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वन्यजीव प्रेमियों के लिए स्वर्ग है सरिस्का! जानिए यहां क्या-क्या देख सकते हैं पर्यटक और कब जाएं, वीडियो में देखे फुल ट्रेवल गाइड 

वन्यजीव प्रेमियों के लिए स्वर्ग है सरिस्का! जानिए यहां क्या-क्या देख सकते हैं पर्यटक और कब जाएं, वीडियो में देखे फुल ट्रेवल गाइड 

राजस्थान के अलवर जिले में स्थित सरिस्का टाइगर रिजर्व न केवल बाघों का घर है, बल्कि यह जैव विविधता और प्राकृतिक सौंदर्य का एक अद्भुत संगम भी है। अरावली की पहाड़ियों से घिरे इस टाइगर रिजर्व को 1978 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया था। समय के साथ यह सिर्फ बाघों का ही नहीं, बल्कि पर्यटकों, प्रकृति प्रेमियों, पक्षीविज्ञानियों और एडवेंचर पसंद करने वालों का भी पसंदीदा ठिकाना बन चुका है।


क्या-क्या देख सकते हैं सरिस्का में?
सरिस्का में बाघों के अलावा कई अन्य वन्य जीवों की उपस्थिति इसे खास बनाती है। यहां आपको तेंदुआ, लकड़बग्घा, सियार, जंगली बिल्ली, जंगली सुअर, चिंकारा, नीलगाय, सांभर और चौसिंगा जैसे जानवर देखने को मिल सकते हैं। यह रिजर्व खास तौर पर पक्षी प्रेमियों के लिए भी आदर्श जगह है क्योंकि यहां बूढ़े उल्लू (Great Horned Owl), सारस, सफेद बगुला, चील, मोर, और कठफोड़वा जैसे दर्जनों पक्षी प्रजातियां मिलती हैं।

बाघ दर्शन: रोमांच का चरम
हालांकि सरिस्का में 2004 के बाद एक समय बाघों की संख्या शून्य हो गई थी, लेकिन बाद में वन विभाग और सरकार की कोशिशों से पुनः बाघों की संख्या बढ़ाई गई। आज यहां लगभग 25 से अधिक बाघ मौजूद हैं। जंगल सफारी के दौरान भाग्यशाली पर्यटक इन बाघों की एक झलक पा सकते हैं। बाघों के अलावा भी घने जंगलों में अन्य शिकारी और शाकाहारी जानवरों को खुले वातावरण में देखना बेहद रोमांचकारी अनुभव होता है।

ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल भी हैं खास
सरिस्का सिर्फ वन्यजीवों के लिए ही प्रसिद्ध नहीं है, बल्कि यहां के अंदर और आस-पास कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल भी हैं।
पांडुपोल हनुमान मंदिर: यह पौराणिक मान्यता से जुड़ा स्थान है जहां भीम ने हनुमान जी की पूंछ उठाई थी।
कंकवाड़ी किला: जंगल के बीचों-बीच स्थित यह किला एक ऐतिहासिक रहस्य समेटे हुए है। इसे औरंगज़ेब ने अपने भाई दारा शिकोह को कैद करने के लिए बनवाया था।
नीलकंठ मंदिर परिसर: यह प्राचीन मंदिर परिसर सैकड़ों साल पुराना है और इसमें हजारों मूर्तियां और खंडहर मौजूद हैं।

कब जाएं सरिस्का?
सरिस्का टाइगर रिजर्व घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच होता है, जब मौसम सुहावना होता है और वन्यजीव सक्रिय रूप से देखे जा सकते हैं।
गर्मी के मौसम (अप्रैल-जून) में भी सफारी की जा सकती है लेकिन तापमान अधिक होने के कारण सावधानी आवश्यक है।
मानसून (जुलाई-सितंबर) के दौरान रिजर्व पर्यटकों के लिए बंद रहता है क्योंकि यह वन्यजीवों के प्रजनन का समय होता है।

कैसे पहुंचे सरिस्का?
सरिस्का टाइगर रिजर्व तक पहुंचना काफी आसान है।
सड़क मार्ग से: सरिस्का दिल्ली (200 किमी), जयपुर (110 किमी) और अलवर (35 किमी) से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
रेल मार्ग से: सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन अलवर है, जो भारत के प्रमुख शहरों से जुड़ा है।
हवाई मार्ग से: नजदीकी एयरपोर्ट जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट है, जहां से सरिस्का लगभग 110 किलोमीटर दूर है।

सफारी और प्रवेश शुल्क
सरिस्का में जंगल सफारी दो प्रकार की होती है – जीप सफारी और कैन्टर सफारी। सफारी आमतौर पर सुबह और शाम को होती है, और इसके लिए ऑनलाइन या रिजर्वेशन काउंटर पर बुकिंग करनी होती है। प्रवेश शुल्क भारतीय नागरिकों और विदेशी पर्यटकों के लिए अलग-अलग होता है, साथ ही कैमरा और वीडियो रिकॉर्डिंग के लिए भी अतिरिक्त शुल्क लिया जाता है।

पर्यटकों के लिए सुझाव
जंगल सफारी के दौरान शांत रहें और जानवरों को परेशान न करें।
कैमोफ्लाज रंग के कपड़े पहनें जिससे आप प्रकृति में घुल-मिल जाएं।
स्थानीय गाइड की सलाह को गंभीरता से लें।
पानी की बोतल, टोपी और सनस्क्रीन साथ रखें।
बाघ या अन्य जानवर दिखने की गारंटी नहीं होती, लेकिन धैर्य और ध्यान से देखने पर आपको अद्भुत दृश्य मिल सकते हैं।

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