग्रहालय और राजसी जीवन की झलक
महल परिसर में स्थित सिटी पैलेस म्यूज़ियम में मेवाड़ वंश की तलवारें, कवच, चित्रकला, राजसी वस्त्र, पालकी और पुरानी फोटोग्राफ्स का एक विशाल संग्रह देखने को मिलता है। यह संग्रहालय महल के उस हिस्से में स्थित है जहाँ कभी शाही परिवार का दैनिक जीवन व्यतीत होता था। संग्रहालय न केवल पर्यटन का हिस्सा है, बल्कि यह उस समय की संस्कृति, युद्ध नीति, धर्म और जीवनशैली को सजीव रूप में दर्शाता है।यहां की जैन गैलरी और जोधा महल जैसे कक्षों में उस समय के वैभव और धार्मिक आस्था का बेजोड़ मिलन देखने को मिलता है। वहीं दरबार हॉल आज भी उस समय की राजकीय बैठकों की गूंज महसूस कराता है।
झील के किनारे स्थित सौंदर्य
सिटी पैलेस की खास बात यह भी है कि यह पिछोला झील के किनारे बना हुआ है, और यहां से झील, जग मंदिर और लेक पैलेस का दृश्य अत्यंत मोहक प्रतीत होता है। महल की बालकनियों और झरोखों से दिखता पानी का विस्तार एक शांति और दिव्यता का अनुभव कराता है।महल से लगी हुई जगदीश मंदिर की घंटियों की आवाज़ और झील से आती ठंडी हवा का स्पर्श, दर्शकों को एक आध्यात्मिक अनुभूति भी प्रदान करता है।
पर्यटन का केंद्र और सांस्कृतिक धरोहर
आज सिटी पैलेस सिर्फ एक ऐतिहासिक स्थल नहीं, बल्कि यह राजस्थानी संस्कृति, वास्तुकला और पर्यटन का अद्वितीय केंद्र बन चुका है। यहां हर साल लाखों की संख्या में देश-विदेश से पर्यटक आते हैं। यह स्थान फिल्म शूटिंग, फोटोग्राफी, और शाही शादियों के लिए भी बेहद पसंद किया जाता है।राजस्थान सरकार और मेवाड़ राजघराने के सहयोग से इस महल का संरक्षण किया जा रहा है ताकि भविष्य की पीढ़ियां भी इस धरोहर को उसी भव्यता के साथ देख सकें।