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झरोखे से सीधे दर्शन, नहीं बजता घंटा-शंख… वीडियो में जानिए गोविंद देव जी मंदिर से जुड़े अनोखे तथ्य जो आपको यहां घूमने के लिए कर देंगे मजबूर 

झरोखे से सीधे दर्शन, नहीं बजता घंटा-शंख… वीडियो में जानिए गोविंद देव जी मंदिर से जुड़े अनोखे तथ्य जो आपको यहां घूमने के लिए कर देंगे मजबूर 

राजस्थान की राजधानी जयपुर अपने भव्य किलों, शाही महलों और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। लेकिन इसी ऐतिहासिक शहर के हृदय में स्थित है एक ऐसा मंदिर, जो न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है बल्कि राजपरिवार की भी आत्मिक आस्था से जुड़ा हुआ है – गोविंद देव जी मंदिर। यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण के स्वरूप गोविंद जी को समर्पित है और यह जयपुरवासियों के लिए सिर्फ एक पूजा स्थल नहीं, बल्कि उनके हृदय की धड़कन है। आइए जानते हैं इस अद्भुत मंदिर से जुड़े वे रोचक तथ्य, जो आपको वहां जाने के लिए विवश कर देंगे।


भगवान श्रीकृष्ण का वह स्वरूप, जिसे स्वयं महाभारतकालीन परंपरा से जोड़ा जाता है

गोविंद देव जी की प्रतिमा को लेकर मान्यता है कि यह मूर्ति ब्रजराज नंदन श्रीकृष्ण के वास्तविक स्वरूप से मिलती-जुलती है। कहते हैं यह प्रतिमा स्वयं वृन्दावन से लाई गई थी और इसे मूल रूप से श्रीकृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ द्वारा बनवाया गया था। इस प्रतिमा की दिव्यता और आकर्षण यही सिद्ध करता है कि आज भी दर्शन मात्र से श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठते हैं।

आम जनता के साथ राजा भी करते थे आरती
इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां पूजा पद्धति राजसी परंपरा के अनुरूप होती है, जहां आज भी भगवान गोविंद को राजा के समान पूजा जाता है। एक दौर था जब जयपुर के महाराजा खुद मंदिर में आरती में सम्मिलित होते थे और आज भी यह परंपरा पूरे वैभव के साथ निभाई जाती है। यहाँ रोज़ाना होने वाली मंगला, श्रृंगार, ग्वाल, राजभोग, संध्या और शयन आरती में भारी संख्या में भक्त जुटते हैं।

एक ही स्थान से दिखता है गवाक्ष (झरोखा दर्शन)
गोविंद देव जी मंदिर की वास्तुकला भी एक अद्भुत रहस्य को समेटे हुए है। मंदिर को इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि जब आरती के दौरान पट खुलते हैं, तो भगवान के दर्शन एक ही सीधी रेखा में सिटी पैलेस (चंद्रमहल) से होते हैं। यानी, जयपुर राजपरिवार अपने महल से ही झरोखे से भगवान के दर्शन कर सकते थे।

मंदिर में नहीं होती कोई घंटी या नगाड़ा
एक और दिलचस्प तथ्य यह है कि इस मंदिर में कोई घंटा, नगाड़ा या शंखनाद नहीं होता, जैसा अन्य मंदिरों में होता है। इसके पीछे मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण को मधुर भजन और कीर्तन प्रिय हैं, शोर-शराबा नहीं। इसलिए यहाँ आरती और भजन बहुत ही मधुर धुनों में गाए जाते हैं।

भक्तों की भीड़ नहीं, श्रद्धा का सागर
जयपुर का गोविंद देव जी मंदिर उन विरले मंदिरों में से एक है, जहां हर दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं, विशेषकर जन्माष्टमी, गोपाष्टमी, फूलडोल उत्सव, और राधा अष्टमी पर यहाँ जनसागर उमड़ पड़ता है। लेकिन खास बात यह है कि इतनी भारी भीड़ के बावजूद यहाँ दर्शन व्यवस्था इतनी सहज होती है कि किसी को धक्का-मुक्की का सामना नहीं करना पड़ता।

गोविंद देव जी मंदिर का योगदान समाज सेवा में
मंदिर प्रशासन केवल धार्मिक क्रियाकलापों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज सेवा और भंडारा आयोजन, दूसरे धार्मिक आयोजनों और गौसेवा में भी सक्रिय भागीदारी निभाता है। यहां गरीबों के लिए नियमित अन्नदान, धर्मशालाएं और संस्कृत विद्यालय भी संचालित किए जाते हैं।

कैसे पहुंचे मंदिर तक
गोविंद देव जी मंदिर जयपुर के सिटी पैलेस परिसर में स्थित है और शहर के किसी भी हिस्से से यहां पहुंचना आसान है। जयपुर रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड से यह मंदिर लगभग 5-6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और ऑटो, टैक्सी या लोकल बस से आसानी से पहुँचा जा सकता है।

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